लाडनूं में पैंथर (तेंदुआ) देखे जाने की अफवाह से लोगों में खौफ बढा,
वन विभाग व पुलिस विभाग के अधिकारियों ने लिया मौके का जायजा, प्रथम दृष्टया पैंथर देखा जाना मात्र अफवाह, मौके पर मिले पदचिह्न पैंथर के नहीं थे
लाडनूं। क्षेत्र में पिछले करीब एक पखवाड़े सेे तेंदुआ के दिखाई देने व भ्रमण करने के समाचार मिल रहे हैं। आमतौर पर इन समाचारों को मात्र अफवाह माना जा रहा है, इसके बावजूद शहर व आस पास के गांवों के बाहरी हिस्सों में लोगों ने विशेष सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। हाल ही में रात्रि के समय फिर एक बाईक चालक द्वारा पैंथर (तेंदुआ) देखे जाने की पुष्टि की, लेकिन सतर्कता के बावजूद उसे भी मात्रभ्रम की माना जा रहा है। शुक्रवार रात को फिर पैंथर देखे जाने की सूचना मिलने पर वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने मौके पर जाकर पाए जाए संदिग्ध पदचिह्नों क अवलोकन किया, लेकिन उनके द्वारा पैंथर होने की कोई पुष्टि फिलहाल नहीं की गई है। संदेह के अपुष्ट होने के बावजूद लोगों में पैंथर का भय खत्म नहीं हो पाया है। पैंथर की खबर से बच्चों और बकरियों आदि पशुओं के पालक अपने पशुधर को लेकर खासे चिंतित हैं।
रात को ही मौके पर पहुंचे रेंजर व सीआई चला रहे हैं आॅपरेशन सर्च
पता चला हे कि ग्राम सुनारी क्षेत्र में शुक्रवार की रात 10 बजे करीब कुछ लोगों द्वारा पैंथर होने की सूचना वन विभाग को दी गई। सूचना मिलने पर यहां से वन विभाग के रेंजर भंवरलाल चैधरी अपनी टीम सहित और यहां पुलिस थाने के थानाधिकारी सुरेंद्र सिंह राव भी मय जाब्ते के मौके पर पहुंचे। इन सभी अधिकारियों ने इस संबंध में लोगों से पूछताछ करके पूरी जानकारी ली। ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि लाडनूं से सुनारी मार्ग पर पैंथर को देखा गया है। इसके बाद अधिकारियों ने आसपास के लोगों को अपनी सुरक्षा का ध्यान रखने को लेकर निर्देशित किया और आसपास के इलाके में गश्त कर सर्च अभियान चलाया। वन विभाग की टीम मौके पर आकर पद चिन्हों की जांच कर रही है। ग्रामीणों की सूचना के बाद से लगातार सर्च ऑपरेशन किया जा रहा है। वन विभाग के रेंजर भंवरलाल चैधरी व मनोज खोखर के नेतृत्व में दो टीमें गठित की जाकर सुनारी गांव के खेतों में सर्च अभियान चला रहे हैं ताकि पैंािर या उसके जैसे किसी अन्य अज्ञात जानवर का पता लगाया जा सके। रेंजर चैधरी ने बताया कि सुनारी क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा पैंथर की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंच कर निरीक्षण किया गया। यहां जो भी पद-चिन्ह मिले हैं, वे पैंथर के नही लग रहे हैं, बल्कि ये पदचिह्न अन्य किसी जानवर के हैं। इन पदचिन्हों के आधार पर वास्तविकता का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। रेंजर ने बताया कि गत रात्रि से ही उनका सर्च अभियान चल रहा है। अज्ञात जानवर के पदचिह्नों में नाखून होने के निशान अवश्य हैं।
पहले फैली थी मगरा बास की अफवाह
गौरतलब है कि हाल ही दिसम्बर माह के शुरूआत में लाडनूं के मगरा बास क्षेत्र में एक पैंथरदेखे जाने की सूचना मिली और उसका एक वीडियो भी वायरल किया गया, परन्तु पड़ताल करने पर पता चला कि वह वीडियो जयपुर के आमेर क्षेत्र की एक कनक घाटी के पास का वीडियो था। लगता है कि उस समय की अफवाह अब तक भी शांत नहंी हो पाई और लोगों के मन का बहत ही रात को किसी अन्य जानवर या पदचिह्नों को देख कर उसे पैंािर समझ लेता है। फिलहाल वन विभाग की टीम पूरी जानकारी जुटाने में लगी हुई है। शीघ्र ही वास्तविकता का खुलासा संभव हो पाएगा।