निद्रा की बीमारी से बढती है हृदयरोग, मानसिक बीमारियां व अन्य अस्वस्थ्यताएं- प्रो. जैन,
विश्व निद्रा दिवस मनाया और नींद के लिए प्राचीन भारतीय जीवन मूल्यों को अपनाने पर दिया जोर
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में विश्व निद्रा दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने बताया कि वलर््उ स्लीप सोसायटी द्वारा 2008 से प्रतिवर्ष विश्व निद्रा दिवस मनाया जाना शुरू किया गया। इसके लिए इस वर्ष की थीम ‘स्वास्थ्य के लिए नींद आवश्यक है’ निर्धारित करके मनाया जा रहा है। प्रो. जैन ने कहा कि वर्ष 2019 के अनुमान के अनुसार अमेरिका में नींद की कमी से 400 बिलियन डाॅलर का प्रतिवर्ष नुकसान हुआ है। निद्रा की बीमारी अस्त-व्यस्त जीवनचर्या, विद्यार्थियों द्वारा देर रात तक अध्ययन करना, गैजेट्स जैस टीवी, मोबाईल का देर रात तक देखना, सात्विक के स्थान पर तामसिक भोजन की प्रवृति का बढना, नकारात्मक विचारों को विस्तार देना, धूम्रपान व मद्यपान का अधिक सेवन आदि कारणों से निद्रा की बीमारी तेजी से बढती जा रही है। इसका दुष्प्रभाव व्यक्ति की कार्यशैली, शरीर एवं मन पर पड़ रहा है। निद्रा की बीमारी कैंसर, बीपी, मधुमेह, हृदयरोग आदि के रूप में उभर कर सामने आ रही है। पाश्चात्य देशों की संस्कृति को अपनाने के कारण भी युवा वर्ग में निद्रा की यह बीमारी फैल रही है। हमें वर्तमान पीढी को भारतीय संस्कृति के प्राचीन मूल्यों से जीवनजीने की प्रेरणा प्रदान करनी चाहिए, जिसमें प्रात5 जल्दी उठना, रात्रि में 10 बजे से पहले सो जाना, समय पर भेजन ग्रहण करना, सात्विक भोजन करना, मद्यपान व धूम्रपान से बचने का पूरा प्रयास करना आदि को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम में छात्राओं द्वारा रखे गए विविध प्रश्नों पर उनकी जिज्ञासा शांत की गई। कार्यक्रम में समस्त छात्राध्यापिकाओं के सााि सभी संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे।