लाडनूं के शीतला माता मंदिर के समीप निर्माणाधीन सत्संग भवन को लेकर रैगर समाज में घमासान, कब्जे की आशंकाओं को लेकर गुस्साया एक पक्ष, शीतला माता सेवा समिति ने ही दी निर्माण की अनुमति और उसके उपरांत भी अब तक के निर्माण को हटाने की उठी मांग

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लाडनूं के शीतला माता मंदिर के समीप निर्माणाधीन सत्संग भवन को लेकर रैगर समाज में घमासान, कब्जे की आशंकाओं को लेकर गुस्साया एक पक्ष,

शीतला माता सेवा समिति ने ही दी निर्माण की अनुमति और उसके उपरांत भी अब तक के निर्माण को हटाने की उठी मांग

लाडनूं (kalamkala.in)। यहां करीब 550 साल प्राचीन शीतला माता मंदिर को लेकर रैगर समाज में परस्पर विवाद छिड़ा हुआ है। मंदिर की सार-संभाल, देखरेख और मेले की व्यवस्थाओं को लेकर यह शीतला माता सेवा समिति की चिंताएं हैं कि अगर मंदिर एवं परिसर के विशाल मेला चौक पर किसी एक भी व्यक्ति ने कब्जे का दुस्साहस किया तो फिर वहां आसपास रह रहे लोगों में होड़ मच जाएगी और धीरे-धीरे पूरा शीतला चौक ही खुर्द-बुर्द हो जाएगा। दूसरी तरफ शीतला माता मंदिर के पास भव्य सत्संग भवन का निर्माण करके समिति को सौंपने वाले दानदाता भामाशाह पर ही संभावित कब्जे के आरोप लगने लगे हैं। यह दानदाता मंदिर के पास सत्संग बनवाने के बाद लगोलग ही मंदिर के चारों तरफ चारदीवारी भी बना कर मंदिर परिसर का विस्तार करना चाहता है, लेकिन जैसे ही इसके लिए कुछ निर्माण कार्य करवाया, वैसे ही रैगर समाज के ही लोगों ने उसका विरोध करना शुरू कर दिया। इसके तहत नगर पालिका को लिखित शिकायत की और निर्माण कर्ता को नोटिस भी दिलाया। इसके बाद भी उनका विरोध बंद नहीं हुआ और अब एसडीएम को जन सुनवाई के दौरान ज्ञापन और सौंपकर अपने विरोध को मुखर किया है।

नहीं हुआ ईओ के नोटिस का भी कोई असर

पंचायत समिति परिसर स्थित जन सुनवाई केन्द्र पर आयोजित मासिक जन सुनवाई के दौरान उपखण्ड अधिकारी मिथलेश कुमार के समक्ष सार्वजनिक शीतला माता मन्दिर के पास सत्संग भवन के निर्माण की आड़ में मन्दिर के चारों ओर अवैध दीवार निर्माण को अतिशीघ्र रूकवाने व दीवार निर्माण के लिये खोदी गई नींव व निर्माण सामग्री को अतिशीघ्र मन्दिर परिसर से हटाने की मांग की गई है। ज्ञापन में यह उल्लेख भी किया गया है कि नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी ने पत्र कमांक- 4344/2025 दिनांक 24/03/2025 से नोटिस दिया गया था, जिसके मिलने के बाद भी निर्माणकर्ता आशाराम रैगर पुत्र मघाराम निवासी शीतला चौक लाडनूं ने लगातार अवैध निर्माण कार्य जारी रखा है। उसे बंद नहीं किया है और वहां से निर्माण सामग्री भी नहीं हटवाई है।

शीतला माता सेवा समिति ने ही दी थी सत्संग भवन निर्माण की स्वीकृति

ज्ञापन में बताया गया है कि आशाराम पुत्र मघाराम रैगर निवासी शीतला चौक लाडनूं ने शीतला माता सेवा समिति लाडनूं से शीतला माता परिसर के पास में अपने खर्चे से सत्संग भवन का निर्माण करवाने की स्वीकृति विगत 16 फरवरी को समिति की बैठक में निर्णय के द्वारा ली थी। इस आशाराम रैगर ने सत्संग भवन निर्माण करने के पश्चात श्री शीतला माता सेवा समिति को गुमराह करते हुये मन्दिर परिसर के चारों ओर अवैध चार दीवारी बनानी शुरू कर दी। ज्ञापन में आशंका जताई गई है कि वह इस मन्दिर परिसर पर कब्जा करना चाहता है, क्योंकि मन्दिर परिसर व उसके घर के बीच मात्र 18 फुट की जगह है। उस जगह को दीवार निर्माण कर वह सम्पूर्ण परिसर को अपने बने मकान में मिलाना चाहता है।

शीतला चौक है पूरे हिंदू समाज की आस्था व धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र

ज्ञापन देने वालों ने बताया है कि यह सार्वजनिक श्री शीतला माता मन्दिर आजादी से पहले से स्थापित है और सम्पूर्ण लाडनूं के पूरे हिन्दू समाज की आस्था का केन्द्र है। यहां हर वर्ष शीतला-सप्तमी को विशाल मेला आयोजित होता है। इसके अलावा इस मंदिर के चौक का उपयोग हिन्दू समाज के साल भर में होने वाले उत्सव त्योहार आदि पर शोभा यात्रा, झांकिया आदि के प्रारंभ के लिए भी किया जाता है। आशाराम रैगर अगर इस शीतला चौक व मंदिर परिसर के चारदिवारी बनवा देता है, तो शीतला चौक में खुलने वाले अन्य मकानों के मालिकों में भी अपनी चौकी व दीवार निर्माण आदि करने की होड़ लग सकती है। इससे शीतला माता चौक आये दिन छोटा होता रहेगा एवं भविष्य में भयंकर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।अतः यह आवश्यक है कि आशाराम पुत्र मघाराम निवासी शीतला चौक लाडनूं द्वारा सत्संग भवन निर्माण की आड़ में मन्दिर परिसर के चारो ओर करवाई जा रही अवैध दीवार निर्माण हटाया जाए एवं निर्माण में काम आने वाली समस्त सामग्री को भी शीघ्र प्रभाव हटाया जावे। यह ज्ञापन देने वालों में भाजपा अजा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष एडवोकेट ईश्वर मेघवाल, वार्ड 32 के पार्षद बाबूलाल रैगर, अशोक, कमल रैगर रामस्वरूप मौर्या, विकास रैगर, ललित फुलवाड़िया, रामपाल रैगर, पतराम, दीपचंद, देवकरण, जयाराम, पियाराम, साराम, मेघाराम, बाबुलाल, मांगीलाल आदि शामिल थे।

अब बचाने में जुटे बचा-खुचा ताल

यह शीतला माता मंदिर इस स्थान पर पिछले 550 सालों से स्थापित है। इस मंदिर के पास ही ‘तागोलाव’ तालाब था और उसका विस्तृत ताल (जल संग्रहण क्षेत्र) था। इस तालाब और समूचे ताल क्षेत्र में लोगों ने कब्जे वगैरह करके बसना शुरू कर दिया। बहुत बड़ा क्षेत्र व तालाब तक आज शीतला माता मंदिर के नीचे से निकल चुका।‌ यहां बहुत थोड़ा क्षेत्र चौक व मेला स्थल का रहा है। इससे हुए चौक पर नगर पालिका ने सीसी ब्लॉक से फर्श का निर्माण करवा दिया, जिससे इस पर अतिक्रमण की संभावनाएं समाप्त हो चुकी। कहते हैं कि ‘दूध का जला छाछ को भी फूंक कर पीता है’। इसके मुताबिक इस बचे-खुचे चौक को बचाने में लोग सक्रिय हुए हैं। लेकिन दानदाता पर किसी पूर्वाभास की तरह संदेह करना और शक के आधार पर शिकायतें चलना , सरासर अनुचित है।

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Author: kalamkala

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