राज्य स्तरीय क्षमतावर्धन व बजट पर प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न
गांवों के विकास के बिना देश का विकास अधूरा- एडवोकेट बैरवा
जयपुर। डॉ. अम्बेडकर मैमोरियल वैलफेयर सोसायटी में दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन राजस्थान व दलित अधिकार केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में दलित व आदिवसियों के पंचायतीराज जन प्रतिनिधियों का एक दिवसीय क्षमतावर्धन व बजट पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। शिविर में संदर्भ व्यक्ति व राज्य सरकार के सलाहकार पी.आर. शर्मा ने कहा कि ज्ञान ही ताकत है, जिस जन प्रतिनिधि के पास में पंचायतीराज की जानकारी होगी, वह उतना ही अपने गांव का विकास कर सकेगा। गांव का सच्चा विकास चाहते हो तो पंचायतीराज कानून पढंे व देश का संविधान पढे। इससे पंचायतीराज जन प्रतिनिधि ताकतवर बनेंगे। उन्होंने कहा कि पंचायतों का मुख्य कार्य पानी की व्यवस्था करना, गांव में साफ-सफाई का प्रबन्धन करना व गांव में रोशनी की उचित व्यवस्था करना है। गांव के विकास के लिए ग्राम विकास बजट योजना बनाने से पहले पूरे गांव, मौहल्ले, गलियों का भ्रमण करें तथा सामाजिक मानचित्र तैयार करे, समूह चर्चा कर समस्या चिन्हित करें, उसके बाद में ग्राम विकास के लिए योजना तैयार करें तथा कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर लिखे ताकि कोई महत्वपूर्ण विकास योजना से छुटे नहीं।
विकास के लिए चुनती है जनता
दलित अधिकार केन्द्र जयपुर के मुख्य कार्यकारी पी.एल.मीमरौठ ने कहा कि आजादी से पहले गांव के पंच ही निष्पक्ष न्याय करते थे, उनसे सभी गांव के लोग यह उम्मीद करते थे कि वो निष्पक्ष भूमिका अदा करेंगे। आजादी के बाद पंचों की शक्तिया ग्राम पंचायत में आ गई तथा ग्राम पंचायत का सरपंच व पंचों को गांव का विकास करने का व कई प्रकार के अधिकार मिल गये, जो आज व कर रहे है। बार्क के निदेशक नेसार अहमद ने कहा कि जनप्रतिनिधि को जनता विकास के लिए चुनती है, इसलिए जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी है कि वह चुनने के बाद में जनता की समस्या का समाधान करे। जाति, धर्म, क्षेत्र आदि से उपर उठ कर गांव का विकास करवाये। ग्राम पंचायत के स्तर पर जितने भी सरकारी विभाग हंै, शिक्षा, आंगनबाडी केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र, पटवार भवन आदि की निगरानी कर सरपंच व वार्ड पंच सुझाव दे सकते हंै तथा खामी निकलने पर सुझाव व सुधार के लिए दिशा निर्देश दे
सकते हंै।
वार्डसभा से शुरू प्रस्ताव राज्य सरकार तक पहुंचते हैं
सिकोईडिकोन सुश्री ममता शर्मा ने पंचायतीराज व बजट पर प्रकाश डालते हुये कहा कि बजट बनाने से पहले वार्डसभा में वार्ड से सम्बन्धित समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर प्रस्ताव लिखें, उसके बाद में उन प्रस्तावों को ग्रामसभा में अनुमोदित कर पंचायती समिति में भेजंे। पंचायत समिति पूरे ग्राम पंचायतों के प्रस्तावों को जिला विकास परिषद में भेजती है। उसके बाद में जिला परिषद उस बजट को ग्रामीण विकास पंचायतीराज विभाग को भेजता है। उसके आधार पर बजट पारित किया जाता है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में कुल बजट का 60 प्रतिशत बजट ग्राम विकास में व 40 प्रतिशत बजट मानव विकास में खर्च करना आवश्यक है। सरपंच दलित व जरूरत मंद लोगों को आवासीय पट्टे जारी करे ताकि दलितों को आबादी भूमि का कब्जा मिल सके। आपने राज. पंचायतीराज अधिनियम 1994 की धारा 55-क में ग्राम पंचायत स्तर पर पांच स्थायी समितियों जिनमें प्रशासन और स्थापना समिति, वित और कराधान समिति, विकास और उत्पादन समिति शिक्षा समिति, सामाजिक सेवाएं व सामाजिक न्याय समिति के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला व इनके महत्व समझाया
अजा-जजा विकास कोष कानून के नियम बनें
दलित अधिकार केन्द्र के निदेशक सतीश कुमार, एडवोकेट ने अनुसूचित जाति उपयोजना व जनजाति उपयोजना पर प्रकाश डालते हुये कहा कि यह राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के समुचित विकास के लिए सरकार ने अप्रेल 2022 में अनुसूचित जाति/जनजाति विकास कोष अधिनियम 2022 कानून लागू कर दिया है। इससे प्रदेश में दलितों की स्थिति में सुधार होगा। इसके लिए राजस्थान के सामाजिक संगठनों, कार्यकर्ताओं ने प्रयास किया व कानून बन गया, अब प्रयास है कि इस पर नियम बने ताकि कानून की सार्थकता साबित हो। दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन राजस्थान के राज्य समन्वयक चन्दा लाल बैरवा, एडवोकेट ने कहा कि देश के विकास के बिना देश का विकास सम्भव नही है, इसलिए पंचायती राज जनप्रतिनिधियों को अपनी ताकत पहचान कर गांवों का विकास करना चाहिए। प्रशिक्षण शिविर में अलवर, अजमेर, भरतपुर व दौसा जिले के जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच व वार्ड पंच 70 जनजप्रतिनिधियों ने प्रशिक्षण में भाग लिया।