नागौर की पहचान बन चुके हैं ‘मामा के मिर्ची-बड़े’, एक बार चखा तो मन कहेगा- और दो, इस मिर्ची बड़े के अनोखे स्वाद के दीवाने हैं लोग,
रमेश सांखला चला रहे हैं नागौर की यह 60 साल पुरानी दुकान, यहां मसालों के लिए प्रयुक्त होते हैं मिट्टी के बर्तन और तलने के लिए केवल मूंगफली का तेल
नागौर (kalamkala.in)। नागौर जिले के प्रसिद्ध व्यंजन में यहां का ‘मामा का मिर्ची-बड़ा: विख्यात है, जिसकी पहचान पूरे देश में है। यहां पर बनने वाले मिर्ची-बड़े का स्वाद बेहद लाजवाब होता है। नागौर शहर में मामा की मिर्ची बड़े की दुकान तीखे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इस दुकान के नियमित ग्राहकों का कहना है कि जो एक बार मामा के मिर्ची-बड़े खा लेता है, वह दोबारा बिना खाए नहीं रह सकता। वर्तमान में यह प्रसिद्ध मामा मिर्ची बड़े की दुकान रमेश सांखला चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि 60 साल पहले उनके पिता रामेश्वर सांखला ने इस दुकान की शुरुआत की थी। शुरुआत से ही अलग स्वाद और साफ-सफाई के कारण यह दुकान लोगों की पसंद बन गई थी। रमेश सांखला के अनुसार उनकी दुकान पर बनने वाले मिर्ची बड़े तीखे स्वाद के लिए जाने जाते हैं। यही बात उन्हें बाकी दुकानों से अलग बनाती है।
तीखेपन में छिपा है स्वाद का रहस्य
यह मिर्ची बड़ा बेहद तीखा होता है। स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें गर्म मसालों का ज्यादा प्रयोग किया जाता है। रमेश सांखला ने बताया कि अब तीसरी पीढ़ी भी इस परंपरा को निभा रही है। मामा के मिर्ची बड़े की कीमत मात्र 15 रुपये है। यही वजह है कि यह हर वर्ग के लोगों के लिए सुलभ बना हुआ है। रमेश सांखला ने बताया कि मिर्ची बड़ा और कोफ्ता बनाने की विधि अन्य दुकानदारों से अलग है। इसके लिए सबसे पहले आलू उबाले जाते हैं। इसके बाद उनमें मसाले मिलाए जाते हैं। मसालों में गर्म मसाला, हींग, अजवाइन, मिर्च, प्याज, हल्दी और धनिया जैसे तत्व शामिल होते हैं। फिर इसे बेसन के गाढ़े घोल के साथ मिलाकर मूंगफली के तेल में तला जाता है।
मिट्टी के बर्तन में बनता है मसाला
इस दुकान की एक और खास बात यह है कि मसाले को मिट्टी के छोटे बर्तनों में तैयार किया जाता है। रमेश सांखला का कहना है कि स्टील या लोहे के बर्तन की तुलना में मिट्टी के बर्तन में स्वाद कहीं अधिक अच्छा आता है। पिछले 60 वर्षों से वे एक ही प्रकार का तेल यानी मूंगफली के तेल का उपयोग कर रहे हैं। यह तेल मिर्ची बड़े के स्वाद को बरकरार रखने में मदद करता है।
