मानवता की सेवा के सच्चे संदेशवाहक थे आचार्य चंदनमुनि- संत दयालपुरी महाराज,
अर्हम् आश्रम में समारोह पूर्वक मनाया आचार्य चंदनमुनि का जन्मदिवस
शंकर आकाश, पत्रकार। लाडनूं (kalamkala.in)। तेरापंथ धर्मसंघ से पृथक् होकर नव-तेरापंथ की स्थापना करने वाले आध्यात्मिक क्रांति के जनक पस्वी मुनि रहे आचार्य चंदनमुनि के जन्मदिवस को निकटवर्ती डूंगर बालाजी व गोपालपुरा के बीच स्थित अर्हम् आश्रम में समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय गौरक्षक संत दयालपुरी महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा है कि आचार्य चंदन मुनि अपने आप में एक विलक्षण संत थे, जिन्होंने केवल जैन धर्म नहीं, बल्कि जन धर्म की सच्ची सेवा की थी। उन्होंने मानवता की सेवा का सच्चा संदेश दिया, जो स्वस्थ समाज का निर्माण करता है। उन्होंने कहा कि आचार्य चंदन मुनि ने संत के व्यक्तित्व को अपने जीवन में उतारा और सदा सदा के लिए महान बन गए।
संस्कृत की अमोल धरोहर हैं आचार्य चंदनमुनि
कार्यक्रम में प्रवर्तनी साध्वी उषा कुमारी ने आचार्य चंदन मुनि के साहित्य पर प्रकाश डालते हुए उन्हें संस्कृत जगत की अमोल धरोहर बताया। साध्वी कुसुम रेखा ने आचार्य चंदन मुनि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया। आश्रम के अध्यक्ष डी. सी. सुराणा ने प्रस्तावित योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सचिव अमरचंद बोरड ने प्रतिवेदन पढा। मोटिवेशनल गुरु शंकर आकाश ने कहा कि व्यक्ति सफल तभी है, जब वो अपने कैरियर निर्माण के साथ-साथ एक अच्छा नागरिक साबित हो। उन्होंने अच्छा नागरिक बनने के लिए शिक्षा के साथ संस्कारों को आवश्यक बताया। समारोह में राजस्थान के विभिन्न जिलों से ही नहीं, बल्कि आसपास के राज्यों से भी कई लोगों ने पहुंचकर भाग लिया। कार्यक्रम में भीकमचंद बैद चाडवास, पुटिया राजा, नंदलाल वर्मा, नवीन संचेती जोधपुर, सूरजपाल रोड़ा, शकुंतला सुराणा, कंचन देवी भूतोडिया, राजेंद्र बंसल जयपुर, राजेंद्र भाई पंजाब, हर्षा चोरड़िया आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी प्रियदर्शना के मंगलाचरण से किया गया।
