डॉ. महेंद्र खड़गावत ने किया डीडवाना में जिला कलक्टर पद पर कार्यग्रहण,
क्रिकेटर से कलेक्टर बनने के सफर में हर जगह सफलता के शिखर को छुआ- विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं डा. महेंद्र खड़गावत
जगदीश यायावर सैनी, वरिष्ठ पत्रकार। डीडवाना (kalamkala.in)। डीडवाना-कुचामन जिले के नवनियुक्त जिला कलक्टर डॉ. महेंद्र खड़गावत ने सोमवार को जिला कलक्टर पद पर कार्यग्रहण कर लिया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि जिले में आमजन से जुड़ी समस्याओं का निस्तारण एवं राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन प्राथमिकता के साथ किया जायेगा। गौरतलब है कि यहां से पहले डा. खड़गावत ब्यावर में जिला कलेक्टर पद पर पदस्थापित थे। डा. महेंद्र खड़गावत मूल रूप से बीकानेर के हैं। वे क्रिकेट चैम्पियन रह चुके। तीन दशकों में डॉ. खड़ग़ावत ने विभिन्न भूमिकाओं में महत्वपूर्ण प्रगति की। लम्बे अर्से तक वे बीकानेर के अभिलेखागार में निदेशक के रूप में कार्यरत रहे चुके। जहां उन्होंने भारत के पहले डिजिटल अभिलेखागार का बीड़ा उठाया। उनके समर्पण ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई, जिसकी परिणति 55 वर्ष की आयु में प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में उनके प्रवेश के रूप में हुई। उन्हें आईएएस के रूप में पदोन्नत किया जाने के बाद से बीमा एव प्रावधायी विभाग में निदेशक के रूप में रहे।
18 साल की आयु से रहे क्रिकेटर, रणजी ट्राफी जीती
जिला कलेक्टर डॉ. महेंद्र खड़गावत युवाओं के लिए हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे। क्रिकेट प्रेमियों के लिए तो उनकी खास अहमियत है। उन्होंने खेल के साथ पढ़ाई को भी खास महत्व दिया और अपने पिता की सीख को मानते हुए अपना जीवन प्रशासनिक सेवा के लिए समर्पित किया। क्रिकेटर से कलेक्टर बने खड़गावत आज भी खेल की दुनियां के लिए समर्पित है। उनके 55 साल की उम्र में अन्य सेवाओं से आईएएस बनने और लगातार सफलतापूर्वक यह महत्वपूर्ण प्रशासनिक दायित्व निर्वहन कर रहे हैं। वे क्रिकेट के मैदान में रनों का अंबार लगाकर रणजी द्वार तक पहुंच कर आईएएस बनने वाले राजस्थान के पहले क्रिकेटर हैं। उनकी बल्लेबाजी इतनी जबरदस्त रही कि राज्य स्तरीय सीनियर कॉल्विन शील्ड प्रतियोगिता में वे 1992 तक लगातार दो सीजन में राज्य के टॉप स्कोरर रहे, लेकिन फिर उसी साल पहले ही प्रयास में राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा में चयनित होकर सरकारी अफसर बन गए। इस तरह से एक राष्ट्रीय क्रिकेटर सरकारी सेवाओं में आ गया। फिर 30 साल तक कई विभागों में बड़े पद संभालने के बाद 2022 में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बने। क्रिकेट के मैदान से लेकर कलेक्टर की कुर्सी तक का उनका सफर चुनौतीपूर्ण रहा। उनकी सफलता के पीछे उनके पिता स्व. पूनमचंद खड़गावत का बड़ा रोल रहा। उन्होंने क्रिकेट खेलने के लिए पढ़ाई में भी अव्वल रहने की शर्त रखी थी। डॉ. महेंद्र खड़गावत अफसर बनने के बाद भी क्रिकेट को प्यार करते रहे। आरसीए ने उन्हें 2010 में राजस्थान रणजी टीम का मैनेजर बनाया तो टीम चैंपियन बनी। वे पहले मैच से फाइनल तक प्रबंधन करने वाले पहले मैनेजर थे। कप्तान आकाश चौपड़ा ने उनकी प्रशंसा की थी। सरकार ने दो अवॉर्ड दिए थे।
पहले प्रयास में आरपीएससी क्लीयर की
डा. महेंद्र खड़गावत ने पहले ही प्रयास में आरपीएससी क्लीयर कर ली। 1992 में उन्होंने आरपीएससी की परीक्षा दी और पहले ही अटेंप्ट में सलेक्ट हो गये। महेंद्र खड़गावत ने कड़ी मेहनत से हर बार प्रशासनिक सेवा में सफलता प्राप्त की। वर्ष 2004 में फिर आयोग से परीक्षा पास कर राज्य अभिलेखागार में निदेशक चयनित हुए। उसे देश का पहला डिजिटल अभिलेखागार बनाकर अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। अमेरिका ने वर्ष 2017 में इन्हें बुलाकर प्रशंसा की। सलेक्ट होकर आइएएस बने डॉ. खड़गावत तीस साल तक राज्य सेवा के बाद वर्ष 2022 में अन्य सेवाओं से आईएएस बने। पहली पोस्टिंग पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग में राज्य निदेशक की मिली। सितंबर 2024 को सरकार ने ब्यावर कलेक्टर बनाया और अब जून 2025 में वे डीडवाना-कुचामन जिले के कलेक्टर पद को संभाला है।







