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सचिन पायलट का आखिरी दांव- भ्रष्टाचार के खिलाफ 11 मई से अजमेर से जयपुर तक जन संघर्ष यात्रा, 125 किमी पैदल यात्रा में 5 दिन लगेंगे, सचिन पायलट ने किया उग्र रूप धारण, गहलोत को लिया आड़े हाथों, क्या होगा सचिन का अगला कदम, कयासों का बाजार गर्म

सचिन पायलट का आखिरी दांव-

भ्रष्टाचार के खिलाफ 11 मई से अजमेर से जयपुर तक जन संघर्ष यात्रा, 125 किमी पैदल यात्रा में 5 दिन लगेंगे,

सचिन पायलट ने किया उग्र रूप धारण, गहलोत को लिया आड़े हाथों, क्या होगा सचिन का अगला कदम, कयासों का बाजार गर्म

जयपुर (जगदीश यायावर)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की जुबानी जंग अब सड़कों पर आ रही है। उन्होंने मंगलवार को प्रेस से रूबरू होते हुए खुल कर अशोक गहलोत ही नहीं समूची कांग्रेसी व्यवस्था तक को आड़े हाथों लिया और उन्होंने राज्य में 125 किमी क पदयात्रा करने की घोषणा कर दी। अब इस पैदल यात्रा द्वारा उनके सड़कों पर उतरने को लेकर भी अनेक कयास लगाए जा रहे हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुमान हैं कि 3 दिवसीय इस पैदल यात्रा में आम जनता को गहलोक, कांग्रेस और वसुंधरा राजे के खिलाफ संदेश देने के बाद उनका अंतिम वार कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लेना हो सकता है। सचिन पायलट के भाजपा के साथ होने का मतलब है कि प्रदेश में अनेक समीकरण अकस्मात ही बदलने वाले हैं। लोग इसकी उधेड़बुन में लग चुके हैं। यह तो स्पष्ट है कि सचिन पायलट अब गहलोत के नेतृत्व में या उनके साथ मिलकर किसी भी हालत में चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसी स्थिति में उनकी आगामी रणनीति क्या रहेगी। उन्होंने या उनके समर्थक विधायकों ने कैसी राजनीति अपनाने की सोच रखी है। वसुंधरा से उनका विरोध है और गहलोत से तो गहरा विरोध जगजाहिर हो चुका है। अब तीसरा रास्ता उनका क्या होगा, इस पर सबका चिन्तन चल रहा है। हालांकि पायलट ने कहा है कि ‘कई लोग चाहते हैं कि कांग्रेस कमजोर हो, उसमें फूट पड़े। विधायकों को बदनाम करने चरित्र हनन करने की कोशिश हो रही है। कई लोग बदनाम करना चाहते हैं, यह बदनामी हम होने नहीं देंगे। जनता के मुद्दों पर हमारा जो स्टैंड पहले था वह आगे रहेगा।’

गहलोत पर गहरे वार

सचिन पायलट ने गहलोत द्वारा सोमवार को सचिन पायलट समर्थक विधायकों पर भ्रष्टाचार के लगाए आरोपों और 10 से 20 करोड़ की राशि अमित शाह से लेने की बात कह कर खुद ने भी उनको ये करोड़ों रूपए देने का इशारा तक कर दिया था। गहलोत के इन सभी आरोपों का मंगलवार को सचिन ने खुलकर जवाब दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा अपनी ही पार्टी के विधायकों पर सीधे भ्रष्टाचार के आरोप जड़ने को आश्चर्यजनक मानते हुए कहा कि ‘‘पहली बार देख रहा हूं कि कोई अपनी ही पार्टी के सांसदों और विधायकों की आलोचना कर रहे हैं। भाजपा नेताओं की तारीफ और कांग्रेस नेताओं का अपमान मेरी समझ से बाहर है। यह पूरी तरह गलत है।’’ उन्होंने अशोक गहलोत के प्रत्युत्तर में कहा कि, जिन लोगों का राजनीतिक जीवन पैसे के दम पर पनपा हो, उन्हें पैसा ही दिखाई देता है। पायलट ने कहा, ‘‘किसी पर भी आरोप लगा दो कि हजार करोड़ खा गया, एक लाख करोड़ खा गया, इसका कोई मतलब नहीं है। अगर पब्लिक लाइफ में किसी के पास कोई तथ्य, प्रमाण है, तो कार्रवाई कर देनी चाहिए थी। अब तक वह क्यों नहीं की गई। जिन लोगों का पूरा राजनीतिक जीवन सिर्फ पैसे के दम पर पनपा हो, शायद उनको हर चीज में पैसा दिखाई देता है। ऐसा नहीं है, पब्लिक जज्बात और इमेज भी कोई चीज होती है। जिन लोगों की राजनीति सिर्फ पैसे के दम पर चलती आई हो, उन्हें अगर हर चीज में पैसा दिखता हो तो इसका मेरे पास कोई इलाज नहीं है।

कांग्रेस से टूट चुकी पूरी तरह उम्मीद

पायलट ने अब तक के अपने प्रयासों दिल्ली जाकर बात करने, कई महिनों तक वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार की जांच सम्बंधी चिट्ठियां लिखने, अनशन पर बैठने आदि के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं होने से पूरी नाउम्मीदी जताई है। इससे स्पष्ट संकेत है कि वे कांग्रेस के नीचे से ऊपर तक की पूरी व्यवस्थाओं से पूरी तरह से उपेक्षित हो चुके हैं। उन्होंने इसके जवाब में कहा, ‘‘जनता के सामने सभी को नतमस्तक होना रहेगा। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ 11 मई को अजमेर से जयपुर तक यात्रा निकालेंगे। 125 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा होगी और इसमें 5 दिन का वक्त लगेगा।’’ पायलट ने गहलोत पर अपने जवाबी हमले में उनके द्वारा वसुंधरा के नेतृत्व में काम करने का आरोप लगाया और कहा कि ‘‘मुख्यमंत्री की बातों से लगता है कि उनकी नेता वसुंधरा राजे हैं, सोनिया गांधी नहीं।’’ पायलट ने कहा- परसों धौलपुर में मुख्यमंत्री का भाषण हुआ। उस भाषण को सुनने के बाद यह लगता है कि मुख्यमंत्री की नेता सोनिया गांधी नहीं है, बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया हैं। एक तरफ यह कहा जा रहा है कि बीजेपी हमारी सरकार को गिरा रही थी, दूसरी तरफ कहा जाता है कि सरकार को बचाने का काम वसुंधराजी कर रही थीं। यह जो विरोधाभास है, इसको समझाना चाहिए। आप कहना क्या चाह रहे हैं? यह स्पष्ट कर देना चाहिए।

जिन्होंने सीएम बनाया, उनको ही कोसना किया शुरू

सचिन पायलट ने कहा है कि अपने नेताओं को खुश करने के लिए बहुत सारे लोग बहुत सारी बातें करते हैं, चुगली करते हैं। ऐसी बातें मुझसे भी की जाती हैं, लेकिन मैं मंच पर ये कहूं तो यह शोभा नहीं देता है।’’ पायलट का कहना है कि, ‘‘आरोप लगाना आसान होता है, लेकिन पब्लिक को जवाब देना मुश्किल होता है। कांग्रेस के विधायकों, जिनके दम पर हम मुख्यमंत्री बने हैं, सोनिया गांधी जिनके आशीर्वाद से हम मुख्यमंत्री बने, उन्हीं को बदनाम कर रहे हैं। उन्हीं की आलोचना कर रहे हैं, उन्हीं को बदनाम कर रहे हैं तो छह महीने बाद क्या पब्लिक उनसे सवाल नहीं पूछेगी? ऐसे निराधार आरोप गंभीर राजनीति का परिचय नहीं हैं।
गहलोत अनुशासन हीनता के अग्रणी रहे
सचिन ने कहा है कि उन पर गहलोत ने देशद्रोह के मुकदमे में कार्रवाई की कोशिश की। उन्होंने अपनी काबिलियत को याद दिलाते हुए कहा कि, आपको पता है, सरकार बनने के बाद मैं उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष था। 2020 में मुझ पर राष्ट्रद्रोह के मुकदमे में कार्रवाई करने की कोशिश की गई। अनेक ऐसे प्रकरण हुए। मैं और मेरे साथी सरकार में नेतृत्व परिवर्तन करना चाहते थे और अपनी बात लेकर दिल्ली गए थे। हमने अपनी बातों को रखा। उसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने लगातार चर्चा की और अहमद पटेल के माध्यम से सबसे मुलाकात की। एआईसीसी ने कमेटी का गठन किया, जिसमें माकन और वेणु गोपाल जी सदस्य थे। उस कमेटी ने हम सबकी बातें सुनी। उस कमेटी के बाद हम सबने लगातार कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए काम किया, जी-जान से कोशिश की और मेहनत की। ढाई साल का जो कार्यकाल निकला, इस बात का प्रतीक है अनुशासन तोड़ने का काम कभी भी किसी ने नहीं किया।

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