अंधेरे को चीरते हुए हजारों दीपों की रोशनी से झिलमिलाता है वातावरण
भैयादूज पर इस बार 31 हजार दीपों की रोशनी के साथ अंगारों पर नृत्य और अन्य कार्यक्रमों की रहेगी धूम
जगदीश यायावर। लाडनूं। यहां दीपावली के अवसर पर घर-घर में की जाने वाली दीपों की रोशनी व सजावट के अलावा भी एक अवसर आता है, जब एक साथ हजारों दीपकों की झिलमिल रोशनी लोगों को बरबस ही आकर्षित कर लेती है। यहां सुप्रसिद्ध करंट बालाजी मंदिर में पिछले काफी बरसों से दीपोत्सव का विशेष उत्सव आयोजित किया जाता रहा है। इसमें हजारों की दीपक अपनी रोशनी की छटा बिखेरेंगे। दुर्गादल सेवा समिति के तत्वावधान में पिछले 29 सालों से यह आयोजन अनवरत किया जा रहा है। इस वर्ष भी भैयादूज 26 अक्टूबर को सांयकाल में दिन ढलते ही यह दीपों का महात्सव शुरू हो जाएगा। इस वर्ष 31 हजार दीपों की रोशनी मंदिर परिसर में एक साथ की जाएगी। इनके लिए स्टेनलेस स्टील और मिट्टर के दीपक काम में लिए जाएगे, जिनमें 50 पीपा खाद्य तेल काम में लिया जाएगा। दीपकों में लगातार तेल भरने की व्यवस्था भी रहेगी, ताकि एक भी दीपक में तेल कम नहंी होने पाए। दुर्गादल सेवा समिति के अध्यक्ष चैथमल किला ने बताया कि इस वर्ष जसनाथ सम्प्रदाय का सुप्रसिद्ध अंगारा-नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा मिट्टी निर्मित विशाल आकृति, गुलाल से निर्मित आकर्षक रंग-बिरंगी रंगोलियां, महाकाल का श्रृंगार, हवा में लटकते दीपों की झांकी आदि की प्रस्तुतियां भी दर्शनीय रहेंगी। किला ने बताया कि 28 साल पहले शुरू हुए इस विशेष महोत्सव को यह 29वां साल है। इस कार्य को अपने कर्तव्य की तरह हर साल निभाते हुए दुर्गादल के प्रमुख कार्यकर्ताओं में प्रवीण जोशी, ओमप्रकाश प्रजापत, राजेश शर्मा, नरेन्द्र स्वामी, मुकेश सोनी, जगदीश शर्मा, मनीष पाटोदिया, मनीष बाहेती, रजत दोलावत, योगेश शर्मा, हरेकृष्ण शर्मा आदि रहे हैं। वर्तमान में दुर्गादल अध्यक्ष चैथमल किला के साथ कार्यक्रम संयोजक मनोज टाक, सह संयोजक आशीष दाधीच और अन्य सभी कार्यकर्ता तैयारियों में जुटे हुए हैं।