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दवाओं से दूर व प्रकृति के पास रहने पर ही रोगों से मुक्ति संभव- कुलपति प्रो. दूगड़ लाडनूं में तीन दिवसीय निःशुल्क निसर्गोपचार शिविर का आयोजन

दवाओं से दूर व प्रकृति के पास रहने पर ही रोगों से मुक्ति संभव- कुलपति प्रो. दूगड़

लाडनूं में तीन दिवसीय निःशुल्क निसर्गोपचार शिविर का आयोजन

दवाओं से दूर व प्रकृति के पास रहने पर ही रोगों से मुक्ति संभव- कुलपति प्रो. दूगड़
लाडनूं में तीन दिवसीय निःशुल्क निसर्गोपचार शिविर का आयोजन
लाडनूं। जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के तत्वावधान में यहां तीन दिवसीय आचार्य महाप्रज्ञ निसर्ग उपचार शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में अहमदाबाद, चैन्नई, मुम्बई, उदयपुर, सूरत, बीकानेर आदि अलग-अलग स्थानों से 13 महिला-पुरूष शिविरार्थियों ने भाग लिया, जिनका निःशुल्क उपचार विभिन्न प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों द्वारा किया गया। शिविर में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने शिविरार्थियों को कुदरती उपायों से स्वास्थ्य लाभ की श्रेष्ठता बताई और कहा कि व्यक्ति जितना दवाओं से दूर और प्रकृति के पास अनुकूल रहेगा, उतना ही उसे रोगों से मुक्ति और स्वास्थ का फायदा मिल पाएगा। उन्होंने बताया कि प्रकृति से हमें हर बीमारी व विपरीत परिस्थिति से मुकाबला करने की शक्तियां प्रदान की है, केवल उनको उपयोग में लेने की विधि की जानकारी जरूरी है। प्रशिक्षक डा. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने शिविरार्थियों को निसर्ग उपचार की विभिन्न विधियों के बारे में बताते हुए कहा कि प्राकृतिक तरीके से शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए निसर्ग-पद्धति सबसे अधिक लाभदायक है।

मरीजों को दिए गए विभिन्न उपचार

शिविर के दौेरान निसर्गोपचार विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा परामर्श के साथ मरीज का पोस्चर एससेसमेंट, बाॅडी कम्पोजिशन एनालिसिस, नियमित समूह कक्षाओं, योग थैरेपी सेशन, विशेष स्वास्थ्य वार्ता, आहार चिकित्सा में थैरेप्यूटिक फूड तथा फ्रेश हर्बल मेडिसिन का प्रयोग किया गया। इनमें मरीजों का बाॅडी मसाज, स्टीम व सोना बाथ, मड पैक बाथ, सैंड फोर्मेशन, एक्यूपंक्चर, फेसियल व लोकल स्टीम, शिरोधारा, होट व कोल्ड कम्प्रेस एड पैक तथा थ्रोट, एब्डोमिन, आर्म, नी, लैग पैक, नेचुरल, होट एंड कोल्ड हिप बाथ, एनिमा, गेंजी, टर्मरिक, नीम बाथ, जकुजी व सर्कुलर जेट हायड्रोथैरेपी, कटि स्नान, जानु स्नान, ग्रीवा बस्ति आदि की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई। शिविर में डा. पीएस शेखावत, डा. श्रेया, डा. कृतिका, मनीष, तनुजा, श्रद्धा, कल्पिता, मुकेश आदि ने अपनी सेवाएं प्रदान की। शिविर के समापन पर सूरत के अजीत चैरड़िया, राजश्री चैरड़िया, अहमदाबाद की शिल्पा नाहटा, खुशी नाहटा, उदयपुर के रेशु जैन, गंगा शहर के हंसराज डागा, श्रद्धा डागा आदि ने शिविर को लाभदायक बताते हुए अपने अनुभव साझा किए और कहा कि उन्हें बहुत अधिक बेहतर महसूस हो रहा है। बिना दवा के केवल रहन-सहन व खान-पान और प्राकृतिक विधियों से भी दवाओं के प्रयोग से अधिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
kalamkala
Author: kalamkala

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