हर साल बढते हैं कैंसर के 14 लाख मामले और 10 लाख की हो जाती है मौत- डा. ढिल्लों,
लाडनूं में कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में पहचान के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच शिविर का शुभारम्भ
लाडनूं। वल्र्ड कैंसर केयर चेरिटेबल सोसायटी के अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित मोबाईल वाहनों से यहां जैन विश्व भारती के जीवन विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय विशेष चिकित्सा परीक्षण शिविर में आम लोगों के स्वास्थ्य की विभिन्न प्रकार की जांचें निःशुल्क की गई। यह आयोजन यहां डा. बीएस राठौड़ आर्गेनाईजेशन एवं जैन विश्व भारती के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। तीन दिवसीय शिविर के उद्घाटन के अवसर पर एक स्वास्थ्य संगोष्ठी का आयोजन भी जैन विश्व भारती स्थित सभागार में मुनिश्री रणजीत कुमार के सान्निध्य में किया गया। इस अवसर पर वल्र्ड कैंसर केयर सोसायटी के डा. धर्मेन्द्र ढिल्लों ने कहा कि हमारी वल्र्ड कैंसर सोसायटी पूरे देश में और दनिया भर में कैंसर की रोकथाम के लिए कार्य कर रही है। हर साल कैंसर के 14 लाख मामले बढ रहे हैं। इनमें से 10 लाख की मौत हो जाती है। कैंसर का पता तब चलता है, जब व्यक्ति लास्ट स्टेज में पहुंच जाता है, तब व्यक्ति का बचना नामुमकिन हो जाता है। इसके लिए स्वस्थ लोगों को ही समझना होगा और बचने के लिए हर साल टेस्टिंग करवानी चाहिए। लक्षण ध्यान में आते ही उनको दूर करने का इलाज करने से कैंसर हो ही नहीं पाता है। इसलिए सभी को चाहिए कि वे जांच करवाएं। उन्होंने बताया कि वल्र्ड कैंसर केयर सोसायटी की यहां 4 बसें आई हैं, जिनमें करीब 8 करोड़ रूपयों की अलग-अलग जांचों की मशीनरी है। इनसे मुंह, गला, रक्त कैंसर, हड्डियों आदि की जांचें होती है। ये सभी जांचें उन लोगों को करवानी चाहिए, जो तन्दुरूस्त हों।
रोग पनपने से पहले पहचान और रोकथाम जरूरी
जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अपने सम्बोधन में कहा कि कैंसर वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण बना हुआ है। भारत में कैंसर के मामले निरन्तर बढते जा रहे हैं। समय पर उपचार के अभाव में यहां कैंसर के बाद जीवित रहने वालों की संख्या भी बहुत कम है। यह चिंताजनक है। इसके लिए रोग के पनपने से पहले ही उनसकी पहचान और उसकी रोकथाम जरूरी है। इस अवसर पर मुनिश्री ने अपने आशीर्वचन में डा. बीएस राठौड़ की स्मृति में परोपकार का कार्य किया जाना श्रेष्ठ है। डा. ज्योत्सना द्वारा लाडनूं के प्रत्येक व्यक्ति के स्वस्थ रहने की भावना को साकार करने का निरन्तर प्रयास परमार्थ का अच्छा कार्य है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक व्यक्ति को शरीर से स्वस्थ बनाते हैं और धर्म व्यक्ति के जीवन को स्वस्थ बनाता है। उन्होंने बताया कि धर्म से मन प्रसन्न होता है और प्रसन्न मन से शरीर भी स्वस्थ रहता है। प्रारम्भ में दूरस्थ शिक्षा एवं आॅनलाईन अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए डा. बीएस राठौड़ के जीवन को स्मरण किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। अंत में डा. ज्योत्सना राठौड़ ने आभार ज्ञापित करते हुए तीन दिवसीय शिविर का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने प्रत्येक बीमारी पर नियंत्रण के लिए व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत होने की आवश्यकता बताई।
अतिथियों का किया स्वागत-सम्मान
इस अवसर पर अतिथियों के रूप में समागत डा. धर्मेन्द्र ढिल्लों, पुरूषोत्तम राठौड़, डा. विजयसिंह ठाकुर, डा. बहादुर सिंह टंडन, डा. विजय सिंह घोड़ावत, डा. देवेन्द्र जैन आदि का स्वागत-सम्मान दुपट्टा ओढा कर एवं साहित्य भेंट करके कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने किया। इस अवसर पर डा. बीआर राठोड का सिलिकोन का पुतला सबके लिए आकर्षण रहा, उन्हें कुलपति दुगड ने दुपटा पहना कर सम्मान किया. कार्यक्रम में पंचायत समिति सदस्य रामनिवास पटेल, विजयश्री शर्मा, रमेश सिंह राठौड़ सुशील पीपलवा, सुशील शर्मा, प्रकाश सोनी, महेन्द्र बाफना, गिरधर चौहान, रेणु कोचर, सुमन नाहटा, जगदीश यायावर प्रीती घोषल, रविन्द्र सिंह राठौड़, शांतिलाल बैद, राजेन्द्र खटेड़, राधाकृष्ण चौहान, गुलाब चंद चौहान, ललित वर्मा, प्रवीण जोशी, कैलाश घोड़ेला, रघुवीर सिंह राठौड़, सैयद अली अकबर रिजवी, ताजू खां मोयल, अंजना शर्मा, लूणकरण शर्मा, मनीषा शर्मा, बजरंग लाल चोयल, मो.मुश्ताक खां कायमखानी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन नीतेश माथुर ने किया। कार्यक्रम में संजय कुमार वर्मा, ताराचंद तंवर, ग्नुमान शर्मा, अभिलाषा राठोड, सुशिल मिश्रा आदि का सहयोग रहा.