जसवंतगढ द्वितीय काशी है, जहां बच्चे संस्कृत में वार्ता करते हैं,
15 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर सम्पन्न
लाडनूं (सुशील शर्मा रिपोर्टर जसवंतगढ)। सेठ सूरजमल तापड़िया आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जसवंतगढ में आयोजित संस्कृत भाषा बोधन वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. हेमंत कृष्ण मिश्र ने अपने सम्बोधन में संस्कृत भाषा को प्राण भाषा बताते हुए इसे व्यवहार भाषा बनाने पर बल दिया। जिले के शिक्षण प्रमुख प्रो. भैराराम जाखड़ ने शिविर की उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि इस शिविर में कुल 31 विद्यार्थियों ने भाग लिया प्रातः 5:00 बजे से लेकर रात्रि 9:00 बजे तक सभी ने लगातार संस्कृत भाषा में बोलने का अभ्यास किया। शिविर में सरदार शहर से समागत 12 वर्षीय विद्यार्थी ने सधे हुए संस्कृत विद्वान की तरह अपना परिचय संस्कृत भाषा में दिया एवं सभी को संकल्प दिलवाया कि संस्कृत भाषा को व्यवहार भाषा बनाया जाए। शिविर में छात्राओं एवं छात्रों के लिए प्रशिक्षक के रूप में चंद्रशेखर ने अपनी सेवाएं दी। चंद्रशेखर ने कार्यक्रम में अपने अनुभव बताए।
महाविद्यालय के उपाचार्य राकेश नेहरा ने संस्कृत भाषा सीखने के लिए बाल्यकाल को उपयुक्त बताया।.दिल्ली नगर निगम की अध्यापिका मनीषा त्रिपाठी ने बताया कि वे जहां पढ़ाती है,उह विद्यालय में विद्यार्थी संस्कृत भाषा केवल पढ़ते हैं, बोल नहीं सकते, जबकि यहां के विद्यार्थी संस्कृत भाषा को व्यवहार में प्रयोग कर रहे हैं। यह आश्चर्य है। प्रतीत हो रहा है जैसे जसवंतगढ़ द्वितीय काशी हो। मोहरी देवी तापड़िया शिक्षा शास्त्री महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अलका मिश्र ने बताया कि वर्तमान समय संस्कृत का समय है। संस्कृत में नए आविष्कार हो रहे हैं। समारोह को प्रो. सियाराम शर्मा व प्रो अरुण कुमार शर्मा ने ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष तेजपाल शर्मा, विश्वविद्यालय कोटा के कोऑर्डिनेटर डॉ. राकेश कुमार यादव, सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी जयपाल सिंह शेखावत ने भी सम्बोधित किया। समारोह में राजेंद्र सिंह राठौड़, श्रीकांत तुनवाल, योगेश पारीक, संजीव कुमार शर्मा, हाकम अली, कैलाश नेहरा, रुक्मिणी, मंजू आदि उपस्थित रहे।