दलित आदिवासियों का बजट जनसंख्या के अनुपात में आवंटित व खर्च नही करना दलित व आदिवासी समुदाय के लिए सुनियोजित व संस्थागत अत्याचार, बैठक आयोजित
जयपुर। यहां होटल डिविजे इन में स्वाधिकार नई दिल्ली, राजस्थान के राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान नई दिल्ली, दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन राजस्थान, दलित अधिकार केन्द्र जयपुर, दलित जन सामाजिक न्याय समिति बार्क जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व चर्चा व विचार-विमर्श बैठक का आयोजन किया गया।
दलितों के साथ किया धोखा
दलित अधिकार केन्द्र, जयपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हेमन्त मीमरौठ एडवोकेट ने बैठक के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुये बताया कि दलितों का बजट जनसंख्या के अनुपात में आवंटित हो, पूरा दलित आदिवासियों के विकास के लिए खर्च हो, एक्ट की प्रभावी पालना हो आदि के लिए यह चर्चा व विचार विमर्श बैठक का आयोजन किया गया है, ताकि वर्ष 2024-2025 के बजट में दलितों के साथ आर्थिक अधिकारों से वंचित नही होना पडे। राज्य समन्वयक चन्दा लाल बैरवा एडवोकेट ने पी.पी.टी. के माध्यम से अनुसूचित जाति/जनजाति उप योजना में आवंटित राशि वर्ष 2023-2024 बजट के आंकडों पर विस्तार से प्रस्तुतीकरण किया। बैरवा ने बताया कि बागवानी विकास में, तारबन्दी अनुदान, फल उद्यान की स्थापना महिला सहकारी समिति, सूक्षम लघु और मध्यम उद्यम आदि में जबट नाम-नात्र का आवंटित कर दलितों के साथ में धोखा किया है।बैठक की अध्यक्षता राजस्थान जनजाति आयोग जयपुर के पूर्व निदेशक जी.एस.सोमावत ने की। उन्होंने पैनल सदस्यों भागचन्द मीणा, पूरण चन्द बैरी, धर्मचन्द खैर, राजस्थान आदिवासी विकास मंच, उदयपुर से सामाजिक योजनाओं पर पैनल चर्चा की, जिसमें आर्थिक विकास की योजनाओं एससी/एसटी एक्ट पर, शैक्षणिक योजनाओं, वाल्मीकी विकास कोष व हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास (संशोधन) विधेयक 2020 पर पैनल चर्चा की। दूसरे सत्र में अध्यक्षता भंवर मेघवंशी ने की। पेनल सदस्य पूर्व अध्यक्ष डिक्की अंकित आनन्द, सतीश कुमार, सुश्री रैणु सिंह, सुश्री खूशबू सोलंकी, सतवीर सिंह, पूरण चन्द बैरी, महेन्द्र कुमार आनन्द, नेसार अहमद, प्रकाश हडाले, सदस्य सफाई कर्मचारी आयोग, पवन नकवाल, सफाई कर्मचारी आन्दोलन, राजस्थान, डॉ. महेन्द्र कुमार आनन्द, एडवोकेट सुश्री हेमलता कासोटिया आदि ने अपने विचार रखे। बैठक में दलित अधिकार केन्द्र अलवर के जिला समन्वय शैलेष गौतम, अजमेर की जिला समन्वयक श्रीमती इन्दिरा सोलंकी, भरतपुर जिला समन्वयक लालाराम भण्डाना, दौसा जिला समन्वयक श्रीमती सुनीता देवी बैरवा, दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन, राजस्थान दौसा की प्रेरक श्रीमती द्रोपदी जोनवाल सहित 75 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन, राजस्थान के राज्य समन्वयक चन्दा लाल बैरवा एडवोकेट ने बताया कि इस चर्चा बैठक में आए सुझावों को राजस्थान सरकार को प्रेषित कर अवगत करवाया जा रहा है। इन सुझावों के अनुसार-
1. वर्ष 2021-2022 को 100-100 करोड, वर्ष 2022-2023 के लिए 500-500 करोड रूपये तथा वर्ष 2023-2024 के लिए 1000-1000 करोड रूपये आवंटित कये हैं, उनको दलित व आदिवासियों के विकास के लिए खर्च किया जावे।
2. वर्ष 2024-2025 में दलित व आदिवासियों के लिए आवंटित बजट की राशि के लिए जनंसख्या के अनुपात में पर्याप्त मात्रा में बजट आवंटित करने की मांग की गई।
3. एससी/एसटी डवलपमेनट फण्ड एक्ट -2022 व नियमों की प्रभावी पालना करवाने व उक्त योजना में पर्याप्त बजट आवंटित करने की मांग की गई।
4. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुपात में ही योजनाओं व आरक्षण का लाभ मिल रहा है। अतः दलितों व आदिवासियों को 2 प्रतिशत आरक्षण में वृद्वी कर सरकारी सेवाओं में भर्ती की जावे व अन्य योजनाओं में लाभ देना सुनिश्चित किया जावे।
5. दलित व आदिवासियों के बजट को उनके विकास में ही खर्च किया जावे, अन्य मद में खर्च नही करे।
6. दलितों व आदिवासियों के स्थाई व टिकाऊ विकास के लिए उक्त समुदाय को उक्त कानून के फण्ड से निःशुल्क भूमि आवंटित की जावे।
7. दलित व आदिवासियों के बजट को विकास में खर्च नही कर भवन निर्माण, फर्जीचर, सेलेरी, गाडिया, आदि ढांचागत विकास में खर्च कर देते है, जिससे दलितों का विकास सम्भव नही है। अतः इनके लिए अलग से बजट आवंटित किया जावे।
8. दलित व आदिवासी महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए इनके विकास के लिए विश्ेाष बजट आवंटित किया जावे।
9. दलित आदिवासी महिलाओं को रोजगारउन्मुखी रोजगार, भूमि में दलित महिलाओं को आवंटित किया जावे ताकि वो आर्थिक रूप से सक्षम हो सके।
10. सरकार के साथ नियमित संवाद रखे तथा बजट की प्रभावी मॉनिटिरिंग की जावे।
सामाजिक कार्यकर्ता व प्रधानाचार्य श्री गिरधारीलाल बैरवा ने सभी प्रतिभागीयों को धन्यवाद ज्ञापित कर चर्चा बैठक के समापन की घोषणा की गई।