जुआ-सट्टा के अड्डा बने लाडनूं में पुलिस की सख्त कार्रवाई जरूरी, फिर एक खाईवाल को दबोचा,
सक्षम रोक के लिए सच्चे मन से व्यापक व गोपनीय कार्रवाई आवश्यक
जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। लाडनूं शहर काफी बरसों से जुआ-सट्टा का अड्डा बना हुआ है। आंक-दड़ा की खाईवाली का तो लाडनूं को गढ समझा ही जाता है। क्रिकेट, चुनाव और यहां तक कि बरसात और बादलों की आवाजाही तक के सौदे यहां करोड़ों के हो जाते हैं। आधुनिक मशीनों, कम्प्यूटरों, ढेरों मोबाईलों और सिमों आदि इंस्ट्रूमेंटों से इन जुए की समस्त कार्रगुजारियों का संचालन होता है। इन जुआ संचालकों द्वारा पुलिस के बचने और हर उस मार्ग में आवागमन करने वाले हर एक की निगरानी के लिए इनके केन्द्रों पर सीसी टीवी कैमरे तक लगाए हुए रहते हैं। ताश पती से जुआ भी लाडनूं में बहुत प्रचलित है।
इन सभी जगहों पर होती है खुली खाईवाली
आंक-दड़ा से जुए की खाईवाली के लिए इन बड़े जुआरियों ने अपने खाईवाल एजेंट छोड़ रखे हैं। ये एजेंट बस स्टेंड, राहूगेट, राहूकुआ, करंट बालाजी मंदिर, डीडवाना रोड पुलिया, रेलवे स्टेशन, तेली रोड, सदर बाजार, झंडा चौक, गांधी चौक, जावा बास, वाटर वर्क्स आदि लाडनूं के विभिन्न स्थानों पर मंडराते हुए मिल जाएंगे। इनकी जेब में पर्ची, पेन और रूपए रहते हैं। दैनिक मजदूर, जूते-चप्पल सिलाई करने वाले, चाय-पकौड़े या चाट भंडार, सब्जी विक्रेता, ठेला-केबिन से धंधा करने वाले, छोटे दुकानदार और विद्यार्थी वर्ग अधिकांशत: इनका शिकार बनते है़ और अपनी रोज की मेहनत की कमाई को अधिक मिलने व कई गुना होने की आशा में गंवा डालते हैं। गरीब लोग 1 के 80 के चक्कर मे पड़कर अपने परिवार को बर्बाद कर रहे हैं। लोगों की अपने खून पसीने मेहनत की कमाई को ये सट्टेबाज लूट ले रहे हैं।
बहुत बार हो चुकी पुलिस कार्रवाई
जिला पुलिस ने कई बार स्थानीय पुलिस को बिना सूचना दिए गुप्त रूप से कार्रवाई करके बड़ी मात्रा में इंस्ट्रूमेंट्स और जुआरियों की धरपकड़ की है। पर जमानत होने व कुछ समय बाद फिर वही कारोबार शुरू हो जाता है। कई बार स्थानीर पुलिस इनकी बाजार से पैदल गुजार कर बिंदौरी भी निकाल चुकी। लेकिन, अधिकांश मामलों में पुलिस मौके पर ही जमानत-मुचलके लेकर छोड़ देती है। बाद में कोर्ट में मामूली जुर्माना भर कर वे मुकदमे से फ्री हो जाते हैं। इसी स्थिति का फायदा उठा कर पुलिस को खानापूर्ति के लिए यहां के बड़े जुआरी अपने भाड़े के आदमी देकर उसे पकड़वाते हैं। ऐसे लोगों को 2 हजार रुपये रोज के इनके द्वारा दिए जाते हैं और जमानत की व्यवस्था भी खुद करते हुए ये अपने आदमियों से दिलवा देते हैं। यह सब बिना मिलीभगत के तो संभव नहीं होता। पुलिस को अगर जुआ-सट्टा वास्तव में बंद करवाना हो तो निष्पक्ष होकर पूरी रेकी करवा कर आकस्मिक दबिश देकर इन पर हाथ डालना चाहिए, अन्यथा खानापूर्तियां तो सदा से ही चलती आई है।
फिर पकड़ा सौदे का एक खाईवाल
पुलिस ने फिर एक और आंक-दड़े के खाईवाल को दबोचा है। 13 मई को डीडवाना पुलिया के पास अंक लिखी पर्ची, पेन व जुआ राशि 250 रुपए नगद बरामद कर खाईवाली लिखते हुए शमसुल हक (29) पुत्र फिरोज तेली निवासी बार्ड नम्बर 24 लाडनूं को गिरफ्तार किया है। उसके विरुद्ध सार्वजनिक स्थान पर जुआ खिलाने को लेकर धारा 13 आरपीजीओ के तहत मामला दर्ज किया है। मुलजिम डीडवाना रोड पर पुलिया के पास की मुख्य सड़क पर खड़े होकर पर्ची पर अंक लिखते-लिखवा रहा था।पुलिस पार्टी को बावर्दी देख कर वह अपना चेहरा फेर कर रवाना होने लगा, लेकिन पुलिस ने पीछा कर धर दबोचा। पुलिस ने मुल्जिम शमसुल हक की जमानत जामिन आबिद हुसैन पुत्र मोहम्मद इब्राहिम निवासी वार्ड नम्बर 21, पोस्ट आफिस के पीछे लाडनूं की जमानत और खुद का मुचलका स्वीकार करके रिहा किया गया।