भारतीय ज्ञान प्रणाली की जानकारी प्रत्येक शिक्षक के लिए आवश्यक- सुराणा,
पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम में नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क एवं इंडियन नोलेज सिस्टम की जानकारी दी
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान में सकांय संवर्द्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की क्रियान्विति’ विषय पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिवस उप कुलसचिव चिनीत सुराणा ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क एवं इंडियन नोलेज सिस्टम के सम्बंध में यूजीसी की गाइड लाईन के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि चाहे वोकेषनल एजुकेशन हो या एकेडमिक एजुकेशन सबको क्रेडिट सिस्टम के अन्तर्गत लाया गया है। इसकी क्रेडिट एकेडमिक बैंक आॅफ क्रेडिट्स (एबीसी) के अन्तर्गत जमा रहेंगी। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क द्वारा स्कूल से लेकर कॉलेज, यूनिवर्सिटी तक के स्तर पर हासिल किए गए क्रेडिट को एक साथ जोड़ दिया जाएगा। इस क्रेडिट फ्रेमवर्क में व्यावसायिक या कौशल शिक्षा के द्वारा अर्जित क्रेडिट को भी शामिल किया जाएगा। राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के अनुसार एक शैक्षणिक वर्ष को किसी छात्र द्वारा उपयोग किये गए घंटों की संख्या के आधार पर परिभाषित किया जाएगा और इसी आधार पर शैक्षणिक वर्ष के अंत में इन्हें क्रेडिट प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनसीआरएफ ने एजुकेशन को आठ भागों में बांटा है। इसमें स्कूल में होने वाली पढ़ाई 0 से 4 लेवल के बीच आती है। उसके बाद जैसे-जैसे विद्यार्थी आगे पढाई करता जाता है, वैसे-वैसे उसका लेबल बढता जाता है। जो स्टूडेंट्स 12वीं पास होते हैं, वो लेवल 4 के तहत आते हैं। इसके अलावा क्रेडिट पाॅइंट भी रखे गए हैं। इनके अनुसार पीएचडी को पूरा कर लेने वाले छात्र के अर्जित क्रेडिट 320 होंगे। सुराणा ने इंडियन नोलेज सिस्टम के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी शिक्षकों को भारतीय ज्ञान प्रणाली की जानकारी होनी जरूरी है। इसके तहत उच्च शिक्षा के छात्रों को उनके शैक्षणिक पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में योग, आयुर्वेद, भारतीय संस्कृति आदि भारतीय ज्ञान प्रणाली के विविध पहलुओं पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे। उन्होंने पांच प्रकार के रिफ्रेशर कोर्सेज के बारे में जानकारी दी। एफडीपी कार्यक्रम के समापन सत्र में कुलपति के ओएसडी प्रो. नलिन के. शास्त्री ने कार्यक्रम को उपयोगी बताया। दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने एनईपी 2020 के सभी पहलुओं की जानकारी को आवश्यक रूप से ग्रहण करने की जरूरत पर बल दिया। अंत में कुलसचिव प्रो. बीएल जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।