मायरा भरने का नया रिकॉर्ड बना, झाड़ेली के पोटलिया परिवार ने अपनी बहिन के भरा 21 करोड़ 11 लाख का ऐतिहासिक मायरा, भाजपा नेता जगबीर छाबा के पुत्र की थी शादी

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मायरा भरने का नया रिकॉर्ड बना, झाड़ेली के पोटलिया परिवार ने अपनी बहिन के भरा 21 करोड़ 11 लाख का ऐतिहासिक मायरा,

भाजपा नेता जगबीर छाबा के पुत्र की थी
शादी

पवन पहाड़िया, पत्रकार। डेह/ नागौर (kalamkala.in)। ‘पैसा होना कोई बड़ी बात नहीं है, पर बड़ी बात है दिल का होना’ इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है डेह तहसील के गांव झाड़ेली के पोटलिया परिवार ने। नागौर जिले में बहिन के मायरा भरने का चलन दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। पहले नागौर के मेहरिया परिवार का मायरा बड़ा था, जिसका रेकॉर्ड मेड़ता के जाजड़ा परिवार ने 13 लाख 71 हजार का भरकर तोड़ा, तो आज झाड़ेली गांव के पोटलिया परिवार ने इस रिकॉर्ड को भी तोड़ते हुए 21 करोड़ 11 लाख का मायरा भर कर नया रिकॉर्ड बना दिया। नागौर जिले में ही नहीं राजस्थान में भी शायद आज तक किसी ने अपनी बहिन के इतना बड़ा मायरा नहीं भरा।प्रदेश के पूर्व भाजपा महामंत्री व नागौर कृषि उपज मंडी के व्यवसायी जगवीर छाबा के बड़े लड़के की शादी 5 मई को होनी है तथा आज मायरा की रस्म अदा होनी थी।

अनगिनत कारों व बसों का काफिला पहुंचा मायरा भरने

झाड़ेली से पचासों कारों व बसों के काफिले को लेकर पोटलिया परिवार जैसे ही नागौर पहुंचा, पंजाब से आये बैंड ने व उपस्थित जन समूह ने उनका हार्दिक स्वागत करते हुए उन्हें पंडाल तक ले गए। मौसम की विषम परिस्थितियों के बावजूद हजारों लोग इस माहेरा को देखने अपने-अपने साधनों से वहां पहुंच गए।
माहेरा में पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.आर. चौधरी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां सहित कई प्रमुख, प्रधान, सरपंच आदि उपस्थित थे। पोटलिया परिवार ने माहेरा प्रारम्भ करते ही एक किलो सोना, 15 किलो चांदी, 211 बीघा जमीन, एक पेट्रोल पम्प, अजमेर में एक प्लॉट, एक करोड़ 61 लाख नगद, डेह के सभी जाट परिवारों को 10-10 ग्राम चांदी के सिक्के व अनगिनत बेस आदि देकर एक नया कीर्तिमान बनाया है। पोटलिया परिवार मूलतः खेती पर निर्भर रहता आया है, पर वर्तमान में घर के बेटे-बहू फ़ौज में उच्च पदों पर आसीन हैं। जगवीर छाबा भी किसान परिवार की श्रेणी में ही आते हैं, पर इन्होंने अपना व्यवसाय नागौर कृषि उपज मंडी में शुरू करने के साथ राजनीति में भी सक्रिय रहे, जो प्रदेश महामंत्री पद तक पहुंच गए।

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Author: kalamkala

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