लाडनूं विधायक मुकेश भाकर हुए घायल, पैर में फ्रेक्चर हुआ, कहा- पुलिस ने उनके पेट में लाठियां मारी, डीडवाना में कलेक्ट्रेट में जबरन घुसने का कर रहे थे प्रयास, प्रदर्शन के दौरान लोगों ने बेरिकेडिंग गिराया, मुकेश भाकर व अन्य चढे ऊपर, पुलिस ने किया बल-प्रयोग

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लाडनूं विधायक मुकेश भाकर हुए घायल, पैर में फ्रेक्चर हुआ, कहा- पुलिस ने उनके पेट में लाठियां मारी,

डीडवाना में कलेक्ट्रेट में जबरन घुसने का कर रहे थे प्रयास, प्रदर्शन के दौरान लोगों ने बेरिकेडिंग गिराया, मुकेश भाकर व अन्य चढे ऊपर, पुलिस ने किया बल-प्रयोग

लाडनूं (kalamkala.in)। विधायक मुकेश भाकर के घायल होने और उनकी टांग टूटने की खबर से उनके समर्थकों में पुलिस-प्रशासन के प्रति रोष है। विधायक भाकर के पैर में फ्रेक्चर होने के बाद उनका इलाज डीडवाना के बाजिया होस्पिटल में किया जा रहा है। अखिल भारतीय किसान सभा के तत्वावधान में सरकार की कस्टोडियन भूमि को किसानों को दिए जाने की मांग को लेकर डीडवाना में कलेक्ट्रेट के समक्ष आमसभा और फिर कलेक्ट्रेट में जबरन घुसने और बेरिकेडिंग गिरा कर ऊपर चढ़ने और पुलिस द्वारा उन्हें रोकने के प्रयासों के दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारी आमने-सामने हो गए। इसी दरमियान बैरिकेडिंग के ऊपर से नीचे गिरने से लाडनूं विधायक मुकेश भाकर चोटिल हो गए और उनके पैर में चोट लग गई। उन्हें वहां से पुलिस ने उठा कर हटाया। बाद में बाजियां होस्पीटल में उनके पैर पर प्लास्टर चढ़ाया गया।

मुकेश भाकर ने कहा, मेरे पेट में लाठियां मारी गई

इस सम्बन्ध में लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ने बताया कि हम लोग बेरिकेडिंग से अंदर जाना चाहते थे, पुलिस ने रोकने की कोशिश की। उन्होंने लाठियां मारी और धक्का-मुक्की की। पुलिस ने सरकार के इशारे पर बर्बरता करने की कोशिश की है। मेरे पेट में भी इन्होंने लाठियां मारी हैं। जन प्रतिनिधियों के साथ यह बर्बरता लोकतंत्र के लिए काला दिन है। इन्होंने आतंकवादियों की तरह बर्ताव किया है, पर हम रुकेंगे नहीं, लड़ाई जारी रखेंगे।

कलेक्ट्रेट में जबरन घुसने से पुलिस ने रोका, तो हो गए आमने-सामने

कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने के लिए हुई आमसभा और बेरिकेडिंग तोड़ कर घुसने की कोशिशें में काफी जनप्रतिनिधि भी अग्रणी रहे। आमने-सामने होते हुए वहां लगाए गए बैरिकेटिंग को नीचे गिरा दिया गया। इसके बाद आमने-सामने की झड़प के दौरान प्रदर्शनकारी कामरेड नेता भागीरथ यादव उस बैरिकेडिंग पर खड़े हो गए और प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर कार्यालय में जबरन घुसने का प्रयास किया, जिस पर जमकर हंगामा हुआ।कामरेड नेता भागीरथ यादव को देखते हुए उनके पीछे ही डीडवाना के पूर्व विधायक चेतन डूडी, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर, एसएफआई के नेता जगदीश गोदारा, सांसद अमराराम, पूर्व विधायक बलवान पूनिया, भागीरथ नेतड़ भी बैरिकेडिंग पर चढ़ गए। इस पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग भी किया। इस बल प्रयोग में लाडनूं विधायक मुकेश भाकर घायल हो गए और उनका पांव फ्रैक्चर हो गया। इसके बाद सभी जनप्रतिनिधि कलेक्टर कार्यालय के बाहर ही धरने पर बैठ गए। एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिला और उन्हें किसानों की मांगों को लेकर एक मांग पत्र सौंपा। तत्पश्चात धरना समाप्त कर दिया गया और कहा गया कि वे आगे की रूपरेखा बनाएंगे और रणनीति तैयार करेंगे। फिर धरना समाप्त कर दिया गया।

आखिर क्या है यह जमीन का विवाद

भारत-पाक विभाजन के दौरान सन् 1947 में बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवार भारत छोड़ कर पाकिस्तान चले गए थे। उनके पलायन के बाद यहां जो जमीन उनकी रह गई थी, उसे सरकार ने अपनी कस्टडी में ले ली थी। डीडवाना के लगभग 19 गांवों में उनकी ज़मीनों को कस्टोडियन भूमि के रूप में दर्ज किया गया था। इन जमीनों को कुछ माह पहले डीडवाना जिला प्रशासन ने अपने संरक्षण में लेना शुरू किया था। जिसे लेकर विरोध भी हुआ और ज्ञापन भी दिए गए थे। अब किसानों का कहना है कि काफी किसान करीब 70-80 सालों से उन पर खेती करने लगे थे। अब उन्हें पता चला है कि यह जमीन तो सरकारी घोषित हो चुकी है। किसानों का मानना है कि जो जमीन वे तीन-तीन पीढ़ी से काश्त करने के उपयोग में ले रहे हैं। उस जमीन को सरकार को छीनना नहीं चाहिए। इस जमीन कै कस्टोडियन भूमि घोषित करने के साथ ही यह भारत सरकार के नाम से दर्ज हो गई थी और फिर राजस्थान सरकार के नाम से दर्ज हुई। अब पुलिस द्वारा इन जमीनों पर सरकारी बोर्ड लगाए जाने के बाद किसानों में रोष पैदा हुआ है।

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Author: kalamkala

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