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लम्बे अंतराल के बाद 7 मार्च को होगी लाडनूं नगरपालिका की बैठक, हंगामा मचेगा या रखेंगे पार्षद धैर्य, पार्षदों को न बजट बताया और न विचार के लिए रखे कोई उचित विषय, एक ही एजेंडा रखने से नहीं रख पाएंगे अपनी भावना

लम्बे अंतराल के बाद 7 मार्च को होगी लाडनूं नगरपालिका की बैठक, हंगामा मचेगा या रखेंगे पार्षद धैर्य,

पार्षदों को न बजट बताया और न विचार के लिए रखे कोई उचित विषय, एक ही एजेंडा रखने से नहीं रख पाएंगे अपनी भावना

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। लंबे अंतराल के बाद लाडनूं नगर पालिका मंडल की साधारण सभा की बैठक आहूत की गई है, लेकिन जो एजेंडा इसके लिए जारी किया गया है, उसे लेकर भी खासा विवाद छिड़ा हुआ है और उसे लेकर बैठक के हंगामेदार होने के आसार दिखाई देने लगे हैं। लगभग दो साल से मन मसोस कर बैठे पार्षदों को बैठक में ही अपनी-अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा। यह भड़ांस कब कैसा रूप ले लेवे, कहा नहीं जा सकता। विकास कार्यों में भेदभाव, सड़क-नाली के कामों में धांधली, बैंच-स्ट्रीट लाईटें आदि के वितरण में वार्डों के साथ पक्षपात, टेंडर घोटाले, विकास कार्य पारित नहीं होने, लाखों के घपले के इल्ज़ाम, सफाई व्यवस्था और सार्वजनिक रोशनी व्यवस्था, सफाईकर्मियों की ड्यूटी में भेदभाव, सफाईकर्मियों की भर्ती का मामला, फाईलें गायब होने का प्रकरण, पुलिस केस, पट्टे जारी करने में धांधली और मनमानी, शहर में मनमाने ढंग से चल रहे अवैध निर्माण कार्य, बजट की बैठक, लम्बे समय तक बैठकें नहीं बुलाने आदि अनगिनत मुद्दे हैं, जिन्हें पार्षद गण अपने दिलों में लिए बैठे हैं। अब बैठक रखी गई है तो उन्हें बोलने और अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा।

किसी की राय लिए बिना ही जारी किया गया एजेंडा

इधर बैठक का एजेंडा एक ज्ञापन मात्र होने से तात्कालिक विषयों को उठाने से पार्षदों को रोका जाएगा। इसे लेकर हंगामे की स्थिति बन सकती है। पार्षदों का आरोप है कि एजेंडा जारी किया जाने से पहले उनकी राय ली जानी चाहिए थी। लेकिन सभी पार्षदों को दरकिनार करके बैठक एजेंडा जारी कर दिया गया। इसे लेकर कुछ पार्षद तो बैठक में आने से ही अनिच्छुक दिखाई देने लगे हैं।

बैठक का विषय एक ही रखा जाना है नाराजगी का कारण 

नगर पालिका की साधारण सभा की बैठक 7 मार्च को अपराह्न 3.45 बजे रखी गई है। बैठक की सूचना में विचारणीय विषय के रूप में मात्र एक ही बिंदु रखा गया है, ‘पार्षदों के ज्ञापन के बिंदु सं. 1 से 16 पर विचार’। इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वे 16 बिंदु कौन से हैं और ज्ञापन कब व किसने दिया। ज्ञापन की प्रति बैठक सूचना के साथ पार्षदों तक पहुंचाई जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं करके विचार किए जाने वाले बिंदुओं से पार्षदों को अनभिज्ञ रखा गया है। यह भी पार्षदों की नाराजगी का कारण है।

बजट को पार्षदों से रखा है पूरी तरह छिपा कर

फरवरी में जारी इस बैठक सूचना के बावजूद अब तक नगर पालिका के वार्षिक बजट प्रावधानों को पार्षदों से छिपाया गया है। नियमानुसार आय-व्यय प्रावधानों को गत वर्ष और आगामी वर्ष के तुलनात्मक अध्ययन के लिए पार्षदों को प्रतियां उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, और फिर विचारार्थ साधारण सभा में प्रस्तुत की जानी चाहिए, लेकिन यहां किसी पार्षद को कोई जानकारी नहीं है। बजट को सीधे डीएलबी से पास करने की फिराक में नगरपालिका प्रशासन लगा है, इससे पार्षदों की अहमियत ही खत्म हो चुकी है।

दो साल से इंतजार था साधारण सभा की बैठक का

बोर्ड की साधारण सभा की बैठक को लेकर पार्षदों की लम्बे समय से मांग चल रही थी। करीब दो साल से नगर पालिका की साधारण सभा की कोई बैठक आयोजित नहीं की गई है। बैठक की मांग को लेकर नगर पालिका के पार्षदों ने उपखंड अधिकारी व जिला प्रशासन को ज्ञापन भी दिए, नगर पालिका के सामने धरना भी दिया और परस्पर समझौता भी हुआ, लेकिन फिर ‘ढाक के वही तीन पात’ और पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। यहां पालिकाध्यक्ष और ईओ के बीच जमकर टकराव चला। परस्पर शिकायतें और झूठे-सच्चे आरोप भी लगे। पुलिस तक भी मामले पहुंचे। यह सब चक्कर शहर को बरसों पीछे ले जाने वाले साबित हुए। सारे जायज काम रुक गए और पूरी मनमानी हावी हो गई।

किस-किस हालत से गुजरा लाडनूं और नगर पालिका बोर्ड

कई ईओ आए और चले गए, लेकिन यहां साधारण सभा की बैठक बुलाने, पार्षदों की बात सुनने और उनकी क्रियान्विति करना तो मात्र एक सपना सा लगने लगा। गुटबाजी हावी हो गई और गुट विशेष को ही महत्व दिया जाने लगा। इससे पूरा शहर बदतर हालात में पहुंच गया। चलो यहां के पार्षद तो लाचार रहे पर चैयरमेन और एमएलए तो ‘रोम जलता रहा और नीरो बंशी बजाता यहा’ यह हालत बना कर छोड़ दी। कोई धणी-धोरी नहीं रहा इस लाडनूं शहर और नगर पालिका का। सब बंदरबांट के खेल में मशगूल लगने लगे। आखिर अब साधारण सभा की बैठक तो बुला ही ली गई है। नगर पालिका के नए अधिशासी अधिकारी जितेंद्र कुमार मीणा इसके लिए बधाई के पात्र हैं। अब अगर वे अध्यक्ष की अनुमति से या सर्वसम्मति से अन्य विषय उठाने की अनुमति भी दे, तो शहर के हित के लिए बहुत अच्छा रहेगा और पार्षदों को भी धैर्य के साथ मिल जुल कर शहर के विकास को सर्वोपरि समझना चाहिए।

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