मकर संक्रांति आपसी प्रेम, सद्भाव और आनंद का पर्व है- प्रो. जैन


लाडनूं (kalamkala.in)। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में मकर संक्रांति पर कार्यक्रम आयोजित किया जाकर पर्व मनाया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने बताया कि मकर सक्रांति शुभ कार्यों के उद््भव का प्रतीक समझा जाता है। हम गौरवान्वित हैं कि हमारे देश का महासंगम प्रयागराज में भी इसी समय शुरू हो रहा है जो कि भारत के आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से और भी बल प्रदान करेगा। यह पर्व आपसी प्रेम सद्भाव और आनंद का पर्व है। इस दिन को पतंगें उड़ाई जाकर उल्लास से मानाया जाए किन्तु पक्षियों आदि जीव-जंतुओं आदि का भी ध्यान रखना चाहिए, उन्हें नुकसान नहीं पहुंच पाए। कार्यक्रम में विभाग की छात्राओं गुंजन, खुशी और पायल ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के संचालक सहायक आचार्य खुशाल जांगिड़ ने बताया कि मकर सक्रांति सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में आने का प्रतीक है। यह त्योहार सूर्य देव के प्रति आभार ज्ञापन को दर्शाता है। किसानों की अच्छी लहलहाती फसल की खुशी को दर्शाता है। सहायक आचार्या ममता पारीक ने इस पर्व की महत्ता को समझाते हुए बताया कि देश के अलग-अलग राज्यों में यह पर्व भिन्न-भिन्न नामों ओर विधाओं से जाना जाता है। यह पर्व हमें ग्रीष्म के आगमन का संकेत देता हुआ वातावरण में खुशहाली भर देता है। सहायक आचार्य गिरिराज भोजक ने विचार प्रकट करते हुए बताया कि यह पर्व अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उत्तरायण में प्रवेश करने को समझाता है। इस पर्व के साथ खाएं जाने वाले व्यंजन और मिठाइयों का संगम भी मौसम के अनुकूल पथ्य और महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में विभाग के सभी सहायक आचार्य व छात्राएं उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम के संचालक सहायक आचार्य खुशाल जांगिड़ ने बताया कि मकर सक्रांति सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में आने का प्रतीक है। यह त्योहार सूर्य देव के प्रति आभार ज्ञापन को दर्शाता है। किसानों की अच्छी लहलहाती फसल की खुशी को दर्शाता है। सहायक आचार्या ममता पारीक ने इस पर्व की महत्ता को समझाते हुए बताया कि देश के अलग-अलग राज्यों में यह पर्व भिन्न-भिन्न नामों ओर विधाओं से जाना जाता है। यह पर्व हमें ग्रीष्म के आगमन का संकेत देता हुआ वातावरण में खुशहाली भर देता है। सहायक आचार्य गिरिराज भोजक ने विचार प्रकट करते हुए बताया कि यह पर्व अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उत्तरायण में प्रवेश करने को समझाता है। इस पर्व के साथ खाएं जाने वाले व्यंजन और मिठाइयों का संगम भी मौसम के अनुकूल पथ्य और महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में विभाग के सभी सहायक आचार्य व छात्राएं उपस्थित रहीं।