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लाडनूं का तो भगवान ही मालिक है, इस तालाब बनते बस स्टेंड और सुखदेव आश्रम के लिए जिम्मेदार कौन है? नगर पालिका की भूमाफियाओं से मिलीभगत के खुले संकेत दिख रहे हैं

लाडनूं का तो भगवान ही मालिक है,

इस तालाब बनते बस स्टेंड और सुखदेव आश्रम के लिए जिम्मेदार कौन है?

नगर पालिका की भूमाफियाओं से मिलीभगत के खुले संकेत दिख रहे हैं

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। यहां शनिवार को फिर बरसात होने से शहर में और विशेषकर बस स्टेंड पर जल-भराव की स्थिति ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी। अभी तक लाडनूं में अधिक बारिश नहीं हुई है, लेकिन अधिक बरसात और लगातार बरसात होने पर शहर के हालात कैसे होंगे, इन आशंकाओं से लोग भयभीत हैं। आमजन की ओर से नगर पालिका और उपखण्ड प्रशासन को काफी दिनों से बराबर इस स्थिति के लिए सचेत किया जाता रहने के बावजूद नगरपालिका की आंखें नहीं खुल पाई और उपखण्ड प्रशासन ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया।

बहुत बदतर हालात बन चुके हैं बस स्टेंड के

लाडनूं के बस स्टेंड के हालात अभी से तालाब जैसे बन चुके हैं। वहां भरे हुए पानी में न तो ऑटो रिक्शा खड़े हो पाते हैं और न कोई व्यवसायी अपना धंधा कर पाता है। बसों से यात्रियों के नीचे उतरने और चढ़ने में परेशानी पैदा हो गई है। घुटनों से ऊपर तक के पानी में यात्रियों का सामान लेकर निकलना तो दूर पैदल खाली हाथ भी आना-जाना दूभर हो गया है। पास के सुखदेव आश्रम जैन मंदिर के प्रवेश के सामने दूर-दूर तक पानी और कीचड़ जमा हो जाने से मंदिर में किसी का भी प्रवेश करना मुश्किल हो चला है। इस जैन मंदिर के अंदर भी लबालब पानी भरा हुआ है। अब यह स्थिति काफी दिनों तक दुरुस्त नहीं हो पाएगी। नगर पालिका बस स्टेंड पर कोई मोटर पम्प लगा कर पानी की कहीं निकासी की व्यवस्था करें, तो लोगों को कुछ राहत मिल सकती है। पर पता नहीं नगर पालिका ने क्या व्यवस्थाएं कर रखी हैं।

इस दुर्दशा की व्यथा-कथा जानें और समझें कहां तक दोषी है नगर पालिका

सबके जेहन में सवाल खड़ा होता है कि आखिर यह स्थिति बनती क्यों है, पहले तो ऐसे हालात नहीं थे? इनका सिर्फ एक ही जवाब है- नगर पालिका की लापरवाही इसकी जिम्मेदार है। 1. बस स्टेंड से लेकर करंट बालाजी चौराहा तक जो सड़क पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाई गई, उसे जानबूझकर कर बस स्टेंड से करीब तीन फुट ऊंचा लेबल लेकर बना डाला गया। बस स्टेंड का भूस्तर नीचे रह गया, इससे जो पानी सड़क पर बह कर खंदेड़ा में जाता था, उसका प्राकृतिक बहाव रुक गया। जिन लोगों ने खंदेड़ा की सरकारी जमीन पर अपने कब्जे और खुर्द-बुर्द करने की बदनियत बना रखी थी, उन्होंने दूरदृष्टि पूर्वक इस सड़क की ऊंचाई अभियंता व ठेकेदार से मिलीभगत करके रखवाई। 2. बस स्टेंड को ऊंचा उठाने से भी इन्हीं कुछ लोगों ने रुकवाया, क्योंकि इससे उनका षड्यंत्र पूरा नहीं हो पाता। इन्होंने लोगों को बस स्टेंड ऊंचा करवाते ही लाडनूं की धरोहर रूपी इस मंदिर के डूब जाने का भय लोगों को दिखाया। इसमें भी पालिका अधिकारियों से उनकी मिलीभगत रही। कहा यह गया कि बस स्टेंड ऊंचा करने की जरूरत नहीं है, पास के बड़े नालों से पानी निकल जाएगा। 3. इसके बाद धीरे-धीरे इन्होंने सुखदेव आश्रम के पास से होकर खंदेड़े में जाने वाले नाले को अवरूद्ध करवाना शुरू कर दिया। सफाईकर्मियों ने इसकी सफाई में पूरी लापरवाही दिखाई और जहां खंदेड़े में जाकर नाला गिरता था, वहां कचरे के विशाल ढेर लगवा दिए। इधर खंदेड़े में मिट्टी के टर्बो डलवा कर खड्डे को पाटना शुरू करवा दिया। नगर पालिका फिर भी किसी मिलीभगत की तरह चुप्पी साधे रही। 4. इस सारी स्थिति को लेकर पार्षद सुमित्रा आर्य ने लोगों को ले जाकर एसडीएम को ज्ञापन दिया और ईओ को मौका दिखाया, तब इस खंदेड़े में जेसीबी मशीन लगवाई जाकर खुदाई करवाई गई। एक बार समस्या ठीक हुई, फिर इसके जेईएन से तकमीना बना कर समस्या के स्थाई समाधान की प्लानिंग हुई, लेकिन सब धरी रह गई। नगर पालिका फिर लापरवाह होकर बैठ गई और भूमाफियाओं को फिर अपनी करतूतों के लिए अवसर मिल गया। 5. भारी बरसात में मालियों का बास में करीब 30-40 मकानों में पानी भरने से नुकसान हुआ। बस स्टेंड का अधिक पानी सड़क पर से मालियों के मौहल्ला में घुस गया। इसके लिए पार्षद सुमित्रा आर्य और अन्य लोगों ने ज्ञापन दिए गए, पर नगरपालिका फिर जानबूझकर लापरवाह बन कर बैठ गई। 6. नगर पालिका लाडनूं के ऐतिहासिक प्राचीन जलस्रोत माजीसा तालाब के अस्तित्व को मिटाने के लिए सैंकड़ों टन मिट्टी डलवाने, नाले-नालियों के रूख मोड़ने के लिए लाखों रुपए बर्बाद कर सकती है, लेकिन लाडनूं की नाक बस स्टेंड और सुखदेव आश्रम की सुरक्षा और लोगों को मुसीबतों से बचाने के लिए कुछ भी नहीं करना चाहती, आखिर नगर पालिका की यह कैसी बदनियति है? लगता है इन भूमाफियाओं से मिलीभगत है, वरना ऐसी बुरी लापरवाही आज तक देखने को नहीं मिली। लाडनूं का तो भगवान ही मालिक रह गया है।

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