योग और ध्यान अपनाने से व्यक्ति रोगग्रस्त नहीं होता- कुलपति प्रो. दूगड़,
विश्व ध्यान दिवस पर प्रेक्षाध्यान कार्यशाला आयोजित
लाडनूं (kalamkala.in)। विश्व ध्यान दिवस पर यहां जैन विश्वभारती संस्थान के तत्वावधान में दो कार्यक्रम आयोजित किए गए। यहां कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की अध्यक्षता में हुए यूएनओ द्वारा घोषित प्रथम विश्व ध्यान दिवस के ऑफलाइन कार्यक्रम में ‘प्रेक्षाध्यान कार्यशाला’ का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. दूगड़ ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में ध्यान की विशेषताएं और उपयोगिता बताई तथा कहा कि ध्यान से मनुष्य की श्वास-प्रश्वास की दर कम होती है और इससे आयु की वृद्धि होती है। व्यक्ति की विभिन्न शारीरिक तंत्र प्रणालियां तंत्रिका तंत्र आदि और हारर्मोनल बैलेंस सही होता है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ बनता है। उन्होंने बताया कि पहले योग और ध्यान को जीवन में हमेशा अपनाया जाता था, जिससे व्यक्ति रोगी नहीं होते थे, लेकिन अब उन्हें छोड़ने से मानव शरीर रोगग्रस्त होने लगा है।
ध्यान के शरीर के अवयवों पर प्रभाव बताए
कार्यक्रम के दौरान प्रेक्षाध्यान का अभ्यास करवाया गया व ध्यान का शरीर के विभिन्न अवयवों तथा मन व शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी दी गई तथा सभी शारीरिक अंगों व मन के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी ध्यान की विधियां बताई गई। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने कार्यक्रम में बताया कि सिर्फ 15 मिनट प्रतिदिन प्रेक्षाध्यान के अभ्यास से शरीर की कोशिकाओं में टेलोमीयर बढता है, जिससे आयु में वृद्धि होती है और मन पर प्रभाव पड़ता है, जिससे हृदयरोग, मधुमेह, मोटापा आदि बीमारियां दूर रहती हैं। कार्यक्रम में प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी, प्रो. जिनेन्द्र जैन, प्रो. बीएल जैन व प्रो. रेखा तिवाड़ी मंचस्थ रहे। प्रेक्षाध्यान कार्यशाला के अंत में डा. युवराज सिंह खंगारोत ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संस्थान के सभी शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने किया। संचालन में डा. हेमलता जोशी व दशरथ सिंह ने सहयोग प्रदान किया। अपराह्न को विश्व ध्यान दिवस का ओनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें शामिल 70 प्रतिभागियों को डा. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने ध्यान का प्रायोगिक अभ्यास करवाया। ध्यान का परिचय व उसके फायदे डा. हेमलता जोशी ने प्रस्तुत किए तथा धन्यवाद ज्ञापन दशरथ सिंह ने किया।