अणुव्रत आंदोलन और पारमार्थिक शिक्षण संस्था का 77वां स्थापना दिवस मनाया
लाडनूं (kalamkala.in)। अणुव्रत आंदोलन और पारमार्थिक शिक्षण संस्था का स्थापना दिवस यहां पहली पट्टी स्थित ऋषभ द्वार भवन में सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री कार्तिकयशा, समणी नियोजिका ऋजु प्रज्ञा और अमल प्रज्ञा के सान्निध्य में मनाया गया। कार्यक्रम में कार्तिक यशा ने कहा कि साधना के लिए सम्यक् पुरुषार्थ आवश्यक है। अमर प्रज्ञा ने कहा कि संस्था के पास साध्वी निर्माण की पूर्ण विधा है। श्रमणी रिजु प्रज्ञा ने कहा, एक ब्रह्मचारी ने युगल आंदोलन को जन्म दिया, जिनमें पहला पारमार्थिक शिक्षण संस्थान है और दूसरा अणुव्रत आंदोलन है। प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि अणुव्रत और पारमार्थिक शिक्षण संस्थान ने समाज में नैतिक शिक्षा का प्रसार किया है। शांतिलाल बैद ने कहा, अणुव्रत आंदोलन धर्म और संप्रदाय से मुक्त समाज का निर्माण करता है। राजेन्द्र खटेड़ ने बताया कि अणुव्रत एवं पारमार्थिक शिक्षण संस्था अनमोल थाती है। मोती लाल जीरावला ने अणुव्रत और पारमार्थिक शिक्षण संस्था पर विचार व्यक्त किए। संस्था की बहनों, नवीन नाहटा, पार्षद रेणु कोचर ने इस अवसर पर गीतिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम का प्रारम्भ मुमुक्षु बहनों के मंगलाचरण से किया गया। मुमुक्षु बहिनों ने संस्था के संस्मरणों को भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन मुमुक्षु भावना ने किया। कार्यक्रम में जैन विश्व भारती के पूर्व अध्यक्ष धर्मचंद लुंकड़ एवं राकेश कोचर, राजेश बोहरा, प्रेम बेगवानी, राजेश खटेड़, संजय मोदी, राज कोचर, सुशीला बाफना, सुमन बैद तथा सभी संघीय संस्था के पदाधिकारी सदस्य और श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे।
