जो नेकी की राह चलेगा, उसे दुनिया याद करती रहेगी – मौलाना हाजी रईस अहमद
मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर)। पर्यावरण प्रेमी व समाजसेवी मरहूम हाजी गुलाब खान के इसालेशवाब के लिए यहां महफिल का आयोजन रखा गया है। इस अवसर पर मौलाना हाजी रईस अहमद ने अपनी नूरानी तकरीर के माध्यम से मिलाद में उपस्थित लोगों को समझाया कि यह दुनिया चार दिनों की है, आखिर में सबको जाना है, कोई पहले जाएगा, कोई बाद में जाएगा, इसीलिए अल्लाह की राह में कार्य करते हुए भलाई और अच्छे कार्य करते रहना चाहिए। जिस तरह पर्यावरण प्रेमी, समाजसेवी हाजी गुलाब खान हमें छोड़कर दुनिया से चले गए। उनके इसालेशवाब के लिए आयोजित इस महफिल में नेकी की राह को सबके लिए समझना जरूरी है। उन्होंने बताया कि मरहूम हाजी साहब ने अपनी जिंदगी में अच्छे कार्यों में अपनी ओर से बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और हर संभव मदद की और उनके सभी काम कामयाब भी हुए। इसीलिए उनके जाने के बाद आज दुनिया उन्हें याद करती हैं और आने वाली पीढ़ी भी इनको याद करेगी। कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना नईम अख्तर ने ‘मेहबूब की महफिल को मेहबूब सजाते हैं’ की तकरीर के साथ किया गया। उन्होंने ‘जो हो चुका है, जो होगा हुजूर जानते हैं’ नात शरीफ पेश करते हुए कहा कि मां जन्नत होती हैं और बाप जन्नत का दरवाजा होता है। इसीलिए मां-बाप की खिदमत करने वाला जन्नत का हकदार होता है। हमें किसी भी हालत में सबसे पहले मां-बाप की सेवा करने का मौका हाथ से नहीं गंवाना चाहिए। मौलाना सोहराब आलम, नूरानी मस्जिद ने बेटियों की महिमा बताते हुए, ‘जिनके घर के आंगन में बेटियां नहीं होती’ नाते पाक कलाम पेश किया। मईनुदीन खोखर ने ‘मैं क्या बताऊँ कि क्या मदीना है, बस मेरा मुदआ मदीना है’ सुनाया। रौनक पंवार ने ‘अल्लाहुम्म स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना’ व मौलाना मुह़म्मदिन ने नातिया कलाम पेश कर लोगों की वाहवाही लूटी।उस्मान खोखर, अलीशेर खोखर, अल्लादीन खोखर, याकत अली ने भी नबी की शान में एक से बढ़कर एक नातिया कलाम पेश किए।
हजरत मौलाना हाजी रईस अहमद साहब मदीना मस्जिद, हजरत मौलाना नईम अख्तर साहब मदरसा गरीब नवाज, मौलाना सोहराब आलम साहब नूरानी मस्जिद ने कलाम पेश किये।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग देर रात तक उपस्थित रहे।