राजस्थान दिवस पर लाडनूं के झिलमिल रिसोर्ट्स में देर रात तक बिखेरी लोकगीतों की स्वर-लहरियां,
अनूप तिवाड़ी के मटकी-वादन और मारवाड़ी गीतों की प्रस्तुति से हुए सभी मंत्रमुग्ध
जगदीश यायावर। लाडनूं ( kalamkala.in)। राजस्थान स्थापना दिवस के अवसर पर शनिवार यहां मंगलपुरा के पास स्थित झिलमिल रिसोर्ट में राजस्थानी लोकगीतों का शानदार मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध आकाशवाणी के लोक गायक अनूप तिवाड़ी व उनकी पार्टी ने देर रात तक राजस्थानी गीतों की स्वर लहरियां बहाई। तिवाड़ी ने अपने चिर-परिचित ठेठ मारवाड़ी अंदाज में मटकी-वादन की अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए एक से बढ़कर लोकगीत प्रस्तुत किए और मौजूद सभी लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने अपनी सुरीली आवाज में देर रात तक लोगों का खूब मनोरंजन किया। इस मौके पर लाडनूं व मंगलपुरा गांव से आए गणमान्य लोगों ने उनकी कला की खुलकर सराहना की। कार्यक्रम में अनूप तिवाड़ी के लोक-गायन के साथ पूसाराम पंवार का हारमोनियम, ढोलक पर मोहन, चंग पर भगवती भोजक, नगाड़े पर नवरतन भोजक, ख़जरी पर मनीष भोजक
ने संगत दी। कार्यक्रम में अनूप तिवाड़ी ने मेहंदी बोऊं मालवे, डिगो थारो डीगियो, चीरमी रा डाला चार, बालम छोटो सो, थारै मेहलां में झगड़ो कायण रो, म्है तो रियो कुंवारों टाबरियो आदि सुप्रसिद्ध व लोकप्रिय राजस्थानी लोकगीतों को प्रस्तुत करके खूब वाहवाही लूटी। रोहित भोजक, नवरत्न भोजक, भगवती प्रसाद, मनीष, नरेंद्र सोनी, मोहन मयंक व साथी लोक कलाकारों ने भी तिवाड़ी के साथ अपनी संगत और प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर प्रमुख समाजसेवी मालचंद टाक सैनी ने सभी कलाकारों का स्वागत किया। इस सुर-सरिता कार्यक्रम में मालचंद टाक, अनिल माली, गणेश वर्मा, राजकुमार पंवार, बाबूलाल सेन, श्यामसुंदर पुजारी, बाबूलाल स्वामी आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन शंकर आकाश ने किया।