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पूछता है लाडनूं- लाडनूं के बाजारों में महिला पेशाबघर क्यों नहीं? क्यों नहीं बनती व्यावसायिक काॅम्प्लेक्स में जन-सुविधाएं, कब मिलेगी लाडनूं के लोगों को उनकी प्राथमिक सुविधा, क्या कर रही है नगर पालिका?

पूछता है लाडनूं-

लाडनूं के बाजारों में महिला पेशाबघर क्यों नहीं? क्यों नहीं बनती व्यावसायिक काॅम्प्लेक्स में जन-सुविधाएं,

कब मिलेगी लाडनूं के लोगों को उनकी प्राथमिक सुविधा, क्या कर रही है नगर पालिका?

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। लाडनूं शहर में सबसे बड़ी समस्या के रूप में यहां के बाजारों में सुलभ शौचालयों अथवा मूत्रालयों और विशेषकर महिला मूत्रालयों का अभाव है। यहां बस स्टेंड और राजकीय चिकित्सालय के समीप स्थल के अलावा स्टेडियम व पीडब्लूडी आॅफिस के पास सुलभ काॅम्प्लेक्स बने हुए हैं। लेकिन, इनके और कहीं भी सुलभ शौचालय नहीं है। बाजार में गांवों और शहर के विभिन्न वार्डों-मौहल्लों आदि से खरीदारी आदि कार्यों के लिए आने वाली महिलाएं इन सुविधाओं के लिए बहुत ही परेशान रहती हैं। पेशाबघर के नाम पर सब्जीमंडी और झंडा चैक के पास सदर बाजार की गली के अलावा कहीं भी पुरूषों के लिए भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह नगर पालिका प्रशासन का दायित्व बनता है कि वह सभी नागरिकों के लिए यह सुविधा उपलब्ध करवाए।

झंडा चौक-सदर बाजार गली के पेशाबघर का विवाद

हाल ही में झंडा चैक के पास सदर बाजार में एक पुराने जर्जर मूत्रालय के टूट जाने को लेकर लोगों ने खासा रोष जताया था। लोगों के विरोध को देखते हुए किसी अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ ईओ जितेन्द्र कुमार मीणा ने एक एफआईआर भी दर्ज करवा दी और कतिपय व्यापारियों के दबाव के चलते उस मूत्रालय का पुनर्निर्माण भी आनन-फानन में बिना किसी टेंडर, बिना किसी वर्क आर्डर के ठेकेदार को मौखिक आदेश देकर चुनावी आचार-संहिता के बावजूद करवाया गया है। हालांकि इस मूत्रालय को लेकर व्यापारियों में भी परस्पर मतभेद देखने को मिले थे। यह बाजार की सबसे पतली गली है और इस मूत्रालय के सामने व आसपास में काफी व्यवसायी अपनी दुकानें लगा कर अपना धंधा चलाते हैं। इन सबको प्रतिदिन भारी बदबू का सामना करना पड़ रहा है। इस पेशाबघर के कारण महिलाएं ही नहीं बल्कि अन्य ग्राहक भी आने व खरीदारी करने से कतराते हैं।

क्यों नहीं पूरी होती महिला पेशाबघर की मांग

इस मूत्रालय के लिए जिस तरह से नगर पालिका तत्पर हुई, वह आश्चर्यजनक है, क्योंकि शहर के लगभग सभी व्यापारियों द्वारा प्रायः बहुत सारी प्रशासिनक बैठकों में लगातार बाजार में यथाचित स्थान पर महिला मूत्रालय बनाने की मांग की जाती रही है, ज्ञापन भी दिए गए, परन्तु नगर पालिका या उपखंड प्रशासन ने उस पर आज तक कोई गौर नहीं किया। यहां बाजार में कहीं भी महिलाओं के लिए पेशाबघर सुविधा का नहीं होना नगर पालिका के लिए धिक्कारजनक है। व्यापारियों द्वार महिला के कटआउट में मांगपत्र शामिल करके प्रशासनिक बैठक में प्रदर्शन भी किया जा चुका। प्रशासन ने इन्हें पूरा आश्वासन भी कई बार दिया कि शहर के बाजार आदि में कुछ स्थानों पर सुलभ शौचालयों का निर्माण करवाया जाएगा। लेकिन, हुआ आज तक कुछ भी नहीं। एक पेशाबघर के लिए तो बासी कढी में उबाल आ गया, लेकिन बाकी परिस्थितियों में कोई हिलोर तक नहीं उठती। प्रशासन की इस स्थिति को क्या कहा जाए।

क्यों नहीं होती काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्स में जन सुविधाएं उपलब्ध

नगर पालिका द्वारा शहर के अनेक स्थानों को सुलभ काॅम्प्लेक्स बनाने के लिए चिह्नित भी किया गया था, जिनमें मालियों का मौहल्ला में कमल सैनी चैक में लौहड़िया के पास एक सुलभ काॅम्प्लेक्स और जावा बास में एक सुलभ काॅम्प्लेक्स भी बनाया जाना था। उस प्रस्ताव का क्या हुआ, कोई अता-पता तक नहंी है। शहर भर में बड़ी संख्या में व्यावसायिक काॅम्प्लेक्स बनते रहे हैं और अब भी बहुत से काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्स निर्माण कार्य चल रहे हैं। इनमें भी बरसात के पानी के हौद एवं शौचालय-मूत्रालय की सुविधाएं होनी आवश्यक होने के बावजूद किसी भी काॅम्प्लेक्स में ऐसी जन-सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। आखिर नगर पालिका शहर की इस बड़ी परेशानी को लेकर संजीदा क्यों नहीं है, यह सवाल सबके जेहन में गूंजता है, लेकिन लाडनूं एक शांत व सहिष्णु शहर है, कोई बोलता नहीं, इसकी इस कमजोरी का लाभ सभी अधिकारी और जन-प्रतिनिधि उठाते हैं।

जन प्रतिनिधियों के लिए यह बेहद शर्मनाक स्थिति

राज्य सरकार ‘खुले में शौच से मुक्त’ अभियान चला रही है, लेकिन लाडनूं के बाजारों में कहीं भी किसी भवन के पास कोई कोना, खंभा या नाली के पास जगह मिल गई तो वहां लोग खुले में पेशाब करने के लिए खड़े हो जाते हैं, यह स्थिति पुरूषों के लिए तो बदतर है ही, महिलाओं के लिए उधर से तत्समय निकलना भारी बन जाता है। पुरूष तो इधर-उधर अपने लिए जगह तलाश कर ही लेते हैं, मगर महिलाओं के लिए क्या स्थिति पैदा होती है, यह अकल्पनीय है। लाडनूं के विधायक हों या पालिकाध्यक्ष अथवा पार्षदगण सभी के लिए यह स्थिति शर्मनाक कही जाएगी। उन्हें इस स्थिति से निबटने की चिंता करनी ही चाहिए। जन संघर्ष समिति के संयोजक जगदीश यायावर ने नगर पालिका से शहर में उचित स्थानों को चिह्नित करके वहां यथाशीघ्र महिलाओं के लिए जन-सुविधाओं का निर्माण करवाना चाहिए।

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