क्यों मिल रही है बंद मकानों से लाशें?
लाडनूं की पहली पट्टी में तीन दिनों में बंद मकान से दूसरी लाश बरामद होना चिंतनीय,
एकाकी रहने वालों की देखभाल, सार-संभाल की संस्थागत व्यवस्था जरूरी
जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। यहां पहली पट्टी स्थित एक मकान से दो दिनों से मृत महिला का शव पुलिस ने बरामद किया है। यहां पहली पट्टी में रह रही इस वृद्धा महिला कमला देवी फूलफगर (70) पत्नी स्व. किशनलाल फूलफ़गर के पति का देहावसान चार साल पहले हो गया था। वह पहली पट्टी में अकेली ही रहती थी। वह प्रतिदिन अपने खाने का टिफिन पहली पट्टी स्थित महिला मंडल की भोजनशाला से लेकर आती थी। दो दिनों से जब वह अपना टिफिन लेने नहीं आई, तो उसके मकान में देखा गया। अंदर से बंद मकान को पुलिस की मदद से खुलवाया जाकर देखा तो एक कुर्सी पर वह महिला मृत अवस्था में बैठी हुई मिली। संभवतः हृदयाघात से उसकी बैठी हालत में ही मौत हो गई। उसके शव का अंतिम संस्कार शनिवार को किया गया। पहली पट्टी में लगातार यह दूसरी घटना है, जिसमें अकेले रह रहे दो जनों का शव दो-दो दिनों बाद घर से बरामद किए गए। यहां पन्नाजी की समाधि स्थल के पास एक मकान से गुरुवार को अंजय बिनायकिया का शव भी दो दिन बाद बदबू आने लगी तब ताला तोड़ कर निकाला गया था।
ओसवाल समाज की ज्वलंत समस्या को लेकर चर्चाएं तेज
शहर में चर्चाएं हैं कि लाडनूं में विशेषकर पट्टियों के क्षेत्र में अनेक लोग (अधिकांश महिलाएं) वृद्ध होने के बावजूद मकानों, हवेलियों में अकेले रहते हैं। उनकी संतानें दूर प्रांतों में खाने-कमाने के लिए रहती है। वृद्धावस्था में उनकी बीमारी आदि परिस्थितियों में कोई संभालने वाला तक नहीं होता। वृद्ध होने के बावजूद उन्हें अपना सारा काम खुद ही करना होता है। कोई भी सहायक, सहारा पास में नहीं होने से उन्हें विभिन्न परेशानियों से सामना करना पड़ता है। संतानों के होते हुए भी ऐसे लोग बेसहारा ही होते हैं, यह एक विडंबना ही है। ओसवाल समाज सम्पन्न समाज है, इस बड़ी समस्या के बारे में सोचना चाहिए। इन एकाकी जीवन व्यतीत कर रही वृद्धाओं, वृद्धों के लिए कोई स्थाई व्यवस्था करनी चाहिए। उन्हें नियमित घर बैठे दूध-भोजन पहुंचाने, स्वास्थ्य की नियमित जांच व निगरानी, आवश्यकता पर जरूरी औषधियां उपलब्ध करवाने आदि की संस्थागत व्यवस्थाओं को किया जा सकता है।