बिना कन्वर्सन करोड़ों की कृषि भूमियों को किया जा रहा है गायब, सरकार को करोड़ों के राजस्व का खुला चूना,
पहली पट्टी में जैन विश्व भारती के पास करोड़ों की कृषिभूमि को किया जा रहा है खुर्दबुर्द
जगदीश यायावर। लाडनूं ()। लाडनूं में शहरी क्षेत्र के आप पास स्थित कृषिभूमियों को बिना किसी वैधानिक भू-परिवर्तन करवाए ही प्लाॅट काटे जाकर काॅलोनियां बसाई जा रही है और राजस्व विभाग व नगर पालिका सभी चुप्पी साधे बैठे हैं, जबकि इस जमीनों को इस प्रकार खुर्दबुर्द करके भूमािफया लोग सरकार को लाखों-करोड़ों की राजस्व हानि खुलेआम पहुंचा रहे हैं। इस मैटर को लेकर किसी का कुछ नहीं बोलना आश्चर्यजनक है, जगता है कि कानून के प्रति कोई अपना दायत्वि नहीं समझता। इन जमीनों में बेचान पर बेचान और रजिस्ट्रियां तक हो जाती है, लेकिन किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं समझाी जाती है। शिकायतें करने वाले डोलते रहते हैं, चक्कर काटते रहते हैं। लगता है लाडनूं शहर में राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 177 की कार्रवाइयां भी पूरी तरह से फैल हो चुकी है। तहसीलदार द्वारा कुछ मामलों में प्रकरण प्रेश भी किए जाते हैं, लेकिन उनका क्या हस्र होता है, किसी को कुछ नहीं पता।
एसडीएम ने किए कार्रवाई के लिए आदेश
हाल ही में एक मामला ऐसा फिर सामने आया है, जिसमें राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 177 की कार्रवाई के आदेशों के बावजूद बेचाननामों की रजिस्ट्रियां तक कर दी गई। इस सम्बंध में उपखण्ड अधिकारी मिथलेश कुमार ने तहसीलदार गौरव पूनियां को सरहद लाडनूं के वर्तमान खेत खसरा नम्बर 497/2246 क्षेत्रफल 3.1161 हैक्टेयर कृषि भूमि का बिना कानूनी प्रकिया पूरी किए अवैध प्लॉटिंग एवं मकान निर्माण कार्य कर भूमि का अवैध रूप से भू-उपयोग परिवर्तन करते हुए भूमि का अकृषि उपयोग करके सरकार को रूपातंरण नियमों के तहत होने वाली आय से वंचित करने बाबत जांच व कार्यवाही करके की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
पार्षद अनिल सिंघी ने की शिकायत
इस मामले के सम्बंध में वार्ड सं. 44 के पार्षद अनिल सिंघी द्वारा किए गए शिकायत-पत्र के आधार पर ऐसे आदेश किए गए हैं। उनकी शिकायत में यही बताया गया है कि मौजा सरहद लाडनूं के वर्तमान खेत खसरा नम्बर 497ध्2246 क्षेत्रफल 3.1161 हैक्टेयर कृषि भूमि का बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किये भूमि में प्लॉटिंग/ मकान निर्माण कार्य कर भूमि का अकृषि उपयोग कर सरकार को रूपातंरण नियमों के तहत होने वाली आय से वंचित किया गया है। उपखंड अधिकारी ने इस पत्र को आदेश के साथ संलग्न करते हुए पत्र में वर्णित तथ्यों का अवलोकन करते हुए मौका जांच कर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करें और की गई कार्यवाही की रिपोर्ट दो दिनों के अंदर उपखंड अधिकारी को पेश करें।
क्या है मूल शिकायत
इस मूल शिकायत के अनुसार मालूम होता है कि यह खेत खसरा नं. 497/2246 जैन विश्व भारती, मंगलम अस्पताल, विमल विद्या विहार एवं मुख्य बाजार के निकट पीडब्ल्यूडी की सीसी सड़क पर प्रथम श्रेणी में स्थित है। यह सुपारस मल चैरड़िया की पुश्तैनी भूमि है। इस भूमि को खातेदारों ने मिलकर इसे कृषि भूमि से बदल कर आवासीय कॉलोनी में तब्दील करने के लिए इसके भीतर 30 फुट रास्ता बना कर उस पर सीसी रोड बनवाई गई और इसके प्लॉट काट कर बेचे गए और निर्माण करवाए गए। इस प्रकार सरकार को भूमि किस्म परिवर्तन की लाखों की हानि पहुंचाई गई।
8.58 लाख के जुर्माने का नोटिस जारी हुआ
शिकायत में बताया गया है कि इस भूमि को प्रसन्न कुमार पगारिया ने कृषि भूमि के रूप में खरीद की, जिसके रजिस्टर्ड विक्रय पत्र में इसका स्पष्ट उल्लेख है। पार्षद सिंघी द्वारा इस कृषि भूमि को आवासीय काॅलोनी के रूप में बसाने के लिए फर्जी तरीके अपना कर आगे प्लाॅट बेचने और उनका रजिस्ट्रेशन करवाने व मौके पर मकानात का निर्माण करवाने, रास्ते निकालने व सड़कें बनाने के बारे में पंजीयन एवं मुद्रांक केे उप महानिरीक्षक सीकर को की गई शिकायत पर लाडनूं के उप पंजीयक ने अपने पत्रांक- पंजीयन/2024/536 दिनंाक 02/02/2024 द्वारा रेफरेंस आवेदन पेश करके बताया कि दस्तावेज सं.0241466000195 इिनंाक 12/01/2024 में मुद्रांक कर के रूप में जमाराशि के अन्तर 8 लाख 58 हजार 210 रूपए जमा करवाने के लिए राजस्थान मुद्रांक अधिनियम की धारा 54 के तहत नोटिस दिया। इस प्रकरण को इस न्यायालय में मुद्रांक प्रकरण सं. 227/2024 पर दर्ज किया गया।
जमा करवानी पड़ी अंतराशि
पार्षद सिंघी ने अपने पत्र में बताया है कि इस प्रकरण में उप पंजीयक लाडनूं ने हल्का पटवारी लाडनूं से मौका निरीक्षण करवाया गया तो पाया गया कि वह सम्पदा कृषि भूमि के बजाए आवासीय है। उसकी कुल मालियत 1 करोड़, 6 लाख 56 हजार 174 रूपए बनती है। इस पर मुद्रांक शुल्क, सरचार्ज, पंजीयन शुल्क कुल 9 लाख, 37 हजार 742 रूपए बनता है। इस पर इस पत्रावली में पंजीयन की बकाया राशि 8 लाख 58 हजार 210 रूपए जमा करवानी पड़ी थी।
धारा 177 की पूरी तरह से उपेक्षा
तहसीलदार लाडनूं ने पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग सीकर को अपने जवाब में बताया गया कि इस खसरा का उपयोग अकृषि का होने से काश्तकारी अधिनियम के तहत धारा 177 का प्रकरण, धारा 90ए का प्रकरण राजस्व न्यायालय में पेश किया हुआ है। परन्तु वास्तविकता यह है कि ऐसा कोई प्रकरण उन्होंने आज तक पेश नहीं किया। इस कारण रूपांतरण शुल्क की भारी राशि का नुकसान सरकार को हो रहा है। हाल ही में इसी भूमि के हिस्से अरूण भूतोड़िया, ललित कुमार भतोड़िया व हनुमानमल भूतोड़िया, मांगीलाल भूतोड़िया, इन्द्राजमल भूतोड़िया, कमलसिंह भूतोड़िया को लाडनूं के उप पंजीयक कार्यालय से बेचाननामों का पंजीयन करवा कर विक्रीत कर दिया गया। एक तरफ प्रशासन 177 की कार्रवाई का लिखित उत्तर मुद्रांक व पंजीयन विभाग को देता है और दूसरी तरफ उसकी कोई पालना किए बिना ही फिर उस जमीन के बेचान को पंजीकृत करके उस पर प्रशासन की मोहर लगा देता है। यह काफी अजीब बात है। पार्षद सिंघी ने उपखंड अधिकारी को इस भूमि के समस्त खातेदारों को इस पर किसी प्रकार का कोई निर्माण नहीं करवाने और आगे विक्रय या हस्तांतरण नहीं करने के सम्बंध में पाबंद करने की मांग की है।
ऊपर से नीचे तक सबके संज्ञान में होने पर भी अवैध कार्रवाई
इसी भूमि को लेकर मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग में एक रेफरेंस मामला प्रसन्न पगारिया एवं नोरतनमल ओसवाल के विरूद्ध उनके मुख्त्यार दिनेश कुमार चैरड़िया, सुनीता पत्नी स्व. राजेन्द्र एवं अरिहंत पुत्र स्व. राजेन्द्र तथा त्रिशला व गुंजन पुत्रियां स्व. राजेन्द्र ओसवाल के खिलाफ चलाया जा रहा है। इसमें बताया गया है कि खसरा नं. 497/46 की भूूमि कृषिभमि रही है और वर्तमान में वह एक आवासीय काॅलोनी है। यह पटवारी की मौका रिपोर्ट से भी साबित है। इसमें राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 177 का प्रकरण व धारा 90ए का प्रकरण में पटवारी निरीक्षण में मौके पर आवसीय प्लाॅटिंग पाई गई। इसके बावजूद इसका कृषिभूमि के रूप में विक्रय किया जा रहा है। इस प्रकार से ऊपर से नीचे तक सबके संज्ञान में होते हुए भी आज भी धड़ल्ले से इस कृषि भूमि की प्लाॅटिंग करके बेचान पंजीयन एवं मकान निर्माण, बिजली-पानी के कनेक्शन आदि सभी सुविधाओं का उपभोग लगातार किया जा रहा है।