ईश्वर की भक्ति के लिएं बुढ़ापे का इंतजार नहीं करें- कैलाश शास्त्री,
गौ सेवा उत्तम सेवा, यह मौका हाथ से नहीं गवायें, झांकियां रही विशेष आकर्षण
रूण/मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर)। रूण में गायों की सेवा के लिए चल रही भागवत कथा में बुधवार को कथाव्यास कैलाश शास्त्री गवालू ने परीक्षित जन्म का प्रसंग सुनाया। साथ ही कलयुग में अनेक दुर्गुण है, लेकिन कलयुग केवल नाम आधारा.. प्रसंग सुनाते हुए बताया कि कलयुग में ईश्वर का नाम की महिमा है, अतः ईश्वर की भक्ति करने में बुढ़ापे का इंतजार नही करें। जवानी में जैसी भक्ति होती है वैसी बुढ़ापे में भक्ति नहीं हो पाती है। इसीलिए बाल्यकाल से ही माता-पिता अपने बच्चों को ईश्वर की भक्ति के प्रति जागृत करते रहें और दिन में एक बार अपने इष्ट देवता के दरबार में जरूर जाकर भगवान का नाम जपे। इसी प्रकार कपिल मुनि का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि मन की पवित्रता भगवान के भजन से और तन की पवित्रता सेवा से और धन पवित्रता दान से होता है, इसलिए निस्वार्थ भाव से दान पुण्य करें। कार्यक्रम सहयोगी कैलाश और पुसाराम शास्त्री ने बताया इस मौके पर इन्होंने ध्रुवजी प्रसंग सुनाया। इस दौरान इन्होंने गौ सेवा को सबसे उत्तम बताते हुए इनकी हर संभव मदद करने की अपील की। इस दौरान नन्हे बालक की कृष्ण की झांकी आकर्षण का केंद्र रही।
