आचार्यश्री महाश्रमण का व्यक्तित्व, कृतित्व, नेतृत्व, प्राणवान है- साध्वी कार्तिकयशा,
लाडनूं में मनाया गया आचार्यश्री महाश्रमण का 64वां जन्मोत्सव
लाडनूं (kalamkala.in)। तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महामनस्वी-महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण का 64वां जन्मोत्सव लाडनूं के श्रावक समाज ने यहां पहली पट्टी स्थित ऋषभ द्वार परिसर में मनाया गया। शासन गौरव साध्वीश्री कल्पलता एवं सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी कार्तिकयशा के सान्निध्य में आयोजित इस कार्यक्रम में शासन गौरव साध्वी कल्पलता ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण की साधना अनुतर है, उपशमभाव अनुतर है, करुणा सेवा भावना अनुत्तर है। उनका अंतकरण पवित्र, पावन है। साध्वी कार्तिकयशा ने आचार्य महाश्रमण के जीवन के वैशिष्ट्य पर कहा कि आचार्यश्री का व्यक्तित्व, कृतित्व, नेतृत्व, प्राणवान है। परोपकार भावना व श्रमशीलता ने आचार्य श्री महाश्रमण को महातपस्वी के सिंहासन पर आरुढ़ किया है।
महाश्रमण के जीवन प्रसंग सुनाए
इस अवसर पर समणी मधुर प्रज्ञा, समणी जयंत प्रभा, साध्वी स्वस्तिक प्रभा, साध्वी रोहिणी प्रभा ने वक्तव्य एवं गीत के माध्यम से अपनी भावना प्रस्तुत की। सभा के मंत्री राकेश कोचर, युवक परिषद के अध्यक्ष सुमित मोदी, महिला मंडल की मंत्री राज कोचर एवं महिला मंडल की बहनों ने गीत की प्रस्तुति दी। विशेष वक्ता के रूप में डॉ. वीरेंद्र भाटी ने आचार्यश्री महाश्रमण की जीवन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए उनसे जुड़े अनेक प्रसंगों का वर्णन किया। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी के मधुर संगीत ‘युग प्रधान जय ज्योति चरण रघुवर को आज बधाए’ गीत से हुई। कार्यक्रम का संचालन सपना भंसाली ने किया। इस अवसर पर संस्था के पदाधिकारी व श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही।
