रताऊ से लापता हुई नाबालिग लड़की ने मोड़ कर रख दी लाडनूं के लोगों की सोच,
सोशल मीडिया में बदले-बदले स्वर लाडनूं की राजनीति की दिशा बदल रही है,
आइए लोगों के दिलों में पक रही खिचड़ी का स्वाद चखें
लाडनूं। तहसील के ग्राम रताऊ से गायब हुई नाबालिग लड़की के लिए श्री आनंद परिवार सेवा समिति के अध्यक्ष मंजीत पाल सिंह एवं उनकी टीम के प्रयासों से उसे चौथे दिन डीडवाना से तलाश कर लिया गया, लेकिन यह घटना अपने पीछे बहुत से सवाल छोड़ गई। 4 दिन से लापता बालिका सकुशल डीडवाना हॉस्पिटल चौराहे पर सूचना मिलने पर रोडवेज बस से उतार लिया गया। इसके लिए श्री आनंद परिवार सेवा समिति ने सर्व समाज के लोगों के सहयोग के लिए आभार जताते हुए पुलिस प्रशासन को भी धन्यवाद दिया है। इस घटना का वैसे तो पटाक्षेप हो गया, पर पीछे से जो प्रतिक्रियाएं शुरू हुई, वो थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इस मामले में लोग विधायक की चुप्पी को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। जाट समाज की बेटी होने के नाते और लाडनूं विधानसभा में सबसे ज्यादा जाट मतदाता होने के बाद भी विधायक ने इस मामले में अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और पूर्णतः संज्ञान में होते हुए भी इस मामले को उठाया भी नहीं। हाल ही के विधानसभा चुनाव में उन्हें जाट समाज ने लामबंद होकर वोट दिए बताते हैं और अपनी जाति के आधार पर उनके चुनाव जीतने की खासा चर्चाएं रही। इसके बावजूद उनके द्वारा इस जाट बेटी के लिए नहीं बोलना लोगों को रास नहीं आया। एक तयफ मनजीत पाल सिंह सांवराद ने इस मामले को उठाया और प्रशासन को धरना-प्रदर्शन तक की चेतावनी दे दी। सर्व समाज के लोगों ने इसमें अपनी जिम्मेदारी का अहसास करवाया।
क्या रुख रहा सोशल मीडिया का, एक बानगी
इस मामले के बाद लोगों की भावनाओं में आई तब्दीली को जानने के लिए सोशल मीडिया पर तेजी से चल रही प्रतिक्रियाओं पर एक नजर डालनी जरूरी है। बी.आर. चौधरी लिखते हैं- ‘अपराधियों पर कार्यवाही नहीं हुई तो वो समाज की किसी और बेटी को अपना शिकार बनाएंगे, आखिर जाट समाज के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता चुप क्यों है, आखिर हमारा समाज कब जाग्रत होगा, जाट समाज के आम आदमी को आगे आकर परिवार को न्याय दिलाना होगा भाई जी’
इस पर जेठाराम चौधरी बल्दू लिखते हैं- ‘समाज मरा हुवा है, क्या कर सकते हैं। युवा आवाज उठा सकता है, बाकी समाज के नेता का काम होता है। मुकेश भाकर की जिमेदारी थी, लड़की का पापा न्याय चाहता था। समाज के नेताओ के साथ समाज का साथ नही मिला, पुलिस प्रशासन ने लीपापोती की थी।’
फिर बी.आर. चौधरी लिखते हैं- ‘मुकेश भाकर की भी कार्यशैली ऐसी ही है, तो दूसरों को क्या कहें, यह जमीर मरे हुए नेता हैं, जो समाज के नाम पर वोट लेते हैं और समाज को जरूरत पड़ती तब दूरी बना लेते हैं। अगर बीजेपी को वोट दिया होता, तो इससे अच्छा रहता।’
महीपाल मकराना ने लिखा हैं- ‘आप सिर्फ सोशल मीडिया से देख के ही बोल रहे हो या धरातल स्तर पर भी जाना है।’
जेठाराम चौधरी बल्दू ही अपनी एक पोस्ट में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए लिखते हैं- ‘ पिछले 5 साल तो यह कहकर निकाल दिए कि मेरी एसपी नहीं सुनता, मेरी कलेक्टर नहीं सुनता। अब आने वाले 5 साल में क्या होगा, पता नहीं। एक 13 साल की लड़की का लापता हो जाना और 4 दिन तक बयान तक नहीं आना, थोड़ा चिंतित करता है। हर छोटे से काम के लिए समाज को हनुमान जी (बेनीवाल) के पास नागौर जाना पड़ रहा है। समाज के नाम पर वोट लेकर समाज किस दिशा में जा रहा है।’
विधायक को लोगों द्वारा जन्मदिन की शुभकामनाएं देने पर प्रतिक्रिया के रूप में रामावतार बिडियासर रताऊ लिखते हैं- ‘माननीय विधायक साहब लाडनूं की जनता ने आपको जन्मदिन की मुबारक देने के लिए नही चुना है बेटीपिंकी (रताऊ) को लापता हुए 4 दिन हो गए आपने बिलकुल एक्शन नही लिया है पोस्ट तक नही किया आपने।’
प्रेम चौधरी लिखते हैं- ‘माननीय विधायक साहब लाडनूं की जनता ने आपको जन्मदिन की मुबारक देने के लिए नही चुना है। बेटी पिंकी (रताऊ) को लापता हुए 4 दिन हो गए आपने बिलकुल एक्शन नही लिया है, पोस्ट तक नही किया आपने।’
इसी प्रकार कैलाश चौधरी का कहना है- ‘माननीय विधायक साहब लाडनूं की जनता ने आपको जन्मदिन की मुबारक देने के लिए नही चुना है। बेटी पिंकी को लापता हुए 3 दिन हो गए, आपने बिलकुल एक्शन नही लिया है।’
पूर्णाराम जाट ने लिखा- ‘सही है, अबकी बार काम कोनी पड़ै।’
महेंद्र चौधरी रताऊ की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार आई। वे लिखते हैं- ‘शर्म की बात तो ये है कि रताऊ की बेटी 4 दिन से लापता है और आप जन्मदिन की मुबारकबाद देने में लगे हो। ये वही रताऊ की बेटी है, जिसने आपको चुनाव से पहले गांव आए, तब कितना मान-सम्मान दिया था। आज आपने दिखा दिया कि चुनाव से बढ़कर कुछ भी नही है।’
किस तरफ मुड़ रहा है आशा की किरण का रुख
अब एक नजर बच्ची के लापता होने के बाद सोशल मीडिया पर छाई इन प्रतिक्रियाओं पर भी डाल लेते हैं।
टायगर हनुमान बीरड़ा ने अपनी प्रतिक्रिया में पोस्ट किया- ‘विधायक महोदय ने लाडनूं विधानसभा से चुनाव जातिवाद की राजनीति करके जीता था। भाई को भाई से आपस में लड़ा कर, निम्न स्तर की राजनीति करके। मगर जब जाट समाज की बेटी लापता हो गई, तो विधायक ने एक पोस्ट तक नहीं की। सर्व समाज को लेकर चलने वाले मनजीत पाल सिंह सांवराद ने सबसे पहले मामले में संज्ञान लिया। पुलिस प्रशासन से बात की और पोस्ट करी और अपनी टीम को लगाया और पूरी तरह मदद की। हमें ऐसा जनसेवक चाहिए जो खुलेआम यह कहता है कि बहन बेटियों के लिए अगर मुझे गुंडा बनना पड़ा, तो मैं बनूंगा, मगर मेरी किसी बहन-बेटी की इज्जत पर आंच नहीं आने दूंगा और आज बता दिया कि मंजीत पाल सिंह सांवराद सर्व समाज के दिलों पर राज करता है। लाडनूं का एक-किंग मनजीत सिंह जाट समाज मनजीत पाल सिंह सांवराद को तहे दिल से धन्यवाद देता है।
इस पर मनजीत सिंह सांवराद ने वापस लिखा- ‘लाडनूं विधानसभा क्षेत्र के गांव रताऊ में नाबालिक बच्ची 3 दिन से लापता है, जिसकी एफआईआर लाडनूं थाने में दर्ज है। पुलिस प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। मेरा पुलिस प्रशासन से निवेदन है कि जल्द से जल्द बच्ची का पता लगाएं। अगर प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है तो जल्द सर्व समाज के साथ आंदोलन करेंगे। जय_श्री_आनंद।’
इन सारी बदलती परिस्थितियों ने लोगों की सोच को भी बदला है। हाल ही के विधानसभा चुनावों के बाद अब जातिवादी राजनीति पीछे छूट चुकी है। लोग समझ चुके हैं और जातिवादी रूझानों से मोह भंग हो चुका है। अब जाट समाज के युवा भी अपने जाट नेता को छोड़ कर सर्व समाज के हितैषी मनजीत पाल सिंह सांवराद के समर्थन में पोस्ट करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर विधायक के खिलाफ मुखर हो रहे इन युवाओं की पोस्ट पढ कर लगता है कि क्षेत्र का माहौल बदलाव के मूड में है। इसका असर आने वाले विभिन्न पंचायत राज व निकाय चुनावों में भी बदलाव के रूप में नजर आ सकता है। लोगों को यह भी प्रतीत होने लगा है कि मनजीत पाल सिंह सांवराद इस लाडनूं क्षेत्र में सबको साथ लेकर दीन-दुखियों की मदद के लिए जिस प्रकार अग्रणी बने हुए हैं, इससे उनमें क्षेत्र की दशा और दिशा बदल सकने की पूरी गुंजाइश नजर आने लगी है।