नगर पालिका के उद्यानों-पार्कों को दिया जाएगा सिवरेज का ट्रीटेड पानी, गुर्जरों के बास में महिलाओं को बताया सिवरेज व स्वच्छता का महत्व

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नगर पालिका के उद्यानों-पार्कों को दिया जाएगा सिवरेज का ट्रीटेड पानी,

गुर्जरों के बास में महिलाओं को बताया सिवरेज व स्वच्छता का महत्व

लाडनूं (kalamkala.in)। सीवरेज परियोजना के कार्य कर रही राजस्थान नगरीय आधारभूत विकास परियोजना के सामुदायिक जागरूकता एवं जन सहभागिता कार्यक्रम के तहत अधीक्षण अभियंता नेमीचंद पंवार और अधिशासी अभियंता ओम प्रकाश साहू के निर्देशानुसार व सहायक अभियन्ता रियाज अहमद के मार्गदर्शन में गुर्जरों के बास की महिलाओं को सीवरेज परियोजना के फायदे बताते हुए सीवरेज और स्वच्छता की जानकारी दी गई। कैप रुडीप के असलम खान ने परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि गंदे पानी का ठहराव होने के कारण अनेक बीमारियां जैसे मलेरिया, उल्टी-दस्त, डेंगू आदि, जो हमें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से परेशान करती हैं। इसलिए, सभी सीवर परियोजना में सकारात्मक सहयोग दें और कनेक्शन के समय कनेक्शन करवाएं, ताकि गंदे पानी से फैलने वाली सभी बीमारियों से छुटकारा मिल सके। किसी प्रकार का ठोस पदार्थ या प्लास्टिक इसमें प्रवाहित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बारिश का पानी सीवरेज में नहीं छोड़ना चाहिए तथा नलों पर टोंटियां लगाएं, ताकि जिससे पानी की बर्बादी न हो।उन्होंने यह भी बताया कि सीवरेज का पानी शहर से दूर ले जाकर उपचारित कर के किसानों को और नगर पालिका के पार्कों और उद्योगों को दिया जाएगा, जिससे नगर पालिका को आय होगी, जो शहर के विकास में काम आएगी। इस अवसर पर आंगन बाड़ी कार्यकर्ता अनीता जांगीड़ ने सबसे आह्वान किया की घरों से निकलने वाला कचरा नगर पालिका द्वारा भेजे गए वाहन में ही डालें, जिससे मौहल्ला साफ-सुथरा रहे, यह हमारी ज़िम्मेदारी है।अपने आस-पास में भी साफ सफाई रखें। उन्होंने कहा कि शहर को स्वच्छ रखने में सभी सहयोग करें, सभी महिलाएं अपने पड़ोस में भी स्वच्छता की मुहिम चलाए। एसओटी रामकिशोर सहित राजू, शान्ति देवी, शहनाज, रुकमा देवी, संतोष, फरजाना सहित अन्य महिलाओं ने समूह चर्चा में भागीदारी की।

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Author: kalamkala

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सबसे ज्यादा पड़ गई

जहां 500 सालों से कोई श्मशान नहीं था, वहां राम धाम भूमि बता कर करवाया जा रहा है निम्बी जोधां में हंगामा, कभी अगोर, फिर आवासीय दर्ज हुई और तहसीलदार ने 1974 में यहां पट्टे जारी किए, वहां नोहरे व मकान बन गए और अब बताया जा रहा है श्मशान भूमि