लाडनूं और दुजार में मात्र 7-7 वर्ष के मासूम बच्चों ने रखा पहला रोजा,
रोजे से मिलती त्याग व तपस्या की शिक्षा- सैयद मदनी
अबू बकर बल्खी। लाडनूं (kalamkala.in)। रविवार को इफ्तारी के साथ ही रमजान के पवित्र माह का पहला रोजा मुकम्मल हुआ है। रमजान के पहले दिन बड़े बुजुर्गों एवं युवाओं के साथ-साथ घर की महिलाओं और छोटे बच्चों में भी रोजे के प्रति उत्साह देखा गया। रविवार को पहले दिन महज 7 वर्ष के आवेश टाक पुत्र मोहम्मद वसीम निवासी गली नंबर 34, मो. अशरफ पुत्र सैयद याकूब अली निवासी गली नंबर 9 व मोनू मुगल पुत्र मोहम्मद वसीम निवासी गली नंबर 3 तेली रोड़ लाडनूं और मोहम्मद अली, फातिमा, इब्राहिम छींपा निवासी दुजार ने अपने परिवार के साथ पूरे दिन का रोजा मुकम्मल किया। शहर काजी सैयद मुहम्मद मदनी अशरफी ने बताया कि रमजान का महीना त्याग, तप व खुदा के समक्ष समर्पण करने का महीना है। इस माह में प्रतिदिन मस्जिदों में तरावीह की विशेष नमाज अदा की जाती है। तिलावते कुरान एवं दुआ और दीगर इबादतें भी बढ़ जाती है। सुबह के समय जल्दी उठकर सहरी का खाना खा कर रोजा रखा जाता है। इस दौरान छोटे-बड़े सभी लोगों में इसका उत्साह देखने को मिल रहा है। गर्मी के मौसम में मासूम बच्चों ने रोजा रखकर मुस्लिम समाज को इस माह की कदर करने व ईबादत करने का बेहतरीन संदेश दिया है।
