लाडनूं का सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शीतला माता का मेला 21 मार्च को, रांधा-पोवा व जागरण 20 को,
‘कलम कला आह्वान’- पोलिथीन से मुक्त बने मेला
लाडनूं (kalamkala.in)। यहां रैगर बस्ती के शीतला चौक में शीतला माता मंदिर में शीतला सप्तमी का मेला 21 मार्च शुक्रवार को भरेगा। मेले के आयोजन के लिए श्री शीतला माता सेवा समिति तैयारियों में जुटी है। जागरण व रांधा-पोवा गुरुवार को रखा गया है और अगले दिन शुक्रवार को मेला आयोजित होगा। आयोजन के लिए मंदिर को सजाया गया है, साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है।
घर-घर में रांधा-पोवा गुरुवार को
समिति द्वारा जारी सूचना के अनुसार इस वर्ष कार्यक्रम रांधा-पोवा का कार्य घर-घर में महिलाएं 20 मार्च गुरुवार को ही सम्पन्न कर लेगी। ज्ञातव्य है कि इस पर्व पर पहले दिन राबड़ी, लापसी या हलुआ, केर-सांगरी की सब्जी और अन्य खाने-पीने के पकवान आदि सभी बना लिए जाते हैं। अगले दिन शीतला मंदिर में उनका भोग लगाया जाता है। पूरा परिवार उन ठंडे पकवानों का ही सेवन करता है। गुरूवार 20 मार्च को ही रात्रि में जागरण और भजनों का कार्यक्रम रहेगा।
विशाल मेला व पूजन 21 मार्च को दिनभर
शीतला चौक में शीतला माता का जागरण के बाद अगले दिन इस बार शुक्रवार 20 मार्च को विशाल मेला आयोजित किया जाएगा। यह मेला प्रातः 3.30 बजे करीब प्रारंभ हो जाएगा और दिन भर चलेगा। मेले में विभिन्न सामानों की स्टाल, रेहड़ी, ठेले सजाए जाएंगे, जिनमें खिलौने, गणगौर की मूर्तियां, चाट-पकौड़ी, कचौड़ी आदि नमकीन, आईसक्रीम आदि और विविध घरेलु उपयोग की सामग्री विक्रयार्थ उपलब्ध रहेगी।
साढ़े पांच सौ सालों से लग रहा है मेला
यह मेला पिछले करीब साढ़े पांच सौ सालों से लगातार हर साल यहां लगता आ रहा है। शीतला माता का मंदिर भी लगभग इतना ही प्राचीन है। इसका समय-समय पर जीर्णोद्धार किया गया। इस मंदिर के पास ‘तागोलाव’ नामक विशाल तालाब और उसका पायतन था। पायतन पर धीरे-धीरे लोग बसते गए और अब मात्र यह शीतला चौक शेष रहा है। तालाब भी बाद में खुर्द-बुर्द कर दिया गया। शीतला माता मंदिर के ईर्द-गिर्द बड़ी संख्या में पानी की कोठियां उड़ेली जाकर माता को ठंडा करने की परम्परा रही है, जो अभी तक निभाई जा रही है। अब नारा-गाड़ी पर कोठी की जगह टैंकरों ने ले ली है। चौक भी सीसी ब्लॉक लगवाए जाकर नगर पालिका ने पक्का बना दिया है। शीतला माता सेवा समिति ने इस बारे में जन साधारण के लिए सूचना जारी कर बताया है कि सभी भक्तजन शीतला माता के मैला में पानी की कोठी या टेंकर डलवाना चाहते हैं, वो काऊंटर पर शीतला माता सेवा समिति को नगद रूपया जमा करा देवें। ताकि उनकी व्यवस्था की जा सके।
‘कलम कला आह्वान’- पोलिथीन से मुक्त बने मेला
अगर आयोजन समिति और सभी नागरिक सोच लें तो ऐसे आयोजनों को प्लास्टिक मुक्त किया जा सकता है। प्राय: देखा गया है कि ऐसे मेला आदि के बाद मेला-स्थल और आस-पास में प्लास्टिक कचरे के अम्बार लग जाते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। इन सबसे बचने के लिए नगर पालिका प्रशासन और मेरा आयोजकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे सभी दुकानदारों, ठेला चालकों और अन्य व्यवसायियों को आगाह करे और उन पर नियंत्रण कायम करे कि वहां कोई भी पोलीथीन का प्रयोग नहीं करे। मेला समापन के बाद वहां की सफाई का जिम्मा भी मेला आयोजन समिति और नगर पालिका का रहना चाहिए।
