*तेरापंथ की राजधानी लाडनूं में पधारे तेरापंथ सरताज*
*-युगप्रधान आचार्यश्री के चरणरज से गुलजार हुई जैन विश्व भारती की धरती*
*-लाडनूंवासियों ने भव्य स्वागत जुलूस संग किया अपने आराध्य का अभिनन्दन*
*-निरंतर विकसित होती रहे जैन विश्व भारती : आचार्यश्री महाश्रमण*
*-वैरागी शुभम को सिरियारी में मुनि दीक्षा प्रदान करने की आचार्यश्री ने की घोषणा*
लाडनूं। तेरापंथ की राजधानी लाडनूं स्थित जैन विश्व भारती में शुक्रवार को तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान सरताज, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग पधारे तो पूरा नगर महाश्रमणमय बन गया। युगप्रधान आचार्य के रूप में पदाभिषेक के बाद पहली बार तथा वर्ष 2022 में दूसरी बार पधारे आचार्यश्री का लाडनूंवासियों ने भव्य स्वागत अभिनंदन किया। जन-जन के मानस को पावन बनाने वाले, मानवीय मूल्यों की स्थापना करने वाले युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग शुक्रवार को प्रातः की मंगल बेला में सुजानगढ़ स्थित तेरापंथ भवन से गतिमान हुए।
आचार्यश्री के कदम जैसे-जैसे लाडनूं की ओर बढ़ते जा रहे थे, साथ चल रहे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही थी। लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री जैसे ही लाडनूं नगर के निकट पधारे तो श्रद्धा का हुजूम उमड़ पड़ा। अनेकानेक विद्यालयों के विद्यालयों के विद्यार्थी अपने बैंड-बाजों के साथ उपस्थित थे तो सम्पूर्ण तेरापंथ समाज तथा अन्य समाजों के लोग व संस्थाएं भी आचार्यश्री के स्वागत में सोत्साह उपस्थित थे। आचार्यश्री नगरवासियों पर आशीषवृष्टि करते और जगह-जगह चरण थाम कर लोगों को उत्प्रेरित करते जैन विश्व भारती में लगभग साढ़े ग्यारह बजे पधारे। जैन विश्व भारती तथा में इस परिसर मंे स्थित अनेकानेक तेरापंथी संस्थाओं के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने आचार्यश्री का भव्य स्वागत किया। आज जैन विश्व भारती परिसर में मानों जनाकीर्ण बना हुआ था। बलुंद जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो रहा था।
आचार्यश्री जैन विश्व भारती में निर्मित महाश्रमण विहार में पधारे। आचार्यश्री का त्रिदिवसीय प्रवास इसी विहार में निर्धारित है। विहार में हुए विलम्ब के बाद भी आचार्यश्री ने बिना विश्राम किए यथाशीघ्र ही प्रवचन पण्डाल में पधारे और सुधर्मा सभागार में उपस्थित जनमेदिनी को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि यह संसार अधु्रव है, जीवन अशाश्वत है। जीवन में बुढ़ापा, बीमारी दुःख है। इसलिए आदमी को दुर्गति से बचने का प्रयास करना तथा धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने जैन विश्वभारती को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि इस परिसर निरंतर विकास हो रहा है। यहां परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी का कितना प्रवास हुआ है। इस परिसर में ही समणियों का मुख्यालय है। यहां मुमुक्षु बाइयां भी रहती हैं। यहां स्थित इंस्टीट्यूट भी धार्मिक-आध्यात्मिक ज्ञान के विकास मंे अपना यथासंभव योगदान दे रहा है। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी पहली बार साध्वीप्रमुखा के रूप में आई हैं। यहां निरंतर विकास होता रहे।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी ने जनता को उद्बोधित किया। आचार्यश्री से मंगलपाठ का श्रवण कर जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों ने इस परिसर में आचार्य महाप्रज्ञ इण्टरनेशनल स्कूल की आधारशीला रखी। इस संदर्भ में श्री जोधराज बैद ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की कृति ‘एक शब्द-एक चित्र’ को जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों द्वारा लोकार्पित की गई। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में प्रेरणा प्रदान की।
कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री प्रकाश बैद, नगरपालिका के चेयरमेन श्री रावत खान तथा जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। मोदी परिवार की महिलाओं ने गीत का संगान किया।
कार्यक्रम के अंत में मुमुक्षु शुभम् ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने कृपा बरसाते हुए मुमुक्षु शुभम् को सिरियारी में आयोजित दीक्षा समारोह में मुनि दीक्षा प्रदान करने की घोषणा की। आचार्यश्री की घोषणा से पूरा प्रवचन पंडाल जयघोष से गुंजायमान हो उठा।
