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आॅनलाईन पाठ्यक्रमों से अधूरी शिक्षा को किया जा सकता है पूरा- सुराणा, पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम

आॅनलाईन पाठ्यक्रमों से अधूरी शिक्षा को किया जा सकता है पूरा- सुराणा,

पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम

लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान में सकांय संवर्द्धन कार्यक्रम में तृतीय दिवस उप कुलसचिव चिनीत सुराणा ने दूरस्थ एवं ओनलाईन शिक्षा के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मूक्स एवं स्वयं पोर्टल के महत्व और उपयोग के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि आज के व्यस्त समय में कोई छात्र अपनी शिक्षा को जब किसी कारणवश पूरा नहीं कर पाता है, तो निराश होने के बजाए अब उसके पास अपनी शिक्षा को प्राप्त करने के कई साधन उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से वह अपने काम के साथ-साथ पढ़ाई को भी जारी रख सकता है। छात्रों को अब शिक्षा के विभिन्न साधनों के माध्यम से खुली सामग्री, खुली जानकारी और खुली प्रौद्योगिकी के लिए अवसर मिलने लगे हैं। सिर्फ लैपटॉप या कम्प्यूटर पर इंटरनेट कनेक्शन के साथ कोई कहीं से भी और किसी भी समय आसानी से शिक्षा प्राप्त करने के लिए पूरे पाठ्यक्रम के साथ जुड़ा रह सकता है। उन्होंने दूरस्थ शिक्षा को इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका बताया। ई-लर्निंग को भी शिक्षा के लिए सुविधाजनक साधन माना गया है। उन्होंने ओपन ऑनलाइन कोर्स (एमओओसी) को ऑनलाइन सीखने की सामग्री प्रदान करने वाला बताया और कहा कि यह खुला ऑनलाइन पाठ्यक्रम कई विषय-विशेषज्ञों और प्रमुख विद्वानों द्वारा विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करता है। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

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