भारत सरकार का निर्णय: आयुर्वेदिक आहारों को एफएसएसएआई में किया गया सूचिबद्ध,  अब उन्हें व्यापारिक रूप से लॉन्च करने का मार्ग प्रशस्त: काढ़ा, हिम, मंथ, लाज, सूप, गुटिका, पेय, घृत, लड्डू, खिचड़ी, मिष्ठान्न आदि को बनाना, बेचना और डिस्ट्रीब्यूट करना हुआ पूरी तरह से वैध

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भारत सरकार का निर्णय: आयुर्वेदिक आहारों को एफएसएसएआई में किया गया सूचिबद्ध, 

अब उन्हें व्यापारिक रूप से लॉन्च करने का मार्ग प्रशस्त: काढ़ा, हिम, मंथ, लाज, सूप, गुटिका, पेय, घृत, लड्डू, खिचड़ी, मिष्ठान्न आदि को बनाना, बेचना और डिस्ट्रीब्यूट करना हुआ पूरी तरह से वैध

नई दिल्ली (kalamkala.in)। आयुष मंत्रालय और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने ‘आयुर्वेद आहार‘ श्रेणी के तहत खाद्य उत्पादों के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों के नियम तैयार किए हैं। यह व्यापक पहल गुणवत्ता वाले आयुर्वेद खाद्य उत्पादों का निर्माण सुनिश्चित करेगी और मेक-इन-इंडिया उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार का विस्तार करने में मदद करेगी। आयुष मंत्रालय को विश्वास है कि ये नियम आयुष प्रणाली के संरक्षक के रूप में भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत करेंगे।

कुल 22 श्रेणियों के लगभग 50 पारंपरिक आयुर्वेदिक आहार लिस्ट में शामिल

अब आयुर्वेद आहार की नई कैटेगरी के प्रोडक्ट्स भी वैध रूप से लॉन्च किए जा सकते हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन FSSAI ने 25 जुलाई को आधिकारिक आदेश जारी किया है—
अब “Ayurveda Aahara” को खाद्य उत्पाद (Food Category A) के रूप में मान्यता दे दी गई है। यानी अब पारंपरिक आयुर्वेदिक आहार जैसे: काढ़ा, हिम, मंथ, लाज, सूप, गुटिका, पेय, घृत, लड्डू, खिचड़ी, मिष्ठान्न आदि को बनाना, बेचना और डिस्ट्रीब्यूट करना पूरी तरह कानूनी और वैध हो गया है। आयुर्वेदिक आहार के अंतर्गत केवल उन उत्पादों को अनुमति मिलेगी, जिनकी रेसिपी प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों जैसे चरक संहिता, भावप्रकाश, सुश्रुत संहिता, काश्यप संहिता आदि में मौजूद है। कोई भी व्यक्ति या संस्था जो FSSAI से FBO (Food Business Operator) के रूप में पंजीकृत हो, जिनके उत्पाद FSSAI द्वारा जारी Ayurveda Aahara List में आते हों या जिनकी रेसिपी आयुर्वेद के ग्रंथों में स्पष्ट रूप से वर्णित हो। अभी तक FSSAI द्वारा जारी की गई सूची में कुल 22 श्रेणियों के लगभग 50 पारंपरिक आयुर्वेदिक आहार शामिल किए गए हैं।

सरकार ने जारी किया यह आदेश 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अन्तर्गत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की विज्ञान एवं मानक और विधिक सलाहकार अलका राव ने यह आदेश जारी किया है। इसमें खाद्य सुरक्षा और मानक (आयुर्वेद आहार) विनियम, 2022 के अंतर्गत शामिल आयुर्वेद आहार के संबंध में बताया गया है कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक (आयुर्वेद आहार) विनियम, 2022 की अनुसूची ‘ख’ के अंतर्गत टिप्पण 1 का संदर्भ लेते हुए, जो खाद्य प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर श्रेणी ‘क’ में सम्मिलित आयुर्वेद आहार की सूची देने के लिए निर्दिष्ट करता है। इस संबंध में, आयुष मंत्रालय के परामर्श से, एफएसएसएआई, खाद्य सुरक्षा एवं मानक (आयुर्वेद आहार) विनियम, 2022 के अंतर्गत श्रेणी ‘क’ के अंतर्गत आने वाले आयुर्वेद आहार की प्रति संलग्न करते हुए खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) की आयुर्वेद आहार के उत्पादन एवं सुविधा हेतु प्रस्तुत किया गया है। तथा, प्रवर्ग ‘क’ के अंतर्गत आने वाले परंतु सूची में उल्लिखित नहीं होने वाले आयुर्वेद आहार उत्पादों की स्थिति में खाद्य कारोबारी उन्हें सूची में शामिल करने के लिए खाद्य प्राधिकरण को अनुसूची ‘क’ में सम्मिलित ग्रंथों से आधिकारिक संगत पाठ प्रस्तुत करते हुए अनुरोध कर सकते है। समय-समय पर होने वाले इस प्रकार के किसी भी परिवर्तन की सूचना अलग से खाद्य प्राधिकरण द्वारा दी जाएगी।

मानक युक्त होंगे ये आहार

नियम के अनुसार, ‘आयुर्वेद आहार‘ उत्पादों का उत्पादन और विपणन अब सख्त खाद्य सुरक्षा और मानक (आयुर्वेद आहार) विनियम के नियमों का पालन करेगा और एफएसएसएआई से लाइसेंस या अनुमोदन के बाद ही बाजार में उपलब्ध होगा। आयुर्वेद आहार श्रेणी के लिए एक विशेष लोगो (logo) बनाया गया है जो आयुर्वेद खाद्य उत्पादों में आसानी से पहचान और गुणवत्ता को सुदृढ़ करेगा। आयुष मंत्रालय मानता है कि खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता निर्माताओं, उपभोक्ताओं के बीच एक साझा जिम्मेदारी है और हमारे द्वारा उपभोग किए जाने वाले भोजन को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने के लिए सभी की भूमिका है। कोविड-19 महामारी के फिर से शुरू होने के बाद भोजन, पोषण, स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के बाद इसे और मजबूत किया गया है।

बच्चों के लिए नहीं होगा आयुर्वेद आहार

नियमों के अनुसार, आयुर्वेद की आधिकारिक पुस्तकों में वर्णित व्यंजनों, अवयवों, प्रक्रियाओं के अनुसार तैयार किए गए सभी भोजन को आयुर्वेद आहार माना जाएगा। स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए खाद्य व्यंजनों और सामग्री, विशिष्ट शारीरिक आवश्यकताओं और निर्दिष्ट बीमारियों के दौरान या बाद में उपभोग के लिए निर्दिष्ट खाद्य पदार्थ, आयुर्वेद में पथ्य के रूप में संदर्भित विकार इन नियमों के तहत आते हैं। आयुर्वेद आहार की लेबलिंग में इच्छित उद्देश्य, लक्षित उपभोक्ता समूह, उपयोग की अनुशंसित अवधि और अन्य विशिष्ट आवश्यकताएं निर्दिष्ट होंगी। आयुर्वेद आहार की विभिन्न श्रेणियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी दावे और रोग संबंधी जोखिम में कमी के दावे तथा उनकी स्वीकृति प्रक्रिया विनियमों में निर्दिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार होगी। हालांकि, ‘आयुर्वेद आहार‘ में आयुर्वेदिक दवाएं या प्रोपराइटरी आयुर्वेदिक दवाएं और औषधीय उत्पाद, सौंदर्य प्रसाधन, नारकोटिक या साइकॉट्रॉपिक पदार्थ तथा जड़ी-बूटियां शामिल नहीं होंगी। इसके अलावा 2 साल से कम उम्र के छोटे बच्चों के लिए आयुर्वेद आहार की भी सिफारिश नहीं की जाती है।

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Author: kalamkala

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