पंचप्राण की शक्तियां हमें विकसित भारत की ओर ले जाएगी- प्रो. त्रिपाठी,
2047 के भारत पर युवा संवाद में ‘भारत के पंचप्राण’ पर परिचर्चा’ आयोजित,
सीमा प्रथम, प्रियंका द्वितीय और पायल मीणा तृतीय रही
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान मंे राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय, द्वारा निर्देशित ‘भारत के पंचप्राणः एक युवा परिचर्चा’ विषय पर आधारित ‘युवा संवाद- इंडिया एट 2047’ का आयोजन किया गया। तीन सत्रों में आयोजित इस परिचर्चा के मुख्य वक्ता एवं विशेषज्ञ के रूप में प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि पंचप्राण ही वे शक्तियां हैं, जो हमें विकसित भारत की ओर ले जाएगी। उन्होंने ऐतिहासिक घटनाओं का उदाहरण देते हुए हमारी धरोहरों को नष्ट करके हमारी संस्कृति को मिटाने का भरसक प्रयास आक्रान्ताओं द्वारा पूर्व में किया गया था। नालन्दा विश्वविद्यालय को जला कर हमारी बौद्धिक सम्पदा को नष्ट करने का प्रयास किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. रेखा तिवारी ने देश के विकास में युवाओं के योगदान को महत्वपूर्ण बताया। परिचर्चा के उद्घाटन सत्र में डाॅ. आभा सिह द्वारा कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पंचप्राण के मार्ग पर चल कर एक विकसित भारत की संकल्पना को मूर्त रूप दिया जा सकता है।
परिचर्चा में सीमा प्रथम रही
परिचर्चा के तृतीय सत्र में छात्राओं ने पंचप्राण पर अपने विचार व्यक्त किए। इस परिचर्चा में प्रथम स्थान पर सीमा रही, द्वितीय स्थान पर प्रियंका और तृतीय स्थान पर पायल मीणा रहीं। कार्यक्रम के अन्त में डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़ समन्वयक-राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई प्रथम ने कहा, हमारी विरासत अमिट है और विश्व के सबसे ज्यादा युवा भी भारत मंे ही हैं और आज सारा विश्व मानने लगा कि भारत विश्वगुरू है। संकल्प शक्ति, कर्तव्य और गरिमा के साथ हमें आगे बढ़ना है। कार्यक्रम का संचालन एनएसएस इकाई द्वितीय की समन्वयक डाॅ. आभा सिंह ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अमिता जैन, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. लिपि जैन, डॉ. बलबीर सिंह, अभिषेक चारण, अभिषेक शर्मा एवं प्रमोद ओला आदि एवं सभी विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।
