श्रद्धा, ज्ञान एवं गुरु-शिष्य परंपरा के संगम का पर्व है गुरु पूर्णिमा- प्रो. जैन,
जैविभा विश्वविद्यालय में गुरु पूर्णिमा पर कार्यक्रम आयोजित

लाडनूं (kalamkala.in)। जैन विश्व भारती संस्थान के शिक्षा विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन की अध्यक्षता में गुरु पूर्णिमा पर्व का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रो. जैन ने कहा कि यह भारतीय संस्कृति का अत्यंत पवित्र तथा श्रद्धा, ज्ञान एवं गुरु-शिष्य परंपरा के संगम का पर्व है, जिसमें गुरु आराधना को विशेष महत्व दिया गया है। अच्छा गुरु शिष्यों के दोषों, उनकी कमजोरियों का निवारण करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील होता है। जीवन में सम्मान एवं सफलता प्राप्त करने के लिए ज्ञान की साधना करनी चाहिए तथा उसे व्यवहार में अपनाना चाहिए। साथ ही निरंतर परिश्रम करते रहना आवश्यक होता है। उन्होंने गुरु आराधना सम्बंधी भजन भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डॉ. गिरिराज भोजक ने गुरु पूर्णिमा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष पर प्रकाश डाला तथा भारतीय सनातन संस्कृति में आदर्श गुरु-शिष्य परम्परा के महत्त्व को बताया। डॉ. विष्णु कुमार ने कहा कि गुरु वह है, जिसमें गुरुर नहीं होता। हमें जीवन में किसी भी बात के गुरूर से बचना चाहिए। डॉ. अमिता जैन ने ‘गुरुवर तेरे चरणों की…’ भजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में छात्राध्यापिकाओं ने शिक्षकों का सम्मान किया तथा अपनी प्रस्तुतियां दी। कुसुमलता तथा प्रीति ने गुरु महिमा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु भगवान के तुल्य होते हैं, जो अपने अनुभवों से जीवन में निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर होने के लिए हमें प्रेरित करते हैं तथा सफल जीवन जीने की कला सिखाते हैं। हमें अपने गुरुओं के प्रति हमेशा सम्मान का भाव रखना चाहिए। कोमल प्रजापत एवं समूह ने ‘गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्दः…’ भजन एवं पायल एवं समूह ने नाटक के माध्यम से गुरुओं की श्रेष्ठता को प्रस्तुत किया।कार्यक्रम का संयोजन तथा आभार ज्ञापन डॉ. गिरधारी लाल शर्मा ने किया। कार्यक्रम का चालन आयुश्री तथा हर्षिता सोनी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य डॉ. आभा सिंह, स्नेहा शर्मा, डॉ. देवीलाल कुमावत, खुशाल जांगिड एवं समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।







