लाडनूं की ज्वलंत समस्या-
लाडनूं के सरकारी विभागों के सामने से गुजरता गंदे पानी का नाला बना प्रशासन के लिए आफत,
पदमपुरा के ग्रामीण आंदोलन को तैयार तो शहर के लोग भी देंगे नगर पालिका के सामने धरना, दोनों ओर से लगे ज्ञापन
जगदीश यायावर। लाडनूं ()। शहर भर का गंदा पानी प्रशासन के लिए गले की हड्डी बन चुका है।चाहे नगर पालिका प्रशासन हो या उपखंड प्रशासन सबके लिए चिंताजनक हालात पैदा हो चुके हैं। प्रशासन के लिए यह समस्या ऐसी हो चुकी है, जैसे न उगलते बन रहा और न निगलते। अब करे, तो क्या किया जाए। आसोटा और पदमपुरा के लोग इस पानी को शहरी क्षेत्र में ही कहीं रोके जाने की मांग पर अड़े हुए हैं और शहर के वार्डवासी इस नाले के गंदे पानी को यहां कहीं भी आसपास में रोके जाने या भराव किए जाने का जमकर विरोध कर रहे हैं। प्रशासन के सामने इस समस्या का कोई सर्वसम्मत हल निकाले जाने की चुनौती बनी हुई है। ऐसा समाधान खोजना होगा कि शहर और गांवों सभी के लिए इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सके। सरकारी विभागों के सामने भी गंदा पानी भरा है तो हाईवे पर पुलिया के पास भी एक बड़े भूखंड पर गंदे पानी की झील बनी हुई है। शहर में प्रवेश करने वालों को सबसे पहले बदबू के मारे नाक बंद कर लेना पड़ता है। यह गंदा पानी यहां के राजनेताओं व प्रशासन के मुंह पर पुती हुई कालिख साबित हो रहा है।
बरसों से किया जाता रहा है इस समस्या को अनदेखा
यह समस्या कोई आज की नहीं है, पिछले कई बरसों से बनी होने के बावजूद इस ओर प्रशासन गंभीर नहीं हुआ और कोई समाधान नहीं निकाला गया। इस तरह इसे अनदेखा किए जाने के कारण ही अब यह विकराल रूप में सामने आई है। इससे पूर्व आसोटा सरपंच हरदयाल रूलानिया ने बहुत बार समाधान के लिए आवाज उठाई, अधिकारियों को मौका दिखाया, भरपूर भरोसा दिलाया गया, लेकिन हर भरोसा टूटता गया और आज भी वह समस्या बनी हुई है और बदतर भी बन चुकी है। आसोटा व पदमपुरा गांवों के लोग सड़कों पर आए, धरना दिया, रास्ता रोका, लेकिन आश्वासन देकर हर बार नगर पालिका ने उनके साथ विश्वासघात किया। अब बरसात में यह समस्या विकराल हो चुकी है। पदमपुरा और आसोटा में ही नहीं पाबोलाव के पवित्र सरोवर और सिद्ध हनुमत्पीठ के मंदिर परिसर के लिए भी संकट बन चुकी है। यह सरोवर और मंदिर सैंकड़ों साल पुराना आस्था का केंद्र बना हुआ है और तालाब का पानी पीने के काम आता रहा है। यहां पानी दूषित होने का खतरा मंडराने लगा है। लाडनूं शहर का गंदा पानी लगातार आगे बढ़ता जा रहा है, नगर पालिका लगता है पूरी तरह लाचार हो चुकी है।
नगर पालिका के सामने धरना देंगे पदमपुरा के लोग
आसोटा व पदमपुरा के लोगों ने पंचायत समिति सदस्य खींवाराम घिंटाला के नेतृत्व में उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देकर उनके गांव में गंदा पानी छोड़े जाने से होने वाली समस्या से अवगत करवा कर समाधान की मांग की है। उन्होंने नगरपालिका लाडनूं के गंदे पानी के नाले का पानी का भराव ग्राम पदमपुरा, आसोटा में होने से हो रही समस्याओं पर कार्यवाही की मांग करते हुए बताया है कि नगरपालिका लाडनूं के गन्दे पानी के नाले का पानी उपखण्ड कार्यालय के सामने से होकर जाता है, जो ग्राम पंचायत आसोटा के ग्राम पदमपुरा की तरफ मुख्य सड़क के उपर उपर चल रहा है एवं उक्त पानी ग्राम के आसपास इकट्ठा हो जाने से भंयकर समस्याएं हो रही है। यह गन्दा पानी लाडनूं से पदमपुरा की तरफ सड़क के उपर उपर व पास-पास आता है, जिससे इस गन्दा पानी के सड़क पर होने से कई दुर्घटनाएं भी हो रही है। यह गन्दा पानी वर्तमान में चालू है एवं गन्दा पानी का भराव ग्राम पदमपुरा, आसोटा के सामने हो गया है एवं यह गन्दा पानी आगे पवित्र धाम पाबोलाब बालाजी तालाब में भी जाने लगा है तथा इस गन्दा पानी के भराव से ग्राम के लोगों का खेतों की तरफ आवागमन बन्द हो रहा है। गन्दे पानी से ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो गया है एवं ग्रामीण भंयकर बीमारियों की चपेट में आ रहे है। इस समस्या के समाधान हेतु ग्रामीणों द्वारा पहले भी ज्ञापन पेश किए जा चुके व नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी लाडनूं को भी ज्ञापन दिया गया था, लेकिन नगरपालिका इस भंयकर समस्या का कोई समाधान नहीं कर रही एवं इस और कोई ध्यान नहीं दे रही है। नगरपालिका लाडनूं द्वारा छोड़े जा रहे इस गन्दे पानी को लाडनूं सरहद में ही रूकवाया जाकर समाधान किया जाए। नगरपालिका को इससे बार-बार अवगत करवाए जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं करने को लेकर उन्होंने ज्ञापन में नगरपालिका के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करवाने की मांग की है, साथ ही अन्यथा ग्रामीणों के आन्दोलन पर उतरने एवं नगरपालिका का घेराव किया जाकर अनिश्चितकालीन धरना देने की चेतावनी दी गई है। इस ज्ञापन को देने वालों में पंचायत समिति सदस्य खींवाराम घिंटाला, जगन्नाथ जाट, सदासुख, राजू, जयराम, प्रेमाराम, श्रवणराम, नरपाल आदि शामिल थे।
शहरी लोगों ने भी नगर पालिका के सामने धरने की धमकी दी
एक तरफ ग्रामीणों ने पदमपुरा, आसोटा व पाबोलाव में जाने से पानी को रोकने और शहर की सीमा तक ही रखें जाने पर जोर देते हुए आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं मंगलवार को शहर के नगर पालिका के उपाध्यक्ष सहित नागरिकों ने एसडीएम को ज्ञापन देकर शहरी वार्ड क्षेत्र में गंदे पानी को रोके जाने का विरोध किया है। इस सम्बंध में दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि वार्ड सं. 39 में शहर के गंदे पानी की निकासी किए जाने से रुकवाई जाए। वार्ड सं. 39 के लोगों ने मंगलवार को एकत्र होकर उपखंड अधिकारी मिथलेश कुमार को यह ज्ञापन सौंपा और बताया कि नगर पालिका द्वारा शहर की निकासी का गंदा नाला वार्ड संख्या 39 में छोड़ने की प्रक्रिया की जा रही है। जिसका वार्ड के सभी लोग विरोध कर रहे हैं। नगर पालिका द्वारा बिना अनुमति के ही वार्ड नंबर 39 में गंदे पानी की निकासी करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इससे समस्या कम होने के बजाय अधिक गंभीर हो जाएगी। अगर यह गंदा पानी वार्ड में छोड़ा गया तो सभी वार्डवासी नगर पालिका के समक्ष धरना देंगे। इस वार्ड में ईदगाह व स्कूल होने से नमाजी व विद्यार्थियों को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। वहीं वार्ड के लोगों को मौसमी बीमारियों एवं मच्छरों से बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाएगा। वार्ड के लोगों ने प्रशासन द्वारा जबरदस्ती वार्ड नंबर 39 में नाला निकालने का विरोध किया है। यह ज्ञापन देने वालों में नगर पालिका के वाइस चेयरमैन मुकेश खींची, पार्षद मोहम्मद नदीम, पार्षद प्रतिनिधि कामरान बडगूजर, कांग्रेस नेता अयूब खान मोयल सहित वार्ड के लोग मौजूद रहे।
आंखें-नाक बंद कर गुजरते हैं सभी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी
इस समय जहां पदमपुरा में सड़कों और रास्ते में गंदा पानी भर गया है, वैसे ही यहां के प्रशासनिक विभागों के सामने भी इस गंदे पानी के भराव से हालात बदतर बन चुके हैं, लोगों का आवागमन प्रभावित हुआ है और वहां केबिन लगा कर चाय ढाबे चलाने वाले भी खासे परेशान हैं। सभी कर्मचारियों और नागरिकों के लिए यह परेशानी का कारण बन चुका है। नगर पालिका ने कभी यहां पम्प-हाउस बनवाया, वह नाकारा सिद्ध हुआ है। लाडनूं शहर का गंदा पानी लगभग सारा रेलवे लाईन के नीचे से होकर दिन-रात चौबीसों घंटे बहता और अवरुद्ध नाला पीडब्ल्यूडी आफिस व डाक बंगला, पंचायत समिति कार्यालय, उपखंड व तहसील कार्यालय, पुलिस थाना, पशु चिकित्सालय आदि के सामने से गुजरता है। इतने सारे प्रशासनिक अधिकारियों व उपखंड स्तर के सभी प्रमुख कार्मिकों के रोजमर्रा देखने व परेशानियों से रूबरू होने के बावजूद समस्या के समाधान के बारे में कोई नहीं सोचता, सबकी आंखें और दिमाग बंद रहते हैं। यह गंदे पानी का नाला नगर पालिका कभी-कभार ही साफ करवाती है और साफ करने के बाद भारी मात्रा में निकाला गया कचरा तो उठाया ही नहीं जाता और वह कचरा वापस नाले में ही समा जाती है। आखिर नाकारा नगर पालिका कब इसका समाधान खोज पाएगी?