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सराहनीय समाज सेवा- लाडनूं के प्राचीन जोगीदड़ा श्मशानभूमि का कायाकल्प करने में जुटे हैं भामाशाह, जीर्णोद्वार, मरम्मत, पुननिर्माण, नवीन निर्माण व सुधार द्वारा श्मशान के पूरे परिदृश्य को बदल डाला, रंग ला रहा है चौरड़िया का धन व घोंसल का परिश्रम

सराहनीय समाज सेवा-

लाडनूं के प्राचीन जोगीदड़ा श्मशानभूमि का कायाकल्प करने में जुटे हैं भामाशाह,

जीर्णोद्वार, मरम्मत, पुननिर्माण, नवीन निर्माण व सुधार द्वारा श्मशान के पूरे परिदृश्य को बदल डाला, रंग ला रहा है चौरड़िया का धन व घोंसल का परिश्रम

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। यहां तेली रोड पर स्थित प्राचीन जोगीदड़ा श्मशानभूमि का कायाकल्प करवाने का बीड़ा अजीतसिंह राजश्री चौरड़िया ने उठाया है। उनके निर्देशन में मूलचंद घोंसल द्वारा यहां अनेक प्रकार के जीर्णोद्वार, पुननिर्माण, मरम्मत एवं सुधार के कार्य करवाए गए हैं और कार्यों का संचालन जारी है। इन सारे कामों को घोंसल द्वारा अकेले अपने स्तर पर पूरी भागदौड़ करके पूर्ण जिम्मेदारी से करवाया जा रहा है, जो अति सराहनीय है। दानदाता मिल जाते हैं, लेकिन हर मौसम में धूप में खड़े रह कर काम संभालना और उसे सही स्वरूप में सम्पन्न करवाना टेढी खीर होता है, लेकिन समाजसेवी मूलचंद घोंसल इस कार्य को बखूबी निभा कर एक मिसाल पेश कर रहे हैं।

जोगीदड़ा श्मशानभूमि को दिया मनभावन स्वरूप

जोगीदड़ा श्मशान भूमि के निरीक्षण का अवसर मिला, तो वहां आमूलचूल परिवर्तन देख कर मन प्रसन्न हो गया। श्मशान भूमि के बाहर का दृश्य ही मनभावन था, नया गेट, जोधपुरी पत्थर से बना बाहरी परिदृश्य, गेट के ऊपर शिव प्रतिमा का सुंदर स्वरूप स्वतः ही श्रद्धाभाव पैदा कर रहा था। अंदर घुसते ही जो पहले उबड़-खाबड़ प्रवेश था, वहां आरसीसी का मजबूत फर्श बहुत अच्छा लगा। श्मशानभूमि के अंदर सबकुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा था। एक विशाल विश्रामघर ओसवाल समाज की ओर से बनाया गया है, जिसके बाहर ग्रेनाइट लगाया गया है और सीढियों सहित अंदर बैठने की उत्तम व्यवस्था की गई है। श्मशानभूमि में लैट्रिन-बाथरूम का भी निर्माण करवाया गया है, जिस पर पानी की टंकी रखवा कर पूरी सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। इस पर चढने व संभालने के लिए सीढियों का निर्माण करवाया गया है। चैकीदार के रहने के लिए एक क्वार्टर की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। अंदर स्थित शिवालय के फर्श को बनवाया गया है। अंदर के पूरे परिसर में ब्लाॅक आदि के फर्श का निर्माण करवा कर उसे स्वच्छ किया गया है। एक पानी का कुंड नया बनवाया गया है, एक टीनशेड नया और लगाया गया है और उत्तरी तरफ एक गेट लगाकर रास्ता बनाया गया है।

बिजली-पानी, लेट-बाथ, पेयजल और सभी सुविधाएं करवाई उपलब्ध

जोगीदड़ा श्मशानभूमि बहुत ही प्राचीन है और उसमें प्राचीन समय से ही अनेक पुरानी कोटड़ियां व छत्रियां बनी हुई थी, जो जर्जर व खस्ताहाल हो चुकी थी, उन सबकी मरम्मत, जीर्णोद्वार व पुनर्निर्माण का कार्य करके उन्हें सुंदर स्वरूप प्रदान किया गया है। इसी प्रकार सती महाराज के चबूतरा को फिर से तैयार करवा कर उसे नवीनतम स्वरूप दिया गया है और स्टील ग्रिल लगवा दी गई है। पूरे परिसर को रंगरोशन करके आकर्षक बना दिया गया है। वहां अंदर स्थित पेड़ों के गट्टों को नवीनीकृत कर दिया गया है। श्मशानभूमि में बिजली-पानी और रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। वहां की चैकीदारी व व्यवस्थाएं संभालने का जिम्मा राजकुमार अग्रवाल का है, जो मौके पर मिले। उन्हें भी मासिक वेतन दिया जा रहा है। इस अवसर पर मूलचंद घोंसल साथ में थे, उन्होंने इस सम्बंध में दानदाता अजीतसिंह चौरड़िया से वीडियो काॅल से बातचीत करवाई। उन्होंने वीडियो पर सारे काम देखकर खुशी जताई तथा कहा कि उनके पुत्र श्रेयांश चौरड़िया व सिद्धार्थ चौरड़िया उन्हें समाजसेवा के लिए सदैव प्रोत्साहित करते रहते हैं। इससे वे विभिन्न सामाजिक कामों के लिए सदैव तत्पर रह पाते हैं। परिवार का सम्बल होने से समाज के लिए धन खर्च करने में उन्हें आनंद मिलता है। उन्होंने जोगीदड़ा श्मशानभूमि के समूचे परिसर में विभिन्न प्रकार के छायादार व पुष्पों वाले वृक्ष रोपित करने की आवश्यकता बताई, जिस पर मूलचंद घोंसल ने कहा कि उनकी यह इच्छा भी वे मानसून आते ही शीघ्र पूरी कर देंगे।

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