भारत में केवल एक ही हिंदू संस्कृति सर्वत्र विद्यमान- शिवप्रसाद (अ.भा. संगठन मंत्री) लाडनूं में राजस्थान क्षेत्रीय 12 दिवसीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग का प्रारम्भ

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भारत में केवल एक ही हिंदू संस्कृति सर्वत्र विद्यमान- शिवप्रसाद (अ.भा. संगठन मंत्री)

लाडनूं में राजस्थान क्षेत्रीय 12 दिवसीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग का प्रारम्भ

लाडनूं (kalamkala.in)। स्थानीय आदर्श विद्या मन्दिर में विद्या भारती राजस्थान द्वारा प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग-2025 का आयोजन 1 मई से प्रारंभ किया गया। यह प्रशिक्षण वर्ग 12 मई तक चलेगा।प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन समारोह का शुभारंभ दीपमंत्र से किया गया।विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री शिवप्रसाद ने बताया कि इस वर्ग में राजस्थान क्षेत्र के प्रधानाचार्यों को प्रशिक्षण दिया जायेगा तथा उन्हें वर्तमान शिक्षा नीति के अनुसार प्रशिक्षित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि देश में शिक्षा का स्वरूप अत्यन्त प्राचीन रहा। एक लम्बे संघर्ष के परिणाम स्वरूप, अंग्रेजों के संघर्ष के परिणाम स्वरूप शिक्षा का स्तर अधम हो गया। इसी के स्वरूप हमारे देश के शिक्षा व्यवस्था कैसे हो, इसी उद्देश्य से हमारे संगठन का प्रारम्भ हुआ। भारत में एक ही संस्कृति है, वह हिन्दू संस्कृति है। सम्पूर्ण देश में एक ही संस्कृति मिलेगी।

सनातन में हर मत-पंथ का लक्ष्य समान है

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत कण-कण में राष्ट्रीयता का भाव जगाना है और यह कार्य हिन्दू कर रहा है। हिमालय की पूजा, गंगा माता की जय, यमुना, सरस्वती की जय हम हिन्दू ही क्यों करते है, क्योंकि हम यहां के मूल निवासी हैं। यही सनातन धर्म है। हिन्दूत्व कोई जाति-पंथ नहीं है, वह एक मार्ग है। जिस प्रकार कोई व्यक्ति एक किराणा की दुकान पर खरीददारी करने जाता है तो दाल, धनिया, काजू सभी किराणा है, उसी प्रकार अलग-अलग भगवान को मानना, मार्ग को अपनाना यही सनातन है। भारत में मत, उपासना पद्धति अलग-अलग है लेकिन गंतव्य एक है, लक्ष्य एक है। जैन, बुद्ध, शैव, वैष्णव, सगुण, निर्गुण, नास्तिक सभी मार्ग अलग-अलग हैं और गन्तव्य तक पहुंचाते हैं।

सृष्टि रचयिता ब्रह्मा के सदृश होता है शिक्षक

मुनिश्री विजयश्री महाराज ने कहा कि आज शिक्षा के साथ संस्कारों का होना आवश्यक है। जिस प्रकार मनुष्य तो बहुत हैं, लेकिन जिनको देखकर हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता है, वही मनुष्य धन्य है।शिक्षक की अमूल्य निधि बालक है। जिस प्रकार ब्रह्मा ने सृष्टि रची, उसी प्रकार हमें अच्छे बालक तैयार करना है। हम बालकों को गुणों से भरें, युग निर्माण में हम शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। मुनिश्री तन्मयश्री ने सभी को आर्शीर्वचन दिया।

इन सबकी रही उपस्थिति

इस अवसर राजस्थान के क्षेत्रीय संगठन मंत्री गोविन्द कुमार, जोधपुर प्रांत मंत्री भेरूपाल, अध्यक्ष आदर्श शिक्षा संस्थान डीडवाना रामेश्वरलाल सूंटवाल, विद्यालय के संरक्षक पुखराज श्रीमाल, प्रबंध समिति अध्यक्ष शांतिलाल बैद, उपाध्यक्ष नारायणप्रसाद शर्मा, व्यवस्थापक नंदलाल शर्मा, कोषाध्यक्ष पदमचंद जैनाग्रवाल, प्रचार प्रमुख पुरूषोतम सोनी, जिला सचिव रामसिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लाडनूं खण्ड के संघचालक बजरंगलाल यादव, नगर कार्यवाह नवीन नाहटा, कार्यकर्ता विजयसिंह, प्रधानाचार्य रमेश कुमार गौड़ आदि और प्रदेश भर के प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।

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Author: kalamkala

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