दुनिया की सबसे लम्बी जन्मकुंडली – जोधपुर में है 314 फीट लंबी जन्म कुंडली,
यह सुरक्षित रखी 117 साल पुरानी जन्मपत्री है यश कंवरी की, जोे आज भी है एक अबूझ पहेली
जोधपुर। राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर (राजस्थान ओरियंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट) में कई प्राचीन पांडुलिपियां व ग्रन्थ संरक्षित रखे गए हैं, इनमें रिसर्चर के लिए महत्वपूर्ण जानकारियों का खजाना उपलब्ध है। कई रिसर्चर यहां रिसर्च कर रहे हैं। राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर विभाग में विविध 25 विषयों के अनेक दुर्लभ ग्रंथ संग्रहित हैं, जिनमें जन्म-पत्रियां भी समाहित है। अन्य सैकड़ों वर्ष प्राचीन पाण्डुलिपियां व ग्रंथो का संग्रहण कर रखा गया हैं। विभाग समय-समय पर ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल व रख-रखाव किया जाता है। इसी प्राच्य ग्रंथों एवं विधाओं केे खजाने में से एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी प्रस्तुत की जा रही है। यहां पर संभवत विश्व की सबसे बड़ी तीन सौ चैदह फुट लंबी एक महिला की जन्म कुंडली है, जो आज भी एक अबूझ पहेली बनी हुई है।
314 फिट लंबी जन्मकुंडली
राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर में वृहद आकार की 314 फीट की एक जन्मपत्री ओशान सिंह की पुत्री यश कंवरी की भी है, जिसमें उसके भविष्य का सचित्र व सुन्दर चित्रांकन है। ग्रह नक्षत्रों के माध्यम से भविष्य दर्शाने वाली जन्म कुंडली में सुंदर बेलबूटों को बॉर्डर के अलावा राशियों के अलग-अलग स्वरूपों को विभिन्न पशुओं के भाव व दशाओं के साथ वर्णन करने वाले चित्रों का समावेश किया गया है, जो दिखने मे बहुत सुंदर है। इस कलात्मक जन्मकुंडली को सरंक्षित रखा गया हैं। संस्कृत भाषा में कुंडली बनाने वाले ओशान सिंह की ओर से इतनी बड़ी कुंडली बनाने का कारण और राजस्थान से उसके संबंधों की अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई हैं।
117 साल पहले एक महिला की बनी है यह कुंडली
यह कुंडली यश कंवरी नाम की महिला की है, जो 117 साल पहले बनी। इसकी लंबाई 314 फुट है। जन्मपत्री में विभिन्न भाव कुंड, लाभ कुंड, दशम भाव, भाग्य, शत्रु भाव कुंडलिका, संतान भाव कुंडली तुला लग्न, राहु लग्न, शनि दृष्टि, शुक्र भाव मृग भाव चलित, सुख भाव कुंडली, तुला लग्न सहज भाव, धन भाव, कष्ट गणित दृष्टि, मैत्री प्रयोजन माह केतु लग्न, गुरु भाव कुंडली बुध भाव, मंगल स्वरूप सूर्य लग्न गृह गोचर फल के साथ जीवन के कई चीजों का उल्लेख किया हुआ है. यह जन्मकुंडली किसी खास आयोजन के लिए बनाई गई उसका कारण अभी भी अज्ञात है।
