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कहां जाते हैं और क्या होता है मुख्यमंत्री के नाम से स्थानीय अधिकारियों को सौंपे गए ज्ञापनों का आरटीआई पर सूचना आयोग ने दिए 21 दिनों में सूचनाएं उपलब्ध करवाने के निर्देश

कहां जाते हैं और क्या होता है मुख्यमंत्री के नाम से स्थानीय अधिकारियों को सौंपे गए ज्ञापनों का

आरटीआई पर सूचना आयोग ने दिए 21 दिनों में सूचनाएं उपलब्ध करवाने के निर्देश

लाडनूं। आमतौर पर लोगबाग अपनी विभिन्न क्षेत्रीय समस्याओं, मांगों आदि को लेकर जिला, उपखंड या तहसील स्तर पर ज्ञापन सौंपते हैं, उनमें अधिकांश मुख्यमंत्री के नाम से होते हैं। ऐसे ज्ञापन उनके सौंपे जाने के बाद मुख्यमंत्री तक पहुंच पाते हैं या नहीं और यदि मुख्यमंत्री को भेजे जाते हैं, तो उनका क्या हस्र होता है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कोई प्रक्रिया निर्धारित है या नहीं? अपने ज्ञापन की स्थिति और उसमें की जा रही कार्रवाई की जानकारी के बारे में लगभग सभी अनजान ही रहते हैं। इसके बावजूद मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन देने का प्रचलन लगातार बढा है। लाडनूं के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरपतसिंह गौड़ ने इस मुद्दे को आरटीआई का माध्यम बनाया और सूचना आयुक्त के निर्णय के बावजूद उस निर्णय की अवहेलना होने पर फिर आदेश देते हुए सभी सूचनाएं 21 दिनों में उपलब्ध करवाने के बादेश सूचना आयुक्त ने जारी किए हैं। नरपतसिंह गौड़ ने मुुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापनों को मुुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाने की प्रक्रिया से संबंधित नियमों, निर्देशों की प्रतिलिपि वांछित सूचना मांगी थी। जिसकी द्वितीय अपील पर मुख्य सूचना आयुक्त डीबी गुप्ता ने शासन उप सचिव को वांछित सूचना 21 दिवस में उपलब्ध करानें के निर्देश दिए हैं।

यह था मामला

अपीलार्थी नरपतसिंह गौड़ ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत मुख्यमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी से सूचना चाही गई मुख्यमंत्री को सम्बोधित जनता के ज्ञापनों को प्राप्त कर जो अधिकारी उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय तक नहीं भिजवा कर अपनी ऑफिस में ही फाइल कर देते हैं, उन अधिकारियों पर राजस्थान सरकार किस प्रकार से कार्यवाही कर नियंत्रण करती है तथा इस प्रकार के कृत्यों पर किस प्रकार से अनुशासनात्मक कार्यवाही या दण्डात्मक कार्यवाही कर नियंत्रण करती है, ज्ञापन प्रक्रिया से संबंधित नियमों, आदेश-पत्र, निर्देश व परिपत्र की प्रमाणित फोटोप्रति सूचना चाही गई थी। आवेदन व प्रथम अपील पर सूचना न मिलने पर गौड़ ने द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग में प्रस्तुत की। प्रत्यर्थी शासन उप सचिव ने आयोग में अपीलोत्तर प्रस्तुत किया कि चाही गई सूचना सृजन योग्य, काल्पनिक व समस्याओं के समाधान से संबंधित है, जो सूचना की श्रेणी में नहीं आती है, इसलिए चाही गई सूचना उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती है।

यह दिया गया निर्णय

द्वितीय अपील की सुनवाई के दौरान अपीलार्थी नरपतसिंह गोैड़ व प्रत्यर्थी के प्रतिनिधि कर्मचन्द चैधरी शासन उप सचिव राजस्व (गुुप-7) विभाग जयपुुर के तर्कों को सुनने के पश्चात् मुख्य सूचना आयुक्त डीबी गुप्ता ने इस आशय का निर्णय किया कि अपीलार्थी ने आवेदन में ज्ञापन प्रक्रिया की सूचना चाही है और ज्ञापन प्रक्रिया से संबंधित राजकीय नियम, निर्देश, आदेश, परिपत्र की प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध कराने की मांग की है, जो सूचना की श्रेणी में आती है। मुख्य सूचना आयुक्त गुप्ता ने प्रत्यर्थी शासन उप सचिव राजस्व (गुुप-7) विभाग को निर्दिष्ट किया कि ज्ञापन प्रक्रिया से संबंधित कोई दस्तावेज हो, तो उन दस्तावेजों की प्रतिलिपियां निःशुल्क प्रमाणित कर आदेश प्राप्ति के 21 दिवस में जरिए पंजीकृत डाक अपीलार्थी गौड़ को उपलब्ध करवाया जाना सुनिश्चित करे। अन्यथा उपरोक्त अवधि में अपीलार्थी गौड़ को यह अवगत कराया जाना सुनिश्चित करें कि उक्त संदर्भ में कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है।

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