बच्चों को करवाए एकाग्रचित्तता, मैत्री-भाव, वाणी-संयम के प्रयोग
त्रिदिवसीय बालक-अभिभावक प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन
लाडनूं। जैन विश्व भारती स्थित आचार्य तुलसी इंटरनेशनल प्रेक्षाध्यान केन्द्र में त्रिदिवसीय बालक-अभिभावक प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन किया गया। वर्तमान में बालक-बालिकाओं में व्याप्त मानसिक अंशाति, यादाश्तत की कमी एवं जनरेशन गेप जैसे महत्वपूर्ण विषयों को लेकर इस कार्यशाला में कक्षाओं का आयोजन किया गया। समणी ऋृजुप्रज्ञा के मार्गदर्शन में कार्यशाला का शुभारम्भ के बाद प्रतिभागियों को भाव-परिष्कार के छोटे-छोटे नियम बताए गए। शिविर में प्रतिभागी बच्चों को खेल के माध्यम से एकाग्रचित्तता, मैत्री-भाव, वाणी का संयम आदि के प्रयोग करवाए गए। अभिभावकों हेतु अलग से कक्षाएं आयोजित की गई, जिनमें उन्हें बच्चों के साथ व्यवहार एवं स्वभाव परिवर्तन आदि के प्रयोग बताए गए।
कार्यशाला में समणी ऋुजुप्रज्ञा, समणी जिज्ञासा प्रज्ञा, समणी प्रणवप्रज्ञा एवं समणी श्रेयस प्रज्ञा द्वारा कक्षाएं ली गई। प्रशिक्षकों में विजया छलानी, बिमल गुनेचा व इन्दु जैन द्वारा प्रयोग करवाए गए।
बालकों में आत्मनिर्भरता व स्व-मूूल्यांकन की दृष्टि से कार्यशाला में बालकों द्वारा अपने सभी कार्य स्वयं किए गए, यथा अपने कमरे की सफाई, अपने स्वयं के खाने के प्लेट आदि खुद साफ करना। सभी बच्चों ने पूर्ण तन्मयता के साथ कार्यशाला में सहभागिता की। कार्यशाला में यू.एस.ए, दिल्ली, जयपुर, लुधियाना, बीकानेर व अन्य स्थाानों से भी बच्चों एवं अभिभावकों ने भाग लिया। अभिाभावकों द्वारा सुझाव दिया गया कि ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन सतत किया जाना चाहिए, जिससे बालकों में संस्कारों का विकास संभव हो सके।शिविर व्यवस्थाओं में दिलीप, आशाीष, रविन्द्र महतेा, राहुल, सूरज आदि का सहयोग रहा।