भागवत कथा से स्थान तीर्थ बन जाता है- संतश्री हेतमराम महाराज
श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन उमड़ी भीड़
कुचेरा (रिपोर्टर महबूब खोखर)। श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिन प्रवक्ता श्री करुणामूर्ति धाम भादवासी (नागौर) के मुख्य अधिष्ठाता त्यागी संत हेतमराम महाराज ने कहा कि जिस संस्था में, जिस घर में भागवत कथा होती है, वह तीर्थरूप हो जाता है और जो लोग कथा श्रवण करते रहते हैं, उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। त्यागी संत ने सुखदेव के जन्म-प्रसंग में कहा कि जिस व्यक्ति को भक्ति धन मिल जाता है, उसके सामने वह सभी धन दौलत बेकार साबित हो जाते हैं। कृष्ण भक्त को कभी भी पृथ्वी पर कष्ट नहीं होता है। जिनको काम प्रिय है, वे प्रभु की कथा को नहीं सुन सकते, मगर जिनको श्याम प्रिय हैं, वे अपना सारा काम छोड़कर प्रभु की कथा सुनने को पहुंचते जाते हैं।
भावना के भूखे होते हैं भगवान
त्यागी संत ने बताया कि परीक्षित को भवसागर से पार लगाने के लिए अब भगवान शुकदेव के रूप में प्रकट हो गए और श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर परीक्षित को अपने चरणों में स्थान प्रदान किया। उन्होंने कौरव-पांडव के प्रसंग में कहा कि जब हमें पता है कि हमारी मृत्यु निश्चित है, खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाएंगे, तो क्यों न हम अपने जीवन को धर्म के मार्ग पर लगाएं। जिससे हमारा यह मानव जीवन सफल हो जाए। विदुर प्रसंग के वर्णन में उन्होंने कहा कि भगवान प्रेम के भूखे हैं। भगवान कृष्ण दुर्योधन का छप्पन-भोग त्याग कर विदुर के घर में जाकर रुके। केले का छिलका खाकर तृप्त हुए। भगवान भाव के भूखे होते हैं। भाव से जो भजता है, उसका बेड़ा पार है।