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अवैध कारोबार के शिकंजे में क्यों कसता जा रहा है लाडनूं (1) लाडनूं के माथे पर कलंक की कालिख- हाईवे के होटलों पर देह व्यापार का घिनौना जाल? क्या पुलिस तोड़ पाएगी इस जाल को? कितनी लड़कियां कहां से आती है और किन लोगों के लिए लाई जाती हैं होटलों में, कौन-कौन आ रहे हैं इनके चक्कर में?

अवैध कारोबार के शिकंजे में क्यों कसता जा रहा है लाडनूं (1)

लाडनूं के माथे पर कलंक की कालिख- हाईवे के होटलों पर देह व्यापार का घिनौना जाल? क्या पुलिस तोड़ पाएगी इस जाल को?

कितनी लड़कियां कहां से आती है और किन लोगों के लिए लाई जाती हैं होटलों में, कौन-कौन आ रहे हैं इनके चक्कर में?

खुफिया कलम। लाडनूं (kalamkala.in)। हाईवे पर बने अनेक होटल रहने-खाने के अलावा मौज-मस्ती के ठिकाने बनते जा रहे हैं। यहां अवैध शराब की खुलेआम बिक्री और पुरसगारी के साथ ही बात और आगे तक बढ़ चली है। इन होटलों में अनेक अन्य शहरों एवं ग्रामीण इलाकों से युवतियां आती हैं और देह-व्यापार के लिए उनका उपयोग किया जाता है। हाईवे पर आसोटा व पदमपुरा गांवों की तरफ से लेकर डीडवाना रोड और निम्बी जोधां रोड तक यह सब अवैधानिक गतिविधियों संचालित की जाती हैं। होटल वाले का कमीशन और घंटे के आधार पर कमरा उपलब्ध करवाया जाता है। इन कमरों में साथ बिताने वाले महिला-पुरुष किसी की भी आईडी और एंट्री इन होटलों के रिकॉर्ड में नहीं होती।

इस प्रकार होता है लड़कियों का धंधा

इन होटलों में लोग लड़कियों को साथ लेकर भी आते हैं और अकेले आने वाले को ये होटल व्यवसायी खुद भी लड़की उपलब्ध करवा देते हैं। जहां इनका चरित्रहीन पुरुषों से सम्पर्क और मित्रता होती है, वहीं ऐसी बाजारू और घरेलू जरूरतमंद महिलाओं एवं स्कूली छात्राओं तक से भी सांठ-गांठ रहती है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे बड़ी चिंताजनक बात यह है कि यहां स्कूलों में पढने वाली छात्राओं तक को लाया जाता है। बताया जा रहा है कि इन होटलों में अगर कोई जोड़ा आता है यानि कोई महिला किसी पुरूष के साथ आती है, तो होटल वाला एक हजार रूपए तक उनसे वसूल करते हैं और अगर कोई व्यक्ति अकेला आता है, तो उसके सामने महिला सप्लाई का प्रस्ताव रखा जाता है। होटल वाले ऐसी युवती को उपलब्ध करवाने के बदले उससे 3 से 5 हजार रूपए तक वसूल कर लेते हैं।

रंगरेलियों के बूते ही कमा कर खाते हैं कुछ होटल संचालक

यह तो सभी जानते हैं कि इन होटलों में कमरों और सुविधाओं के नाम पर जो इन्वेस्टमेंट किया जाता है, उसकी वसूली के लिए होटल में रुकने-खाने वाले इतने यात्री आदि इन्हें उपलब्ध नहीं होते। यहां के बिजली-पानी और सर्वेंट्स का खर्च तक चलाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन होटलों की आड़ में जो यह सब रंगरेलियां मनाने का सामान मुहैया करवाने का जो धंधा शुरू हुआ हैं, इससे इनको भारी मुनाफा होने लगा है। बिना किसी खौफ के चुपचाप चलने वाले इस धंधे के तगड़ा चल निकलने से इन होटल वालों के हौसले बढ़ चले हैं।

गोपनीय ढंग से सक्षम कार्रवाई जरूरी 

ऐसे होटल समाज में गंदगी फैलाने का काम कर रहे हैं। पुलिस व प्रशासन को इस तरफ सजग होने की जरूरत है। गुप्त रूप से ऐसी होटलों की जानकारी अपने विश्वस्त मुखबिर लगा कर प्राप्त करनी चाहिए। डमी ग्राहक बना कर भेजे जाकर इन होटलों पर दबिश देकर युवक-युवतियों को रंगे हाथों पकड़ा जा सकता है। लाडनूं एक धार्मिक नगरी के रूप में पहचानी जाती रही है, लेकिन इन लाईन होटलों ने लाडनूं के माथे पर कलंक की कालिख पोत डाली है।

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