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केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्री ने जैविभा संस्थान की प्राच्य विद्याओं व मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की, जैन विश्वभारती संस्थान के कुलपति सहित प्रतिनिधि मंडल ने उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से मिल कर प्राकृत को शास्त्रीय भाषा की मान्यता देने के लिए जताया आभार

केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्री ने जैविभा संस्थान की प्राच्य विद्याओं व मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की,

जैन विश्वभारती संस्थान के कुलपति सहित प्रतिनिधि मंडल ने उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से मिल कर प्राकृत को शास्त्रीय भाषा की मान्यता देने के लिए जताया आभार

लाडनूं (kalamkala.in)। भारत सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया है कि राजस्थान के लाडनूं स्थित जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय प्राकृत, पालि, संस्कृत आदि प्राच्य भाषाओं के संरक्षण और उनके विकास पर विशेष व महत्वपर्ण कार्य कर रहा है। यह बात उन्होंने नई दिल्ली में अपने आवास पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ व प्रबंध मंडल के सदस्यों से वार्ता के बाद कही। उच्च शिक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि मानवीय जीवन को समृद्ध बनाने और सामाजिक-आध्यात्मिक मूल्यों को पोषित करने के सन्दर्भ में जैविभा विश्वविद्यालय विविध प्रयासों में निरन्तर संलग्न है। विश्वविद्यालय में जैन विद्याओं के अध्ययन और प्राकृत, पाली और संस्कृत आदि प्राच्य भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में उनके विविध प्रयासों को जानकर उन्होंने उनकी अत्यंत सराहना की। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से उनके निवास पर भेंट के दौरान प्राचीनकाल की जैन भाषा प्राकृत को भारत सरकार की ओर से शास्त्री भाषा की मान्यता दिए जाने पर आभार ज्ञापित किया तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केन्द्रीय मंत्रिमंडल के प्रति भी उन्होंने संस्थान की ओर से आभार जताया।

प्राच्य विद्याओं व मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता से अवगत कराया

इस अवसर पर कुलपति प्रो. दूगड़ ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को जैन विश्वभारती संस्थान के प्राच्य विद्याओं पर केन्द्रित होने की जानकारी देते हुए संस्थान की गतिविधियों, संचालित पाठ्यक्रमों, प्राकृत एवं संस्कृत विभाग, योग एवं जीवन विज्ञान विभाग, अहिंसा एवं शांति विभाग, जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग आदि की जानकारी भी उन्हें दी तथा पांडुलिपि संरक्षा केन्द्र, राजस्थानी भाषा एवं साहित्य केन्द्र आदि की गतिविधियों के बारे में उन्हें बताया। साथ ही नैतिक व मानवीय मूल्यों के संरक्षण, शिक्षण, प्रसार आदि के लिए निरन्तर किए जा रहे प्रयासों के सम्बंध में उन्हें अवगत करवाया गया। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने इस पर अत्यन्त हर्ष प्रकट किया तथा ऐसे सद्प्रयासों के लिए जैन विश्वभारती संस्थान की सराहना की। केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने संस्थान के बारे में अपने उद्गारों को अपने निजी ‘एक्स’ (ट्विटर) एकाउंट पर भी पोस्ट करके शेयर किया है।

संस्थान के दीक्षांत समारोह में होंगे सम्मिलित

इस भेंट के दौरान प्रारम्भ में जैन विश्वभारती संस्थान की ओर से कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री प्रधान का शाॅल, साहित्य, प्रतीक चिह्न आदि प्रदान करके सम्मान किया गया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री ने नवम्बर के प्रथम सप्ताह में सूरत में आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में संस्थान के 15वें दीक्षांत समारोह के आयोजन के दौरान अपने उपस्थित रहने की स्वीकृति भी प्रदान की। कुलपति के साथ में जैन विश्वभारती संस्थान के प्रबंध मंडल के सदस्य विनोद बैद व मनसुख सेठिया भी मौजूूूद रहे।

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