जब तक तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादा-अनुशासन जीवित रहेगा, तब तक तेरापंथ गतिमान रहेगा, आचार्यश्री महाश्रमण के 52वें दीक्षा महोत्सव पर हुआ 153 अभिनव सामायिक का कार्यक्रम

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जब तक तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादा-अनुशासन जीवित रहेगा, तब तक तेरापंथ गतिमान रहेगा,

आचार्यश्री महाश्रमण के 52वें दीक्षा महोत्सव पर हुआ 153 अभिनव सामायिक का कार्यक्रम

लाडनूं (kalamkala.in)। यहां पहली पट्टी स्थित ऋषभद्वार के प्रांगण में वृद्ध सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री कार्तिक यशा के सान्निध्य में आचार्यश्री महाश्रमण का 52वां दीक्षा महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर हाकम साध्वीश्री कार्तिक यशा ने आचार्यश्री महाश्रमण की तप विशेषताएं बताते हुए कहा कि इसी कारण उन्हें ‘महातपस्वी’ कहा जाता हैं। उन्होंने गुरुदेव के आहार संयम और इंद्रिय संयम को बेजोड़ बताया। उनकी श्रमशीलता, सहनशीलता को दुनिया के लिए नतमस्तक होने योग्य कहा और बताया कि उन्होंने संयम की उपलब्धि प्राप्त कर ली, इसलिए उनका दीक्षा दिवस जन-जन के लिए महोत्सव बन जाता है। आचार्य भिक्षु के शब्दों में जब तक तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादा-अनुशासन जीवित रहेगा, तब तक तेरापंथ निरंतर गतिमान रहेगा।

153 सामयिक के साथ विभिन्न जप-तप साधनाएं की गई

चौदस के इस पावन दिन पर साधु-साध्वियों के लिए आवश्यक ‘हाजरी वाचन’ साध्वी कार्तिक यशा द्वारा किया गया। इस अवसर पर नमस्कार महामंत्र, गुरुवंदना, लोगस्स पाठ, परमेष्ठी वंदना, जप साधना, ध्यान साधना, स्वाध्याय द्वारा अभिनव सामायिक करवाई गई। लगभग 153 सामायिक ऋषभ द्वार प्रांगण में हुई। कार्यक्रम में ओसवाल मित्र मंडल द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा सुंदर व रोचक प्रस्तुति दी गई।इसका संचालन मुख्य प्रशिक्षिका सपना भंसाली ने किया।ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी उदय कोठारी ने अपनी भावना व्यक्त की। महिला मंडल की बहनों ने गीतिका द्वारा अपने भाव अभिव्यक्त किए। सुश्री मीनाक्षी बाफना, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष सुमित मोदी ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में सभी सभा-संस्थाओं के पदाधिकारी, कार्यसमिति सदस्य, अन्य सदस्य, कन्या मंडल, ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाएं, ज्ञानार्थी, ओसवाल मित्र मंडल सहित काफी संख्या में श्रावक-श्राविका मौजूद रहे। कार्यक्रम का संयोजन साध्वी नम्रताश्री ने किया।

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Author: kalamkala

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सबसे ज्यादा पड़ गई

जहां 500 सालों से कोई श्मशान नहीं था, वहां राम धाम भूमि बता कर करवाया जा रहा है निम्बी जोधां में हंगामा, कभी अगोर, फिर आवासीय दर्ज हुई और तहसीलदार ने 1974 में यहां पट्टे जारी किए, वहां नोहरे व मकान बन गए और अब बताया जा रहा है श्मशान भूमि