लाडनूं की जनता और समूचे राजस्व विभाग को गुमराह करने की एक बहुत बड़ी चाल, निकाला रास्तों से रास्ता,
कलेक्टर के आदेश की आड़ में खंदेड़ा में रास्ते दिखा कर नक्शा तरमीम करवाने की गहरी साज़िश, ताकि खंदेड़ा के प्लॉट काट कर बेचे जा सके
जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। लाडनूं शहर के पानी की निकासी खंदेड़ा में होती रही है, इस कारण कभी भी भारी बारिश के बावजूद लाडनूं शहर में कहीं भी डूबने और जल भराव की स्थिति नहीं बनती थी। इस खंदेड़ा की विशाल भूमि को कतिपय भूमाफियाओं ने शहर के पास आ जाने और बस स्टेंड के राहू गेट से खिसकते हुए राहुकुआं तक पहुंच जाने से जमीनों की कीमतें आसमान छूने से इसे खुर्द-बुर्द करने की आजमाइश करनी शुरू कर दी। यह तो निश्चित ही है कि राजस्व विभाग के कार्मिकों के बिना यह सब संभव नहीं था। इस कारण उन्हें साथ मिला कर चुपके-चुपके अनेक प्रकार की कार्रगुजारियां की जाती रही और इधर कीमतों की बढ़ोतरी भी जारी रही। नगर के पानी की निकासी के स्थान को संकड़ा करते चले गए और अब तो हालात यहां तक आ पहुंची कि इसे पूरा का पूरा ही समाप्त करने की ओर लक्ष्य है।
हाल ही में एक पत्र सामने आया है, जिसमें अखिल भारत अनुसूचित जाति परिषद् के प्रदेश महासचिव कालूराम गेनाणा ने जिला कलक्टर को पत्र द्वारा लाडनूं शहर में स्थित सदीन से चले आ रहे खंदेड़ा के खसरा नम्बर 1639 वर्तमान खसरा नम्बर 2936/1639 रकबा 1.9912 हैक्टेयर (12 बीघा 6 बिस्वा) ? गैर मुमकिन खड्डा में बनी सड़कों का नक्शा लट्ठा में सरकारी योजना ‘डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम’ (DILRMP) के तहत तरमीम करवाने की मांग की गई। इस पत्र पर जिला कलेक्टर ने उपखंड अधिकारी लाडनूं को इस बाबत उचित कार्रवाई के लिए भी लिखा।
खंदेड़ा को खुर्द-बुर्द करने की बहुत बड़ी साज़िश
इधर लोगों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। लोगों का मानना है कि इस खंदेड़ा को खुर्द-बुर्द करने की साजिश कतिपय लोगों द्वारा लम्बे समय से चलाई जा रही है। अपनी मिलीभगत और पैंतरेबाजी के षड्यंत्रों से उपखंड प्रशासन और राजस्व विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाइयों, नोटिसों आदि के तोड़ निकाल कर इस खंदेड़े को खुर्द-बुर्द करने की कुचेष्टाओं को फलीभूत करने में ऐसे कुछ लोग लगातार लगे हुए हैं। इसके लिए ये लोग साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति का भी बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सर्वविदित है कि खंदेड़ा से निकलने वाले रास्तों में करंट बालाजी रोड प्रमुख है, जिसके लिए कोई तरमीम करवाने की जरूरत नहीं है। यह सदा से चला आ रहा रास्ता है और इस पर पीडब्ल्यूडी ने अपनी सड़क भी बना रखी है। इसी प्रकार वर्तमान गौरव पथ खंदेड़ा के बीच से निकला हुआ पुराना रास्ता है। इस पर भी सरकार ने गौरव पथ का निर्माण करवा दिया। इनके अलावा लोगों को संदेह है कि अब इस पूरे खंदेड़े में अवैध रूप से कॉलोनी बसाई जाने के लिए कलेक्टर के इस आदेश को ढाल बना कर राजस्वकर्मियों से मिलीभगत की जाकर मनमाने रास्ते बनवाए जाकर उन्हें नक्शे में तरमीम करवाया जाकर काम पक्का करवा दिया जावे, ताकि उन्हें आधार बना कर किसी भी राजस्व न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय तक निर्णय अपने पक्ष में करवाए जा सके। सरकारी तरमीम योजना का लाभ उठाने की बहुत बड़ी साज़िश की बू इसमें आ रही है।
कलेक्टर के पत्र की पीछे छिपा है बहुत गहरा राज
लोगों का संदेह है कि कालूराम गैनाणा को इस सबके लिए अपना आधार बना कर इस्तेमाल किया जा रहा है। उनके पत्र में लिखा है कि सरकारी योजना में निर्धारित डीआईएलआरएमपी कार्यक्रम के तहत रास्तों का तरमीम नक्शा लट्ठों में किये जाने के आदेश विशेष रूप से रेवेन्यू विभाग द्वारा जारी किये गये थे, इस आदेश के तहत नक्शा लठ्ठा में रास्तों का तरमीम व रास्तों में बट्टा नम्बर लगाने का प्रावधान रहा है, लेकिन सरहद लाडनूं के खसरा नम्बर 1639 (वर्तमान खसरा नम्बर 2936/1639 रकबा 1.9912 हैक्टेयर यानि 12 बीघा 6 बिस्वा है) इस खसरे को लेकर राजस्व विभाग एवं नगरपालिका मण्डल स्वयं भ्रमित हैं एवं क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण व सामान्य जनता भी इस खसरे से सबंधित विभिन्न अफवाहों को लेकर भ्रमित हैं। उन अफवाहों के चलते इसके आसपास की आबादी भूमि के भू-मालिकों को भ्रष्टाचार करने की नियत से परेशान किया जा रहा है। उनका यह लिखना तो सरासर ग़लत और अनुचित है। सच्चाइयों को अफवाह बताना और भूमालिक राज्य सरकार होने के बावजूद गलत प्रचारित किया जा रहा है। गैर मुमकिन खंदेड़ा (खड्डा) भूमि के लिए कैसे कोई अन्य भू मालिक हो सकता है।
60 बीघा जमीन को सिमटाया साढ़े 12 बीघा में, कहां-कहां खिसकाएंगे खंदेड़ा
पत्र में आगे जो बताया गया है उसमें विभिन्न जमीनों को संभवतः और संभावना शब्दों द्वारा उन सब के इसी खंदेड़ा की जमीन के हिस्से होना बताया गया है, जो गलत लिखा गया है। केवल संभावनाएं और आशंकाएं जताई जाकर सरकार से मनमर्जी के निर्णय नहीं करवाए जा सकते। संभावनाओं की आड़ लेकर और अन्य लोगों को भ्रमित करके अपने पक्ष में तरमीम की कार्रवाई करवा कर खुद को सुरक्षित पूरी तरह से बना कर जमीनें बेचने की यह बहुत गहरी साज़िश प्रतीत होने लगी है। यह एक ऐसा जाल बिछाया प्रतीत होता है, जिसमें बहुत सारे लोग ही नहीं, बल्कि राजस्व अधिकारी और कर्मचारी भी फंस सकते हैं। इसमें खंदेड़े के साढे बारह बीघा जमीन को अस्पताल से लेकर लोवड़िया श्मशान भूमि तक बताया जा रहा है, जो सरासर ग़लत है। इतनी दूरी तक की भूमि तो करीब 100 बीघा तक होती है।
खिसकाई जाती रही हैं मौके पर खसराओं की स्थिति
इस खंदेड़े की जमीन के खसरे को इधर-उधर खिसका कर बताने के प्रयास बरसों से लगातार किए जाते रहे हैं और इस कारण सुखदेव आश्रम के एक हिस्से तक को खंदेड़ा का भाग बता दिया गया। यह बहुत बड़ी चाल का संदेह पैदा करता है। बड़ी संख्या में टर्बो भर-भर कर मिट्टी लाकर खंदेड़े में डालने और फिर जेसीबी चला कर फर्जी रास्तों का निर्माण हाल ही में लोगों के देखते-देखते किया गया है। अब इस पास के पुराने रास्तों की आड़ में खंदेड़ा की जमीन को शामिल करते हुए रिकॉर्ड में रास्ते बनवा कर उसे आसानी से बेचने की साजिश कुछ भूमाफियाओं द्वारा की गई है और इसी साजिश के तहत किसी को माध्यम बना कर बहुत बड़ा घोटाला किया जाने का आगाज किया जाने की संभावना है।