छिंपोलाई में वन विभाग की गंभीर लापरवाही आई सामने, लोगों को दिया अतिक्रमण का अवसर,
मेड़बंदी, तारबंदी सहित सभी कार्यों में घोटाला, छिपोलाई की जमीन नगर पालिका की लेकिन कोई परमिशन नहीं ली
जगदीश यायावर। लाडनूं ()। यहां छिपोलाई क्षेत्र में वन विभाग द्वारा वन प्राणी प्रबंधन फंड (कैम्पा फंड) के तहत जलवायु परिवर्तन एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान किए जा रहे कार्यो में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। इस संबंध में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रदेश सदस्य एडवोकेट जगदीशसिंह राठौड़ ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर कार्य की मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारियों की मिलीभगत से राजस्व राशि के दुरूपयोग को रोकने की मांग की गई है। इसी प्रकार पार्षद बाबूलाल प्रजापत, मुरलीधर सोनी, बच्छराज नागपुरिया, सुमन खींची, लूणकरण शर्मा, विजयलक्ष्मी पारीक, सुरेन्द्र जांगिड़ आदि ने भी पालिकाध्यक्ष रावत खां और ईओ जितेन्द्र कुमार मीणा के पास शिकायत की है और वन विभाग के कार्य पर आपति जताई है।
मेड़बंदी कार्य में भारी कोताही बरती गई
राठौड़ ने पत्र में लिखा है कि करीब 16.90 लाख रूपयों के खर्च से 40 हैक्टर जमीन में 1163 मीटर तारबंदी की जानी थी और 3400 मीटर में खाई खोदकर मिट्टी की मेडबंदी की जानी थी। इस कार्य में पूरी तरह लापरवाही बरती गई है। इस राजकीय भूमि के समीपस्थ काश्तकारी जमीन से 10 से 20 फुट तक की दूरी पर खाई खुदाई करके मेडबंदी की गई है। जिससे खेत मालिकों को अपनी सींव उन डोलों तक खिसकाने का अवसर आसानी से मिल गया है। इसी तरह कई स्थानों पर खाई खुदाई का काम नाम मात्र किया गया है। जिससे जानवरों की रोकथाम हो ही नहीं सकती। वहीं तारबंदी की हालत को इससे भी दयनीय है। तार बांधने के लिए लगाए गए पोल ना तो जमीन में रोपे गए हैं केवल मेड़बंदी की मिट्टी में ही टिके हुए हैं। जो तेज हवा चलने पर मिट्टी हटने के कारण झुक चुके हैं। इसी कारण इन पर लगाया गया कांटेदार तार भी जमीन से सटे हुए पड़े हैं। यह कांटेदार तार भी आवारा पशुओं को रोकने के लिए निरर्थक हैं।
अधिकारियों की मिलीभगत और गबन भी
इस संबंध में वन रक्षक मनोज चैधरी को सही रूप से तारबंदी करवाने तथा मेड़बंदी कार्य के लिए संबंधित ठेकेदार को उचित स्थान पर करने तथा खाई की गहराई नियमानुसार करने के लिए पाबंद करने की मांग की गई, लेकिन इसके बावजूद किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ। इसके पश्चात रेंजर सीमा इनाणिया को भी अवगत करवाया गया, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इससे प्रतीत होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से नाममात्र कार्य कर गबन किया जा रहा है। उन्होंने इस सम्पूर्ण कार्य की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग करते हुए दोषी अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग की है वहीं संबंधित एवं ठेकेदार से वसूली की मांग की है।
पार्षदों ने की पालिकाध्यक्ष को शिकायत
छिपोलाई में वन विभाग द्वारा पौधे लगाने के लिए चलाए गए कार्यक्रम में लापरवाही के चलते सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा होने के संबंध में पार्षदों ने एकजुट होकर पालिकाध्यक्ष रावत खान एवं अधिशासी अधिकारी को शिकायत की। पार्षदों ने बताया कि सरकारी भूमि पर वन विभाग द्वारा बिना मेड़बंदी बिना सीमांकन के की गई है। जिसका नाजायज लाभ वहां के काश्तकार कभी भी उठा सकते हैं। इसके लिए सही समय पर कारगर कदम उठाना अति आवश्यक है, ताकि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण नहीं हो सके। पार्षद बाबूलाल प्रजापत ने बताया कि पूर्व में भी छिंपोलाई में अवैध कब्जा किया हुआ है। अब वन विभाग की लापरवाही से इस तरह की घटनाएं हो सकती है। ज्ञापन देने वालों में पार्षद मुरलीधर सोनी, बच्छराज नागपुरिया, सुमन खींची, लूणकरण शर्मा, विजयलक्ष्मी पारीक, सुरेन्द्र जांगिड़ आदि शामिल थे।
इनका कहना है-
नगरपालिका की भूूमि में राजस्व विभाग क्या करे
छिपोलाई की भूमि नगरपालिका क्षेत्र में है। वर्तमान में वन विभाग द्वारा करवाई गई मेड़बंदी मूल सीमा को छोड़कर की गई है। इसमें हस्तक्षेप नगरपालिका प्रशासन कर सकता है। राजस्व विभाग की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
– किशनाराम जाट, पटवारी, लाडनूं।
ठेकेदार को पाबंद किया जाएगा, एक माह बाद लगेंगे पौधे
राजस्व भूमि की सीमा को छोड़कर जहां मेड़बंदी की गई है। उसमें कंटीले पौधे लगाए जाएंगे। किसी भी काश्तकार को अतिक्रमण नहीं करने दिया जाएगा। मेड़बंदी व कंटीले तार के कार्य में जो कमी रही है। उसे दूर करवाने के लिए ठेकेदार को पाबंद करवाया जाएगा। इस क्षेत्र में पौधे एक माह बाद लगाने का कार्यक्रम है। पौधे लगाकर पुनः भूमि नगरपालिका को सुपूर्द कर दी जाएगी।
– सुनील कुमार, जिला वन अधिकारी, नागौर।
वन विभाग से बात कर निराकरण होगा
छिपोलाई क्षेत्र के मामले में जानकारी नहीं है। मेरे यहां कार्यभार संभालने से पूर्व ही वन विभाग को स्वीकृति जारी होने की जानकारी मिली है। पार्षदों ने यहां मेड़बंदी बिना सीमांकन के होने की शिकायत की है। इस संबंध में जांच कर वन विभाग से बातचीत कर समस्या का निराकरण करवाया जाएगा।
– जितेन्द्र मीणा, अधिशासी अधिकारी, नपा लाडनूं।